पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/४२८

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नुया हुई हाथ पकड़ कर तालके अनुमार नाचतो रहतो है। विवाह पहले ही वर कन्याका मयाम हो जाय, तो नाचते समय २०१२५ स्त्रियों का एक माय मफाई | उसमें विग्रेप कुछ पापत्ति नहीं। इनको विवाहमा पत्रवधनको उठाना गिराना बड़ा हो हाम्योद्दीपक बहुत हो महज है। किमो युवकको किमो कामिनोफे है। ये गले में कांचवी माना ( कई फेर लगा कर } माय विवाह करने को इच्छा होने पर, वह अपने यार पहनती है, सामने झुक कर नाचते ममय वह दोस्तीको कन्यारे पिता के पास भेजता है। उनका प्रम्ताय माता • जमोनसे लग जाती है, उH ममय ग्राध होने पर विवाहका दिन स्थिर होसाई पौर यर ये बाए हाथमे मालाका अग्रभाग पकड़े रहती है। पत्र पण-स्वरूप कन्या पिताको एक गाड़ी धाम भेज देता यमनके विषय में ये कहती हैं कि किसी ममयमें इन है। विवाह के दिन कन्या परके घर लायो साती है. बहुत ही बढ़िया कपड़े थे, उनके मैले हो जाने के भयसे यहां उसको नये पीतन गहने और यमादि पहनाये ये उन्हें उतार कर एसी पोशाकमे गोशालाका काम | जाते हैं, फिर यथारोलिम विवाद होता है। विवाहमें करती थीं। एक दिन ठाकुरानी, किमी किसीके मतमे | पुरोहितको पावश्यकता नहीं होती। हा कमी कमी 'मीता ठाकुरानीने या कर उनके इस येशमै देखा, म ग्रामके टेडो पा कर नवदम्पती मनसायं उनके मम्तक पर उन्होंने शाप दिया कि-"तुम लोग मदा ऐसे ही | पर तगड न पौर स्ट्रिा लगा कर पायोर्वाद करते है। पव-वमन पहनोगी. इमको छोड़ कर वस्त्र पहननेमे | विवाह के बाद पात्मीय कुटु स्यियौका भी होता है। तुम्हारे प्राण जायगे। दूसरे दिन प्रातःकाल के समय प्रत्येकको चायल पीर कोई कोई यह कहती हैं कि एक दिन वेगरिणी धान दे कर विदा करते हैं। बहुयियाह मिपिड तो , नदोको अधिष्ठात्री देवीने गोनासिका पर्वतमे सम्मा | नहीं है, पर ये पहलो स्त्री ममती या पध्या विना एए पाविर्भूत हो कर ताण्डवमग्न नग्न जुयाङ्गोका एक झुगड | दूसरा थियार नहीं करते। पगिक मरने पर विधया देखा, उसो ममय उन्होंने पत्तों द्वारा उनको लज्जाको रक्षा | देवरके साथ धरेजा कर सकती है, पर मैं याध्य याध. भरने के लिए प्रासादो और शाप दिया कि-"तुम लोग फता नहीं है। दूमरे किमी के माथ धीजा करमा हो, चिरकाल पर्यन्त इमो परिच्छदको पहनना, अन्यथा | तो एक वर्ष तक टहरनेकी पायमकता है। ऐसे धीजे करने की मृत्यु होगी।" में वरको सिर्फ वा के लिए पोलकी चूड़ियां और नये इमेगामे जुयाङ्क स्त्रियां इस पानाका पालन करतो। पटे देने पड़ते हैं तथा बभ्र-वान्धीको सिलाना पाई थीं। पीछे १८७१६०म उभर राज्यके सुपरिण्टे ।। पड़ता है। स्त्री प्यभिचारिणो हो, तो चायत कार्क गडे गट एफ. जे. जननने स्वयं उन्हें वस्त कर ये उसे त्याग सकते हैं। वहतमे लोग दिना किमी दोप- पहननेका पादेश दिया और उम भापको तोड़ दिया | के हो भोको छोड़ देते हैं, एमो हानतम कम्पाके अब वे कपड़ा पहनना मोख गई है पौर पीतबके कड़े। पिताको एक गाय और कुछ रुपये देने पड़ते हैं। परि. धूड़ियां और कार्प फूल पहनने लगी हैं। ये गहने नरे | त्यता ती पिताके घर रहती है और वह विधवाको बहुत प्रिय है। तरच पुनः नयीन पतिको ग्रहण कर सकती है। फिन. . ज्यागोंमें नातिविभाग तो नहीं हैं, पर भिव भिव जान बहुतमे नयाग हिन्दुका पनुकरण कर याद. थेगो विभाग प्रपश्य है। मयम परस्पर विया पादि विवाद प्रचलित कर रहे हैं। मम्मन्ध होते हैं, परन्तु को अपनी योगीमें विवाह नहीं इनको मापार्मि र स्वर्ग पोर नरकके नाम नहीं कर सकता। पति निकट सम्बन्धी होनेमे विवाह निपिहाये छातम कल्पित देवतापीको चामना करने है। पण, पचो और तणदिक नामानुमार इनकी यया-वगम पर्धात् यमदेयता, पामपति ग्रामदेय, योपियों के नाम एए । मामिमूली, कामापार, वारली और यमुमती पर्यात् ये फन्याका विवाद पूरी न होने पर करते हैं। प्रषियो। म देवशायीको ये बाग, मरिच, मुरगी, दूध