पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/४२१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

३०६ सुनार : . पथस्थित। यहां हिन्दू, मुमममान, ईसाई पादि। किमी ममय दोनों पक्ष मिल कर सीमा मिर करने । भित्र भित्र जातियां वास करती है। हिन्दुको मरवा लिये.बहुत वादानुयाद करने लगे। पन्तघाटगढ़ 'हो मयमे पभिक ।म उपविभागमे एक दीवानी मीमाना रसक महारने कहा कि नीचे फूदगे ये जा पोर दो फोनदारी पदालत तथा एक घाना है। नियल अपस्यामि रहेंगे यही स्थान दोनों ग्रामौकी मोमा . यहां बातमी नदिया पर्वतम निकन फर 'घोड़ी मानी जायगी। दोनों पनि दमे मीकार कर लिया गिरी है। यह घोड़ देपन काटेके महा है। मका और जिम पहाड़ अपर दोनों पर मरिममित इये, प्रभाग सूक्ष्म पर तीनों पोर विस्त न है। मममे | वहीम ये नीचे कूद पड़े ! जिस स्थान पर उनकी देव दक्षिणमे मो नदी प्रवाहित है, उमका गाम है मीना । चकना चूर हुई, यही स्थान घाटगढ़ पोर कोणी प्रतिवर्ष इम नदीका जल बढ़ कर १० मीनके मध्ययी। मीमा ठराई गई। पहले जुनारमें मात दुर्ग थे। घेराम मतोंका वत भनिट करता है। इम स्थान की महो। तरह बने थे कि वे याकागफे सनातन पुनको भालसिंह यात नरम है। जलका प्रयाह रोकनेका कोई उपाय | महश मालूम पड़ते थे। नहीपधियासिगण नदी तथा महीको प्रति अच्छी उ मात दुर्गकि नाम ये है -चावन्द, गियगेरी, सर नामी हैं, किन्तु ये स्थान परिवर्त करनेको नारायणगढ़, हरिचन्द्रगढ़, जीवधन, नीमगढ़, पोर भी अच्छा नहीं रखते। माधोजी मिन्धियाके एक। हर्षगढ़ । फर्मचारी हिन्दुस्तान लूटने के ममय मङ्गसिपन हो गये । जुनार में बीती मनाई दुई बातमी गुहाएं देवी थे। उन्होंने (कुस्तकणों यंगीय) निगुड़ी प्राममें एक । जाती है, किन्तु अन्यान्य स्थानकी योड-गुहाफी भौति । सन्दर मन्दिर बनमाया था। कई घर्ष हुये, मीना नदी, जुनारकी गुहाऐं जोदी हुई मूर्तियाँसे मुगोभित नहीं । समोर बढ़ती कर मन्दिरको नष्ट करने लगी है। गुहानिर्माण सेनेके बहुत ममय बाद यहां दुखदेवकी १९५० में पियाजीने जिस जगह नदी पार हो / मतिमूर्ति तथा और दूसरी दूमरी यो मूर्ति यो म्यापित जुमार टुगं पर पाकमण किया था. वह प्रदेश मन्दिरी हुई हैं। शुनारकी गुहार्डोका निर्माण कोगन पत्यमा समीप हो। निगंदीमे दो मोल नोचेकी पोर ए यिम्मयजनक है। इन गुहामि जगह जगह गिलानेप प्रसिद्ध मुगनबांध है। पहले इस स्थानसे गियनेरो दुर्गके। पाये जाते हैं। ये लेख एक समयके नहीं है। नौ बागनहोर' उद्यान तक एक खाड़ो प्रवाहित थो। पद बहुतमे महाराज पगोक के ममयसे भी पहले । वहा ललका घिद भी नहीं है। पूना पोर नामिकका किमो किसी विहान्न मियर किया कि मापीन .. सड़क निकट नारायपपाम पयस्थित है। यहाँ एक तगर पम सुनारके नाममे मगहर हो गया है। प्राचीन मापोनकालका धांध है। फिलहान गप एने इमका तगरके गिल्पकार तीन भागों में विभमा हो भित्र भित्र मोमकार किया है म यधिक रहन ८००० एकड़ . स्यामि फैन गये थे। पहले तगरपुरयराधोग्नर उपानि भूमि यहत पामामी मे मीची जातो। नारायण ग्रामके विशेष प्रचलित यो। समीप मीना नदी जर एक पुल यगा पा है पर इस प्रदेगमें मुमनमानों के प्रथम पाधिपत्यक ममय । यह नदो पिम्पलेवा के निकट घोड़में गिरोहै। मो| उनको राजधानो शुनारमें थी पोर कोदएका फुल भाग बाई पोर नारायणगट है। जुनार राज्य प्राप्त था। इनारमे मारायणपाम कुकरी नदी कानोपसिके निकटसे निकन नाम तक जो राम्ता गया है. उनके कुछ दधिणम मुमनमानी- घार्टीकी उपायका तक प्रमाहित हुई है। यह स्थान का मनाया एपा एक दुगं विद्यमान है। कोरल पोर दक्षिण प्रदेगकी मालतिक मीमा सफ्प। २. यम्पई प्रदेगके पूना जिले के प्रार्गत मो मामले . सरा जाता है कि पहले घाटगढ़ पोर को सालुकका एक प्रधान गहर। यह पधा.८.१२. पधियामिमि रस मान के लिये यहत विपाद पाया। पोर देगा. ०३५३ पू. के मध्य पूना सहरमे ५५ मीम .. .