पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/४०५

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३६२ सीवात्मा पडेगा कि पलागिका भी एक मचेतन पधिताना होगा। रहमे रेप की प्रगट करता। और जिम मर मुग। निजीमामाको प्रकृतिका अधिटासा नहीं फङ्गा मा यहि पौषध मेगन शेष होमेको मापनभायमा, मशमा योकि जीय स्य म्नदर्गी और अमाव पादि यह जान कर भो यदि कोई म पश्चात पोध मेगन माने दीपंग मूपिन, जीया ऐमो गमिट्टी काममी है। नग जाय. तो सभो उमको पत्र वियपर करेंगेइसी जिममे ये जगकर गमे प्रत्त प्रशतिम प्रधिठाता इन तर यदि परमारमा जीयों को दुःप न होते हुए मो इस भाय । समलिए लाश गालिमम्पय मर्याराध्य परमात्मा के निवारणार्य सृष्टि करने में प्रास हो, तो कोम पनि की माता माननी पड़ेगी और ये ही प्रक्षतिक पधिष्ठाता ऐसा है, जो उन्हें पन या पथिये यक म पलायेगा। १. म युधि हार। परमात्मा वा सरमिहि हो चोर कोन यह नहीं कहेगा कि, परमामाको मधमा मकतो।। पर विये पकता पादिरहिया कर गई, परित जिम मार 'तुम्हार कान कोपा ले गया दम वाया ने तो हम नोगामे मो घाशे गये। इस दौरे पर को सुन कर पपने कानी पर बिना हाथ रखे ही हार के लिए जोवो दुःखममारके बाद परमामारी घमा काके पीछे दोडना उपदमनीय, उमी प्रकार कारण | करो मृति को है. यर याम कहना भी मिमाम OETA चेतनाके पपिठानकै भिना भी बहुतमी अड़ वसुयोम है। कारण ऐमा होने में जो दुका पायिभाय कार्यकारणको प्रशस्ति पाई जाती है। अमे-नयज्ञात होने पर परमात्माने उपके निवारणार्य सृष्टि को गुष्मारक जीयनधारण के लिए जदामक दुग्ध प्रयत्ति होती मुष्टि छुःपत्रको पपेक्षा करमी भोर टि होने पर धीर मनी के उपहार्य ममय ममय पनि गढ़। दुःखका पाविर्भाव होता है, इसलिए भी सरि मधमे टिकी उत्पत्ति होती है। अतएव जीवोंके | मापन है, म तरह परम्पर मापेमारा पगोन्यायप. कल्याणार्य मा प्रानि भी जगनिर्माणम प्रहात होगी। दोष होता। पीर भी देखिये, यदि परमात्मा करणा . उमनिए रंगार या परमात्मा मानने की यवा जहरत ! करके हो गरि करी, तो कभो भो कोई गणी या दुःगो यदि परमात्म मापनको पागामे यह कहा जाय कि, नहीं होता, क्योंकि मप को परमात्मा तिया-पाय - परमात्मा जोयों पर करणा करके प्रतिको जगविमर्माण में पौर परमात्मा पक्षपात पादि दोषों में स्ति। पर प्रसत कर से मामयं दो सप्त होते है, तो विचार गमय प्रमाणोंमे यह मिल पाशपरमात्मा का . . ५. देपम या मानगरमाधक न हो कर परमामा परमेम्बर नहीं, पल पोसन प्रहनिदीजगविमा को यापक हो जाती है। देखिये, करुणा गदमे मरेकी में प्रथत है। दामियाराका बोध होता, मुसग परमारमनि जिस प्रकार निर्धावार पयकालमणिके पाम महा सोयो पर करुणा कर उनको गृति की है। मका! स्मक लोहको भी क्रिया होती, मी प्रकार जीवाम पर्य यह पाकि, परमारमाने दुपनिवारणको रनामे | पुरुषके पाम शमग्य प्रतिम भो जगपियार्य किया भीकी टि को है, किन्तु सटिमे पहले किमीको भी का सोना पराभय नहीं। में पधा पादमी पाने दुःपमही या. दुपको भी मारमागे राहिको पपने कन्धे पर पढ़ा कर गाय मार्गमे जा मरता. एम दासको मनियादो भो मामी । पप यताइये कि . येगे हो पाना प्रकासि जीयरमाका पयसम्मान कर पामामा ने पाम शिमरे मिवारपार्य गटकार्यम | निर्माण करतो र जीयारमा प्रतिको माया मुन्ध प्राय पोर किम कारणमे उन मन परमात्माको दोसर लो पपना धर्म भी यनिक समिका में रंग प्रमय शुमा मियापकी राई ! यदि गेग ही अपना ममममा | Kलए प्रकृति और पुम पो. को हमके निमारमा पोपमा मयम शिया (जोयामा) पर मापन गोपारमा पार . जाना प्रन्यया कोन दिमान एमाजो नोरोग (RTAL ). भाम, प्रधाम, बार, पm, ins या चोप मेमन inा: यहि सम प्रति मम और पारिएको पं. र.