पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/४४५

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२८६ सूनागढ़ यामियों को मद्दत उर हो गया। तब उन्होंने पाममम, करने लगा। इतने में विजन नामक एक चार पाकर पंप किया। उमो ममयमे जूनागढ़ मुगलौके पधिकार- उसके माथ पढ़यन्त्र में शामिल हो गया। विजन पारि. - .. : तोषिकके लोभले रायदयामका मस्तक काट कर पाना , १७३५ ई. में प्रारम्भमें गुजरातके मुगल सम्राट के | राजको ना देने के लिये राजोपा। वह चारण जानना प्रतिनिधि अपना अधिकार खोने लगे। इस समय उनके | घा कि रायदयाम करके समान दाता है। वास्तयम, प्रधानमय कर एक विनामधातक सयौन क्षमतामाली। प्रार्थना करते ही अपना सिर उसे अर्पण कर सकते है। होकर गुजरातमे इन्हें भगा दिया और वहां प्रपना जिस दिन चारपने राजाके पाम प्रस्थान किया उमले एक . अधिकार जमाया। उन्हीं के उत्तराधिकारी "नयाव"को | रात पहले मोरठको रानोने खप्रमें देखा कि एक मस्तकहीन . . उपाधि धारण कर जनागदमें राज्य कर रहे हैं। मनुष्य उसके मामने खड़ा है। इसका शुभापम पूरने . प्रयाद है कि पहले जब जनागढ़ में हिन्दूराज्य था | पर ज्योतिषियोंने कहा कि शीघ डो उसका खामी उम ममय गिरनारके उग्रमेनको कन्या और परिष्टनेमिः। पपना मस्तक काट कर किमीको उपहार देगा! रानीने को तो राजीमतीका यामह दुर्ग के निकट था । नमिः | भयभीत हो कर राजाको छिपा रखा। परन्तु नाथने एक दिन अपने मातिभ्राता कणका पत्यन्त | उम विश्वामघातक विजलने राजाफे गुप्त वामस्थामका प्रकाण्ड गंग्न बजाया या। फणने उसके सामर्थ्यमे डर! पता लगा कर उनके निकट भाया पीर कुछ गान करने कर उमका शारीरिक बनहरमा करने के लिए नेमिनाथ. लगा। राजाने रस्मे और लाठोके सहारे उसे अपने पास को १०. गोपियों के माय विवाह करने कहा पीर राजा बुलाया। उम पापागयने राजामे मस्तकके लिये प्रार्यमा मतोके माय नैमिनाधका विवाह सम्बन्ध स्थिर कर दिया। को भोर वे भी कमों गमय उमे देने के लिये राजो को वाहा शाता है कि 'वाल' यंगोयगण पहले जूनागढ़ में गये। मोरठ-रानौने उस पापी घारमा मत बदनने के गज्य करते थे इस यंशक रामराम निःमन्नान थे। लिये बहुत अनुरोध किया कि निफल हुपा। राजा नगरठठारकै राजाके साथ उनकी बहिनका विवाह हुमा | भी अपनी प्रतिमाम विचलित न पुए। उन्होंने अपना घा, यह राजा मामा-वंग घे । रामराजान अपने भानजे | मिर काट कर सम चारणको देनेका पादेश किया। रागारियाको अपना राज्य प्रदान किया। रागारियो । राजाको मृत्युके बाट पहनराजने महाहीम जूनागढ़ अनागढ़ के चूड़ाममा यंगके राजाओं के यादिपुरुष थे। राजा अपने अधिकार कर लिया पोर थानदारको यहाँ रागारियो की मृत्य के बाद दो राजाओंने जूनागदमे का प्रतिनिधि बना कर स्वराज्यको प्रस्थान किया। राजा किया। बाद गयदयाम सिंहामन पर अभिपित राना दयासकी पहली म्ती भपने स्वामीके माय मती ये। इस ममय पहनके राजाने एक बार जूनागढ़ पर हो गई। उनकी टूमरी स्त्रो गजवाई अपने पुत्र नोधात अधिकार किया। पहनको राजकुमारी जब एक दिन के साथ यान्यनो नामक स्थानमें रहती दी। उन्होंने मोगनाय के दर्शन के निये पा रहो यो। रायदयामने | अपने पुत्रको देवतबोदर नामक पग्लिदर-बोडीधरके किमी 8ो सन्दरता पर मुग्ध हो कर बलपूर्वक उममे विवाद अहोरको घरमें छिपा रखा। देवेतके भाई से यह रहस्य , . फरने को नेटा की। पहन राजने यह ममाचार पा कर | जान लेने पर यानदारने देवेतको बुला मजा पीर नोधाप जुनागढ़ के राजाको दमन करने के लिये मेनाका एक दल । को दे देने के लिये कहा। इस पर देवतने जवाध दिया "मैं इस विषयमें कुछ भी नहीं जानता, 'पार व रायदयामने गिरनार दुर्गम पायय निया। परनमेरे घरमें होगा तो में हमे (नोधण) पापके पास भेन रामने यहुत दिन तक हम दुर्ग को घेर रखा घा मदी देने कोलि मकता।" देवेतका पत्र पाकर चारों गिना रमे पधिशारों मा न मका। बाद भग्नमनोग्य । पोरसे पहोरगप जट कर युछ करनेके लिये प्रश्न हो सो घर मा पानी राजधानीको भोट पानशा प्रपत्र गये। इधर गोपाइको पनि विरम्म देश यामशार ..