पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/४४७

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३८८ सूनागढ़े पनेक गप्यमान्य प्रभान व्यक्ति के अच्छे पच्छे घर | पौर साडली बीबीकी मुफर्याको गठनमे भिव . नगरकी गोभाको बदा रहे हैं। । मृगीकुछ या भवनाय सरोवर तया समीके हिनारे ___ नवा वाम-भवनके मामने बसमी दूकान हैं। भवनायका पुराना मन्दिर विद्यमान है। इस मन्दिा जिन्द लोग महायत्वक्र कहते हैं। यह एक बड़ा चौकठमें एक प्राचीन लेख है। गिरनार पहाडके मौके मन्दिर है जिमके अपर एक घड़ी लगी हुई है। मोरदेवोका मन्दिर भी विग्यान है। प्राचीन ज नागढ़ प्रभी उपरकोट नाममे मगहर है। ज नागढ़मे मील पथिममें सेवारपाय है। इम इम नगरको गुजरात के मुनतान महमूदने स्यापन किया नौचेका भाग दुनने का.मा है। प्रभो यह पाय नट हो था। वर्तमान शहरका प्रकत नाम मुस्तफाबाद है। । गया है। अनागढ़म प्रायः एक मोलको पूर्व की पोर दामोदर जूनागढ़ और दामोदरकुण्ड के मध्ययतों पहाड़ पर कुण्ड नामक एक पवित्र तीर्थ है । एक छोटो निझरिणी अशोक, स्कन्दगुम पीर रुद्रदामाशे तोन प्राचोन गिना. के ससमे यह कुण्इ मदा भरा रहता है। हम कुण्ड़के नेष उत्कीर्ण है। ज नागढ़ के उत्तर माइघधेची मामक उत्तर और दतिको पोर यदुनमी घाटें हैं। उत्तर स्थानमें दातार नामकी एक छोटी गुहा है, जिसके ममोप घाटके समीप मभ्रान्त नागर ब्राह्मणों का समयान- ३८ फुट सम्बो.एक मसजिद है।. इम हार के माम्बरः मन्दिर पीर दक्षिण घाटके ममीप दामोटरजोका मन्दिर कार्य तथा खम्भे को पारुतिको पोर हट डाननमे विद्यमान है। यह मन्दिर बहुत पुराना होने पर भी | माल म पड़ता है कि पहले यह महादेसका एक मन्दिर नयामा दीख पड़ता है। कहा जाता है कि वचनामने । था। माघधेची स्थान के निकट पापा कोडियाकी पांच इम मन्दिर को घनाया था। उ होने का नोन पुरुप | गुहाएं हैं जो दूमरी दूसरी गुहामे मिलो ६ । पापा बाट सम्म प्रहाप किया था। इम मन्दिर को और जो | कोड़िया गुहाके विषयमें पहले से मिला जा चुका है। मान्तर है उमकी लम्बाई १०८ फुट पोर चौड़ाई १२५ / इस गुहा में ५८ स्तम्भ लगे हैं मोर स्तम्भों के सामने मिंध फुट है। यहाँ धर्मशाला पोर वनदेयजो का एक मन्दिर | प्रभृति पय पोको मूर्तियां मोदी हुई है। तोमरी गुराको उस मन्दिरके अपरम यदुतमो मूर्तियां खोदी हुई। दीवार पर फारमीका शिलालेख है। है। दामोदरजोक मन्दिरका प्राङ्गण रेवतीकुण्ड तक वामनस्थलो या धान्यालोमें सूर्यकुण्ड है ! ल नाग विम्त त है। यहां दो प्राचीन गिनालेख पीर बातमी तथा रमके घामपामके अधियामो हर एक पर्व को इम मूर्तियां देखी जाती है। इस स्थानमें प्यारावाधा मठके | सूर्य कुण्ड में मान करने पाता है। कुण्डको लम्बाई पोर ममोप ८ साविम पयंतगुहा है। ये फन्दायें पभो धासमे | चौड़ाई ३२ फुट है। टकी । म मिया इस पर्व तक दधिषकी पोर सपरम जिम जुमाममजिदके विषयम निप्पा गया है, मात कन्दरायें है। यहांशी जुमामममिद, पादि घडी. वह पहले हिन्दुओं का एक मन्दिर था पीर कहा जाता चाय पीर नोधाण कूप विशेष प्रमिह है। हम गुहा कि यह राजा बलिका ममाभयन था। मका पधि सपका मजमा २० फुट सम्या पोर ३ फुट घोड़ा है। काम मुसलमानाने किम भिव कर मे ममजिद में परि ' इमम पम्मे लगे हैं। पोर पाभेके परमें बदतमी पत कर लिया है। इस ममजिद के दक्षिण भागमें एक मूर्तियां पोदी दुई सय नोचेके मजलेको पन्धकारमय है। टम के एक स्तम्मम १४.. समाई घोड़ी ४ फुट है। यह गुडा २८ फट गएरो सम्पतका पदा हा एक मस्त थिमालेख है। स मके अपरमें एक छेद है. उस दो प्रशाग। ___. मागद मान्दोम नामक नगरम मी एक जमा भीतर प्रपिट होता है। पहमद पांजीको मुकर्या मुमम ममभिद है। यह मकान पर पहम १२०८ सम्मम मान रीनिक पशुमार तरह तरह के भास्करका मे | अठया राजापनि वमयाया था। बाद १९४म . . भगोभित। किन्त रममा भामरकाय यहादुरणपो| सममाने उसे ममप्रिदर्म परिपत दिया। यहां एक . '