पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/४७७

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४३० सैनधर्म लिम तौर योमहायोरगामी वा यीमानको फोडाशीही मागर परिमितकालको कप कसरी निको प्राहियो (७) । | उत्सपिंगो और अवमर्पिनी काल ( भागों में भिन्न हमारे विवेचन यही पाता है कि, जिम ममय जाक्य , यया-(१) गापमासम्पमा. (२) म;पमा, (२) रा.प. बुग्ने सम्म भो नहीं लिया या, उममें भी बहुत पहले मादुःपमा, (४) दुःपमास:पमा, (५) दुःपमा पोर) जनधर्म प्रचनिन था। मानोनतम जनयुतमें बोह वा दुःपमादुःपमा। वर्तमान में प्रयमर्पियो कानमा यो वादेयका प्रम नहीं है, किन्तु ननितविमार पादि! विभाग टुःपमा चल रहा है। इसी तरह या कामवक प्राचीनतम योदग्रयों में निव' नाममे जेनीका उम्मेख! अनादि कालमे चनता पा रहा है पोर पनन्त काल तक मिलता है। चलता रहेगा प्रयास सष्टिका कभी भी नाश न होगा। बोध पीर जैनधर्म में किमो किसी विषयम' मौसा- जनमतानुसार मिर्फ अवनतिकी मीमा गेप होने पर हरा होने के कारण जैनधर्म को परवर्ती नहीं कहा जा र्यात ठे काल (टुपमाटुपमा के बाद पाण्डप्रनय. माता । माय रहने में हो यदि परवर्ती हो, तो हम मात्र होता है। रम सुम्पमामुःपमा कालका ममय ४ फोड़ा युतिम धर्म भी परयः मिड होता है। प्रत कोही मागरका थो। एम ममय मनुीको उत्फ ट पायु एप उपयु प्रमागों मे यो प्रमाणित होता है कि ३ पलाकी और गरीरको 'कंचाई २४... हायको. होती जनधर्म बौधर्म में पहले का है। यो। २य सुःपमाशालकी स्थिति ३ कोडाकोड़ी मागरको जनमतानुमा बनधर्म का इतिहा--जन प्रन्यों में प्रायः । थो। इममें मनुष्योंकी पायु २ पत्यको घोर गरीरको १म मातका वर्णन देखने में पाता है कि, जैनधर्म चाई १५... हायको यो। श्य सम्पमादुःपमाकानको पनादि पर उन्मर्पियो पवमपिणी कालके घराध स्थिति २ फोडाफोड़ो मागर, पायु १ पत्य चोर गरीरकी कानो में २४ नीयं रोका पाथिर्भाय को कर धर्मका ऊँचाई एक कोग ( ४... गा) को होनी थी। इन प्रकाश पा करता है। अगधमका मत कि, सरि तोन विमागोका यिरीप कुश रनिहाम नहीं है: पाकि मनादि प्रमका कोई किती नहीं है। सष्टिमें जो हम समय यहां भोगभूमि यो पर्यास् वम ममय मय मुरुमे । परियसन हुमा करते हैं, यह बत. कालद्धक प्रभावमे रहते थे, कोई किसी का स्वामी या मेधक न था, रामा एप करते हैं। जनमतानुमार जम्प झोप हे मध्य भरतनेत्र प्रादि भी न थे, किमोका शासन न था और न जोविका पौर ऐपयतऐव, उन्नति घोर अयनतिरः कान्तपरि निर्यात के लिए पसि ममि सपि पादि किमी प्रकारका कार्य पर्तन हुआ य.रता है। रायतदेवको बात जाने दोजिये ही करना पड़ता था- कम्पनीम मयको मायग्यकताएं योकि उममे हमारा कोई मम्बन्ध नहीं है। पंरायत- पूर्ण हो जाती थी। उस ममय थियार पादिरा कोई पेसमें भरतवझे ममान ही तीर्थदर पादिका माविर्भाव | भी नियम प्रचलित नहीं था। माता के गर्भमे मो पुरुष या करता है। न्यान्य ममा यिषय भरतनेवके ममान गुगन हो उत्पय प्रा करते थे पोर उनके युगन मसान है। उपतिष्प कानको उत्सर्पिली पौर प्रवनतिरूप होरी हो टोनीको मृत्यु हो साया करती थी। तात्पर्य फानफी पवमर्पियो कही है। इन टोनी कामको या कि, उस ममय मापन के देव ममान या मिति १.११कोदाकोड़ी मागर परिमित है। २० प्रानन्द जीवन वितात वे और मर कर साम हो जन्म (1) अन्य मिलोसार ग्रा:- मिया करते थे। उम शद चतुर्य काल में पड़ने पोर "41. पर मनु ममि र यौनि गुमोस राजो।" इम A WEIR प्रन्यो समत.बानना हो तो Turlisn artiyeray, SIL.T.It देगना चाहि। पापा (१............... म रनेमे एक 100२.११. १२.२......... मागरी और एकको ...........at P टा पापी मरामे साता।