पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/४३७

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लगे। जुल्फिकरखां • उनके पुत्रों में परम्पर राज्य सम्बन्धी विवाद उपस्थित जहान्दारने शुल्फिकारको प्रधान वजीर बनाया हुआ। जुक्किकर कुमार पाजिमको सहायता करने उनके गजवकालमें जुल्फिमरखो असोम क्षमता परिचालना करते थे। ये अपनी इच्छा अनुसार हर __ मुयाजिम और प्राजिमकी मेना रणक्षेदमें उपस्थित एक काम कर सकते थे। जुल्फि करणां धीरे धीरे इतने दुई। युहके प्रारम्भमें हो दूसरी पोरमे बड़ी मारो गर्वित हो गये थे कि, कोई भी उनमे मिन न समता या। प्राधी पाई, जिससे कुमार पाजिमको सेना धवड़ा गई, राजकीय समस्त कार्य इनके अधीन थे। मप वेतन बहुदर्शी जुल्फिकारने पाजिमको यदसे निहत्त होनेको प्रादिका भी ये हो निश्चय करते थे। कुछ समय पहे सलाह दी। किन्तु प्राजिमने इनकी बात पर ध्यान न लालकुमारी माईका हत्ति निमित करने के विषय दिया, इसमे तुलफिकारने उनका पन छोड़ दिया। नहान्दारके साथ इनका मनोमालिन्य हो गया। . . मुयाजिम 'महादुरशाह' उपाधि धारण कर राजसिंहासन ___एक दिन जुल्फिकरने लालमारोके भाईसे ५०० पर बैठ गये और उन्हों ने जुल्फिकारखोके अपराधों को वीपा और ७००० मृदङ्ग मांगे • वादगाहने अमीर-उल- माफ कर उन्हें 'अमीर-उल उमरा'को उपाधि प्रदान उमराको वुना कर इस अवमाननाका कारण पूछा। को (१११८ हिजरा, १००७ में)। वजीरने उत्तर दिया-नत्तं को और गायको हारा भइ' . कुछ दिन पोछे वाहादुरगाहने इन्हें दक्षिण देशका | पुरुषों के अधिकार हड़प किये जानेमे उनकी भाजीविका- भासनकर्ता नियुक्त किया। परन्तु इनकी सलाह के बिना के निर्वाहके लिए कोई उपाय करना उचित है । ये या राजकार्य सुचारु रूपसे न चलेगा, यह सोच कर शीन | बादशाहले कर्मचारियों को बांटे जायगे। जुल्फिकर ही इन्हें राजधानी में बुला लिया। दायुदखा पनोको बादशाह अथवा उनके प्रियपात्रोमे किमी प्रकार डरते इनका प्रतिनिधि बना कर दाक्षिणात्य भेज दिया गया। न थे। यहादुरयाहको मृत्यु के बाद उन्होंके २य पुत्र प्राजिम १७१२ ई०के पन्नमें सम्बाद पाया कि, फरुपियार धम्मानके बादशाह होने पर जुल्फिकारने उनके विरुद्ध दिलोका सिंहासन अधिकार करने के लिए अग्रसर हो रहे प्रम्य तीन भाइयों को उत्तेजित किया। युद्दमें दो भाइयों को मृत्यु होने पर मौजउद्दीन और हैं। जहान्दार यह सम्बाद पा कर उनकी गतिको रोकने . के सिल्फिकर के साथ प्रागराकी तरफ अयमर हुए। रफी-उयमान इन दोनों में झगड़ा उपस्थित हुपा। भागर.... - दोनों में युद्ध हुपा। जहान्दारमा प्रथम रफी उग मानके साथ इनकी विशेष मित्रता थो। युडके बाद डर कर भाग गये। जुल्फिकरने बहुत देर तक . रफो-उस-भान इनको मामा कहा करते थे तथा विशेष वीरताके साथ युद्ध किया। अन्त में उन्होंने विजय पुल्फिकारने भो कुमारको सहायता देने के लिए प्रतिमा की कुछ प्राशा न देख कर सेना के साथ मुशलभाव की थो। इनकी बात पर विस्ताम करके हौरफी ठश-गान युद्धव शेड़ दिया और दिलो जा कर पाने पिता मौजउद्दीनमे युद्ध करनेको साइमी हुए थे, किन्तु युद्ध के भासदखोके घर भायय लिया। प्रारम्भमें ही उन्होंने देखा कि उनके मित्र पौर हिसपी पमोर उन-उमरा मौजउद्दीनके माय मिन गये हैं और छल्फिकरने देखा कि. जहान्दारयाइ उनसे पहले मोजउद्दीन मेनाको युद्धका उपदेश दे रहे हैं। जनिक हो वहाँ प्रा गये हैं। उन्होंने वादगाइको लेकर करवाने रफो उग मानके एक विश्वस्त मनुचरके साथ दाक्षिणात्यकी पोर माग नानशी रा प्रकट की शिन्तु पंड्यन्त्र कर लिया था। युके समय उस पापायने भी पामदखाने इस परामर्गमें बाधा दे कर फरसगियारको कुमारका माय छोड़ कर उनके विरह पस्त्रधारय किया। प्रधीनता स्वीकार करनेको सलाह दी।, . . युपी मौज-उद-दीनको विजय हुई ; पोर नानदारगा! फिकर अपने पिताके परामर्यानुमार दोनों अपाधि भारतकर ये सिंहासन पर बैठ गये। . . बायोको वस्त्र धारा बोध कर फाथियार के पास पहुंचे।