पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/४०३

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२६. नीवात्मा मोडत्व पादि जोपारमा धर्मर मर्यात् जोयामा हो । हामा पारममय एक पुरुष। यदि मा मत :. सुप्र दुःपादिको भोगता है। मान, पानश्नन पौर। एकनी पधिटाता होता, तो एकके जन्म मा मरने .. दामा दर्गन माघ इस विषय में मतभेट है। वेदान्त मक्का जन्म वा मरग्य होता पीर एक के सुप या दो मारव चोर पालनन मतगे-ये बुद्धि धर्म हैं, यहि जगमण्डल सुखी या दुःखी होता । जय सुष दुपका एम. हो मुख दुःखादिको भोगतो है : पा-माधुरिममिनिम्बित नियम. राघ पवाय ही स्वीकार करना पड़ेगा हि, होने पर जो 'मैं सुनी है' में दुली न्यादि प्रमुः। पुरुष या प्रामा नाना और जो जिम प्रशारके कार्य , भय करतो, यह भ्रममाव अर्याय खप्रम देश हुए। करता है. उगे उमी प्रकार के फल भोगने पड़ते हैं । पार पदार्य को भौनि येगियाट । पामामें मुख दुग्यादि कुछ भी नहीं है। यर पारने पामा माश नामक प्रतिको उपाधिमे इन्ध, मोस, ! हो कहा जा सका है, 'पारमा भनेक. या माधिन .. मुख, दुःख आदि पतिविम्ब रुप में अपना अनुभव करती। कोने पर एक के मुखम जगत् मुम्बी को नहीं होगा..." (ममाप्य) म प्रकारको पापत्ति हो ही नहीं ममतो, परनको यासव यर पाम्मा का स्वरूप नहीं है। हम प्रकार- मी जिम तरह अवाकुसमके पाम पति शम्म सटिक मो । की पनेक युनिया प्रति को गई हैं। पारमा पहारमे माल मालम होने लगता है, उम तरह पारमा अपनो . विमूद हो कर अपने को प्रतिमम्भत गुणक हारा होते चुहिमें स्थित पुख.टुपादिको बामगत मान कर मैं, ए कार्याका कर्ता मान मोती है। वास्तव में पारमाका मुखोई में दुलो इस प्रकार ममझती मममा मा वा महो। (माया) व्यक्तियों ऐकारमपमे एक व्यशिशो मा चोगे पर पारमा निर्माणमय गानमय पोर पान है। प्रकृतिक मयहीको पयों नहीं होता, इस प्रकारको पापतिका । शम दुःखमय पोर पन्नानमय द, जो पात्मा नो बहन नहीं होता। में भोजन पोर गयन पार साह । पर न्याय पीर पेशपिक मसमे जीवामाको यदि इत्यादि सो व्ययहार होस ६, उनका शरीरको क्रियाई. प्रकतिम्यानीय किया जाय, तो दोनों गाँपको तर प्राधारमेरी ममर्यम करना होगा, क्यों कि पामा मागम्य हो ममता माग्यमनमें प्रक्षतिको मंमारका क्रिया वा कस ए भी नहीं है। पारमान जयपुर पादि कारण कहा गया है। भी महीं है, सम यन्ध, मोसका होना भी पमम्भव ६. . प्रशतिका परिमाण दो प्रकारका 8-एक सप. | किन्तु ऐगा होनेमे पासपके साथ विरोध पोता . परिणाम घोर दूसरा विरूप परिणाम | मर-परिणाममें प्रत्येक गरीरका पपिहाता जर एक एक पारमा . स मक्षतिको विशशि नहीं होतो । जप विक्षप-परिणाम | ठगन्ध मोच को नहीं रोग? किन्तु म नरा होता तर परमे प्रकृतिको ७ विलति होती है। विचार कर देगनम मानूम को भायगा कि ग्रा.', विकार पदार्थ , गमे किमी प्रकारका विकार | पात्मा नहीं है। माशेता। पुमय रनमे पीतापुरुष वा पारमा न पारमा नमो यह भी होती पोरम , महात तो प्रति १ पोरन विलति प्रशति को पारमाको नामाकीनानारूप धारण कर घर पोर मुखएपा करता महारमे पिमोडिस करतो पारमा प्ररुमिको माया! जितने दिनों तक प्रशति-पुरुएका मापाचार ( पात् .. अपना सारा महो' भान पकती, प्रति हो ममम्त सम्म प्रामि पोर पुरुषश विधिकलाग ) मी शोना सब कम दुःपादिका अनुभव करती मरे मान होता है। पुरुप विरत नहीं होता। ( तस्यौ० १३.) . शि. प्रतिता धर्म और जीयामाका धर्म पश को है। ____ मतंकी जिम तरह नृत्य दिगा कर दर्शकों को मार मी गो। न्याय पोर येमेषिक मातमे भीगारमा | सत्यमे नियतिकी . समोसा मनि मी माप्यादि मतगे प्रति टोनी एक से पामाको प्रकागि का नियतित होती है पर सारमा मीरमदमे मागापात्पक मारक पधिपा महीलातो। पामा प्रिमरोहा पर