पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/४४८

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जूनागढ़-जम ३६६ प्राचीन देवमन्दिरने भी वायनी ममजिद नाम धारण को मानमे रमका जन इतना बढ़ गया था कि ननकी किया है। मममजिदौ १४५२ भारतका एक उत्कीर्ण | धारामे एक बांधका बहुम भाग टट फट गया था। गिलालेख है। देनषाद और कनाके ममीप गुमप्रयाग, | जुनागदमें मुगन कुडमा नाम पभो विलुप्त हो माणगया, रुद्रगया और विष्णुगया पति कई एक गया है। तीर्थ । मनापाडर-घम्बई, प्रान्सको काठिगावाड़ पोलिटिकम तुलसीयाममे दो मोन पूर्य भीमचाम नामको एजेन्सीका एक सुद्र राज्य । एक खाई है। १२फुट मचे म्यानमे जामेरी नदीका जनियर (प. वि०=Junior ) कालक्रममे पिकना, जन हम वाईमें गिरता है। कहा जाता है कि एक दिन | कोटा, जो पोका हो। भीमकी माता कुन्सोदेवीने प्याममे भाकुन हो कर भोम | निर-वम्बई प्रदेश के प्रतर्गत पूना पीर मामिक नगर से जल लानको कहा। भीममे इलमे जमोन बैट कर बोचका एक नगर । इम ममोप बहुतमे घोड-मठ पौर यथेष्ट जन्न बाहर निकाला। इसी कारग्य इस साईका | गुमाएं है जो देखनमें परत उमदा है। नाम भीमघास पड़ा है। इसके निकट कुन्तीर नामक ) जुनोना मध्यप्रदेशके पतर्गत चन्दा जिले का एक प्रायोन एक मन्दिर विद्यमान है। पूवापाड़ा ग्राम चापियर) ग्राम । यह पता. १८५५ ३० पौर देगा २८ २९ कुगडमें अनेक यायो पर्व के उपलक्ष मान करनेको पू.में बसालपुरमे ६ मील उत्तर पपस्थित है। मानम पाते हैं। इस कुण्ड मे थोड़ी दूर पर एक मूर्य का मन्दिर होता है, जब बनामपुरम चन्दा के गौडको राजधानी थी. है। उम मन्दिर के धार पर एक उत्कीर्ण शिलालेख है। तब हमके माघ जुनोना मंधुझ था। म प्राममें एक चक्रतीर्थ (विपए गया ) एक प्रस्तर-लिपि पाई पुराने नालायके किनारे प्राचोग प्रासादका भग्नावशेष जाती है। यह सिवि याम्तबोध परमैं लिखी है। पड़ा है। महे अगलहोम ४ मीम नया एक प्राचीरका जनागद के पामका गिरनार पर्वत पहले उज्जयन्त नाममे ! भग्नावगेप है। किमो ममय इस तानाबमें बधुतसे जम- यिख्यात था। उमयात देशो । गिरनार पहाड़के २००० फुट | मौकरमे मिले। अचे स्थान पर पदसमें प्राचीन जैनमन्दिर है। जप (हिं. पु.) १ घन, भूपा । २ पियारमें होनेवाली गिरनारक भवनाथ साहटके निकट दो छोटी नदिया। एक रिवाज । उममें घर पोर यध परम्पर न पापिसते प्रवाहित हैं, जिनमे एकमा नाम सोनारेमा । म) हैं। रमको पामा भी कहते हैं। स्थान के निकट एक प्राचीन बांधकी रेवा देवी जाती है। जया-मध्यमदेग: छोटानागपुर विभागमे सरगुजा यह वौध दामोदरकुपड़के समीप मुमनमान फकीर राज्यके पन्तर्गत एक परित्यक्ता दुर्ग। यह पचा २१ जरामाकी मसजिदके ठीक विपरीत पोर पड़ता है। ४३१० पोर देगा०८३२१ में मानपूग पाममे नगः मद्रदामाका जो उस्को गितालेय पाया गया है, उममें | भग २ मीन दहिग्ण पूर्व एक पार कपर पशित लिया , कि यह वाध राजा रुद्रदामाके राशत्व कालुके है। दुर्ग के नोचे एक गहरी मार है। यदि अना हाईमय पर्प टट फूट गया था। किन्तु कोई कोई में प्रग र पुराने मन्दिरीका मागेव देपनमें प्रस्ताववित् कद्रदामा राजस्व कालमें यह बाप था | पाता है। मंडहरों के पापर वपतमे इस मग..। म विषय मन्द प्रगट करते है। उनका कहना मन्दिरम' पनेक प्रकारको गोदो मूर्तिया चौर सिद्ध ९. कि यह बांध कद्रदामा के बाद मनाया गया है पौर प्रतिष्ठित हरदोष मिसालेपमें जो समय यर्णित है. यह पपग-पालक पनाग न पश्यामके पाव प्रदेशका एक मुद्राका मपाएकान है। सायिका। तिनो भो पार्यस्य प्राप्ति प्रधानतः इम ____पुणगुमगे गिरनार पहाडके नीचे मुदर्शन मामकाप्रकारका पिकार्य करतो. 81 मयको अमिया' एक सरोपर उदवाया था। एकदिन पकमात् टिकहते सया मध्यप्रदेश पोरदोटानागपुर पादि स्थानों +s