पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/४७६

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जैनधर्म ४३१ सोमो कानके अन्तम (तोमरा कान पूर्ण नमन ! कतकी पद बाँध दो। मोग अपनी दो अनुमार १ पपका पाठयो हिम्मा शाको रहा तय) पापाट | उनका दपयोग करने मगे। इनके पास करोड़ वर्ष गुता पूर्णिमाके दिन मायं कालको सूर्य का परा होना बाट टे मनु सोमवाए। मामय कापरयों पोर चन्द्र का उदय होना दिपाई दिया। (यद्यपि चन्द्र निए विवाद पर भी पद गया। रन्टीने पुन: उनकी और सूर्य अनादिकाल मगर उदय अम्त सोते रहे | नरोतिम इट मांध दी। मन पमध्य कोष वर्ष थे, किन्तु ज्योतिराष्ट्र जाति कम्पनी प्रसाड़ प्रशागमे इद ने सुनर विनयादनका पाविभाय एमा । मोगको मयं पोर चन्द्र दिग्वलाई नहीं देते थे।) लोग इननि हायी. घाटा जेट शादि पर भवार होनको नको देख कर डर गये पोर मटि परियतेन के नियम | गेतिका प्रचार किया। इन अमंग्य रोद वर्ष बाद वं मामा अधम कुनकर (वा मनु) प्रतिगुतर्क पाम पहुंचे। कुनका चनुमान पायर्भत भए । एहने मन्ताम प्रतियुनने मयको समझा दिया-सूर्य चन्द्रमे डार्नका ! (पुर-पुयो, युगन) उपव चोक मायरा पितामाताको धोई कारण नहीं है, पद धोरे धीरे कम्पवयों का नाम | मृत्य हो जाती थी. किन्तु इनके ममय मिताहात सा हो जायगा पीर मरको कर्म करके निवास करना भर टार र मरने लगे। उन्होंने मोगीको ममझ या पड़ेगा। यम, यहां गे क भूमिका प्रारम्भ होता है पीर ! कि, मन्तान क्यों होती। इनहे पमंच करोड़ पर यहोंगे जैनधर्म के निदामका प्रारम्भ होता ६ बाट कुनकर ग्रगम्यान एए। उन्होंने मम्मानको (महापुराणान्तर्गत आदिपुगग) पागोषदाटि देनको विधि पतनार। इनके ममयः प्रयम कुलकर प्रतिसत पमध्य करोड़ों वर्ष बाद पिता-मामा ज्यादा समय तक जीवित रहने मर्ग। ममाति नामक २य कुलकर एए । इनके ममम ज्योतिरात मनानीका नामकरण भी रमई मायमे प्रचमित पा। नामक कम्पतरों का प्रभाग रतना सोग हो गया कि उनके पमंग्य करोड़ वर्ष पथात् १. मनु पभिनन्दन । पाका तार चोर नसव भी दिखाई देने लगे। नोग! इन समयमै प्रजा अपनी मान मा कोड़ा कर पागयान्वित हो कर मानि कुनकर ( मनु ) म ! लगी पोर. मनतान-पालनको विधि प्रशनित पई। मो पईये । नन्होंने प्योतिराम (सूर्य, चन्द्र पह, नक्षत्र मकड़ी वर्ष बाट ११ कुलकर पदामका पारिभान पादिका ममूद ) का एवं रावि, दिम, सूर्यप्रणा, पन्द्रमा नो ममय, मन्तान माग मा पोर भो फुल ग्रहप, ग्यंका पत्तरायण और दक्षिणायन होने पादिया, ज्यादा ममय तक जोने लगी। इनके फुट ममय पगार मम्पूर्ण प्रशामा का कर ज्योतिष विद्याको प्रवृत्ति को ।। १२ कुनकर मदेव एए। नौने अनमार्गमे गमन इम मंग्य कोड़ी यपं साद श्य कुनकर मार हुए। करने निए छोटो यो नाप पनिझा उगय पताया। सिंह, प्यास पार्टि कर जमा, जो पप तक गाना 2. पन्नी माय राममुट पोर छोटा यही को दिया माने करता धारण को। इम पर श्य कुनकर मार्ग। व एरं घी नया मेघ भी दोडो दल वर्षा करने पर म जौको मनुयायामा पृथक कर देने पर उनका न ममय समग्री र पुरुष दोन गगम तापव विमाम न करने की पाशा देकर जनममूहको भयरहित होने थे। उनहे कुछ ममय पया १३ हुमर पमन्ि किया। इनके बाट प्रर्य कुलकर (या मनु) हेमन्धर ए। म मायम मनान अरागुमे टी टाप होग १। इनके गमय कर अणेने पोर मो ज्यादा गो। नेि इम फाइका उपाय बताया। मेम भरता भारत को। इस पर उन्होंने लोगोको माठी पाद शिवकुसकर पाने की उपप एए , दिनान न रखने का उन्म दिया। नई मंन करोड़ वर्ष याद हा विवाह कर दियाएको रोति प्रगति की । म ५म कुलार मोमन्चरका साविभीमापारमके ममयम , बाद पति ( १४१) या मागोन nिt कम्प घर गये पोर फम कम देने मर्ग, निममे मोगा- पावित ए जोरदार पारामा में परमर धिपाद नि भगा। म पनी इंडिगे । इन ममयम बाहेर फेर हो गया पग भीगभूमिका