पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/४३४

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३८ जुलू-जुल्फिकरखां ___ 'जुल-दक्षिण अफ्रीकाकी काफिरजातिको एक शाखा।| मार डाला। अन्तमें प्रोनन्दाजी की जीत हुई । ये अभी यह जाति नेटाल और एमके उत्तर-पूर्व प्रदेश में रहती है। इस देश के कई स्थानों में यस गये हैं। - इनके मुखको यी निग्रो पौर यूरोपीय जातिके बोधको | जुन्नूम (हि.पु. ) जुल्म देखो। है। इनके बाल निग्रो लोगोंके समान हैं, किन्त नुल्फ (फा. स्तो०) पुरुषों के सिर के बाल को पीछेको पोर भनति सच मुख और सामान्य स्थ ल मोठाधर कुछ कुछ गिरे और वरावर कटे होते हैं, कुन्ने । यूरोपियों के सहश है। | जुल्फिकर पली-मम्त नाममे परिचित एक मुसलमान नयी प्रकृति प्रति भीषण है, दलपतिके पादेग पाने | विद्वान् । इन्होंने रयाज उम्-विफाक नामक एक सजकोर पर ये नरहत्या, चोरी, लूट प्रादि किसी भी नृशंस कार्य लिखी है। इस पुस्तकमें कलको पौर घनारमके जिसमें करने में प्रागा पीछा नहीं करते। इतने पर भी ये कषि फारमो भापामें कविता लिपले घे, उनकी जीवनी काफिजातिको अन्यान्य शाखापोंसे शान्तिप्रिय है और | लिखी है। १८१४ ई० में बनारसमे इम पुस्तकका सिावना खेतीबारी करना पसन्द करते हैं । साधारणतः जुलू लोग समाप पाया। इन्होंने और भी कई एक पुस्तके लिखी है। शान्त, पमायिक, सरल और प्रफुलचित्त होते हैं। ये | जुल्फिकर मस्तीखा-बन्दा प्रदेश नवाय । ये बुन्देल. फुछ कुछ पातिधेय और न्यायपर तो हैं, पर साथ ही अत्यन्त लोभी और सपा भी हैं। रखण्डके शासनकर्ता पली बहादुरके पुत्र थे। ये १८२० १ में २. पगस्त को अपने भाई शमशेर बहादुरके सिंहा. ये प्रधानत: ४ शाखामी विभत्ता है,-मामाजदूर मन पर बैठे थे। इनके बाद असो यहादुर पा नयाय पामाहुट, पामाचाजी भोर प्रामाटेयेल । इनके बहुतसे हुए थे। छोटे छोटे दल उत्तर और दक्षिणको पोर झा बमे हैं। | जुल्फिकरखा ( अमीर-उल-उमरा)-१पासदखाने पुत्र । जुलू देश-दक्षिण अमिषाके नेटाल उपनिधेशके उत्तर १६५७ ई० में (हिजरा १०६७) इनका जन्म एपा था। पूर्व वा एक प्रदेश। इस प्रदेशमें स्वाधीन जुलुपीका इनका पूर्व नाम था नमरतनना और उपाधि यातकद याम है। इसके पूर्व पर्यात् सपफूल विभागमे निम्रपान्तर खाँ। बादशाह भारतमगोर के राज्य काम्तमें ये मिम मिय पौर परिममें प्राय: १७ हजार फुट अंची मान्नभूमि है। पदों पर नियुक्त हुए थे। राजारामने जब मनोरका पभी इन दो भागों में एक पर्व तयणी यिस्टत है। उप- गिनी दुर्ग पर अधिकार कर लिया था, उस समय बाद. फूसमें कहीं भो जङ्गल नहीं है, इसके चारों तरफ धाम |

गाइने रनको (१५८१.में) उमा दुर्ग को पवरोध

दीख पड़ती है । सेगटलुसिया नदी और देलगोया खाड़ी | करने के लिए भेजा था। परन्तु ये परामित हो कर भाग के मध्यस्य भूभाग समतल दलदल पीर अस्वास्थ्यकर है। लोट पाये। सम्राट् पोरगीवने पन्यान्य मेनापतिको इसके मिया उपकूल विभागका अधिकांश नेटानको ना महायनासे उत दुर्ग को चधिकार करनेमें समय हो स्वास्थ्यकर पीर जवरा है। ईख, कपाम, तथा गर्म देशों के कर पुनः इनको वहां भेजा। इम वार ने दुर्ग समम्त उत्पम फल मूलादि यहां उत्पन होते हैं। हाथी- पधिकार कर लिया ; राजाराम परिवार महित ( १६८९ के दांत पीर गैंडाके सींग चमड़े भादि प्रधान याग्विज्य ई.में) भाग गये। १५८८में स्फियरमे राजा. द्रश्य है। देसगोया खाड़ी में जो नदियों गिरी है, उनमें रामको परास्त कर मतारा दुर्ग पधिकार कर लिया पोर वाणिज्यको नाय पदुस दूर तक माती पातो है। सिंगद तक उनका पीडा किया। कुमार कमरवण, ___ईमाई मिशनरोस देशमें पहुत दिनोंमे रपत पाये | दागुटमा पमी पादि रोगापति बम दिनों दिलो । उहोंके ययरी शमगा सभ्य हो गये हैं। टुको धौरहने पर भी उस पर कसान पर मोघे, • १८२६ में पदुतमे पोतदान रूपक दम देशम पा | किना शुस्फिकर पाने उमे जीत कर पनी वीरताका कर बम गये थे। शुनू रामाने घोषणा कार यदुनीको परिचय दिया था। पादगार पीपली मायुके बाद Vol. Vil.08 .