पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/४२२

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३०७ और पशिमघाटमे नगभग १६ मीलको दूरी पर अवस्थित | कोठगेमें १२ गुहाएं है । जुनार के पूर्व मानमोरी पाढ़ है। इस शहरके उत्तरमें एक नदी और दक्षिण में | पर भी बहुतमो गुहा देखो जाती है। कहा जाता है कि गिवनेरी दुर्ग है । यहांको लोकसंस्था प्राय: ८६०५ है। भोमगारगुहा भीममे बनाई गई है। .. जुनार उपविभागके राजकीय सभी कार्य इमी नगर, मानमोरो पहाड़ के ऊपर फकोरको मजिद के ममोप होते हैं। यहां एक म्य निमपालिटी, एक मवाज | जो जलाशय निर्माण किया गया था, यद कभी नहीं पदालत, एक डाकवर और एक दातय प्रोपधालय है। मूखता है। जुनारके पहाड़ पर भो महुतमी गुहाए हैं। मुमलमानों के समयसे ही जुन्नर नगरका प्रायतन कम हो म गुहा बाज, चीन, फतार, शहदकी मश्यो पादि गया है तथा महाराष्ट्रगण प्रबल हो कर जब विचार | रहती हैं। हम पहाड़के दनिएकी पोर ८ हार है जो और शामनालयको पूना उठा लाये थे, तभीमे | परम्पर एक दूसरे से मिन्ने हुये हैं। पहाड़ के अपर जितने जनारको ग्याति बहुत न्न न हो गई। कुछ भो | ये है उनमें पोरजादाके मम्मानार्थ निमित ईदगाह हो अभी भी जुनारको प्रतिभा कम नहीं है-नाना ! पोर एक कत्र ये दो हो प्रधान है। इसके कुछ नोचे घाटोंसे जो अनाज और वाणिज्य द्रव्यादि कोहण में जलाययरे मसौप जो मजिद है उमको निर्माण प्रपाली भेजा जाता है यह पहले जुनारमें ही जमा होता है। विम्मयजनक है। मसजिद चांदयात्री के स्मरणार्थ वमा पूर्व समय में यहाँका कागज बहुत प्रमिह था, किन्तु - गई. गो। जुनार शहरमें मुमनमानों के पूर्व शालीन जोक आमकल यूरोपीय कागजको प्रतिपन्डितामे जुनारका | जमको कई चित विद्यमान है । पाठ भिन्न भिन्न कागज दिनी दिन विलग होता जा रहा है। अब यहाँ | म्यामि म नगरका जल संग्रहोत होता था । कहा महुत घोड़ा कागज तैयार होता है। जाता है कि इन पाठ म्यानमे किमो भी स्थानमे जुनार. ____ महाराष्ट्र इतिहामके पढ़नेसे मान म होता है कि | के दुर्गको पाई जलमे परिपूर्ण की जा सकती थी पोर १४२६६ में मलिक-उल्-तिजरने जुनारदुर्ग बनाया किमो दूमरे स्थान महों के नीचेमे दुर्गम जन प्रयिष्ट था। १९५० ई में शिवाजीने यह दुर्ग ल टा था। कराया जाता था । जुनार शहरके हम्या में जुम्माममभिद १५९८ में गिवाजीके पितामहने शिवनेर दुर्ग | घोर बावनचीरी विशेष उल्लेग्लयोग्य है । यापनचोरोके अधिकार किया और उमी दुर्ग में १९२७ ई० में शिवाजो.] मामने एक प्रविलिमर्खाका गौरवार्थ उस्कोप गिलास का जन्म हुपा। महाराष्ट्रीय युद्धकालमें यह दुर्ग | पाया जाता है। कई एक भावों के हाथ लगा था। यहां बहुतमे झरने जुनार पहले पच्छे नगरोमि गिना जाता था। प्रमो है। पौरदीपक शासनके ममय यहाँ मुगल मैन्योंकी। यद्यपि दो एक प्राचीन धर्म गाना पोर सुन्दर उद्यान देख छावनी पी और ममय ममय राजप्रतिनिधि पा कर जाते हैं महो किन्तु इस शहरको पयस्या गोपनीय पोर रहते थे। . दरिद्र भायापम । १५५०९०३ गदर पाद जुनार - पाले इस शहर का नाम जुनानगर था; उसका अप• फिर अपने पूर्व मोन्दयो भूपिम नहीं हो सका। भंग हो कर जुमार नामको उत्पत्ति हुई है। सुनार के ___यहाक मुमनमान पधियामियों में भैयद, पीरजादा चारों पोर. बातमी गुहाएं है जो बौदों के ममय भी। पीर बैग येतो तीनों वंश प्रधान, मुहर्रम ममय यह धीं। गणेशगुना मधमे मिह है। निग] अत्यन्त उडत को उठे थे। कागनी नामक समनमान पहाड़ पर यह गुमा निर्मित है उसका नाम गोग मम्प्रदाय म शहरमें कागज सेयार करता है। पहाड़ पीर घाम पामझी ममतल भूमिका नाम गणेगा जुनारके मुमतमान पतास करपिय पोर टुटान्त गा। सुनारमें गर्षिगदेय हो पधिक देखे जाते हैं। यर्म गोया योर सयो धेषों मुमनमान याग करने गोगलेगा पीर सुनगोनेना गुजाको निर्मान-प्रगानो पक्षिा प्रदेगमें शुमार सन्नामवम का केन्द्रम्प न्यान्य गुहाको निर्माण प्रणालोमे पृथय। वारा• कार गिना जाता है। यहा मुमरमानोगप्रतिर Vol. VIII.95