पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/४८

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• नम्भक-बालमटुगु: ४३ भोजन, खाना। ८ अंग, हिस्सा । हनु, दाढ़, चौभड़। ला-क । १ एक गचसोका । नाम समुटूके उत्तर किनारे १० तूण, तरकश, तोर रखनेका चोगा। १५ बलिका | जम्भना नामकी एक राक्षसो रहती थी। इसका नाम एक सखा.दैत्य । इन्द्रने इसे लड़ाई में मारा था। (भागत) वटपत्र पर लिख कर गमिणोके मस्तक पर रख देनेसे १२ सुन्दरका पिता । (रामायण 10 ) १३ दन्तस्थानीय गभिगोके शीघ्र प्रसव हो जाता है। (ज्योतिस्तत्व) गोदा. ज्वाला ।१४ रम्मा नामक एक असुर ! यह युद्ध में विष्णुमे | वरीके किनारे इसका वास था, ऐमा निर्दिष्ट है। मारा गया था। (कालिकापु० ६१ अ०) १५ जुम्भा, (पंजिका ) २ तूलकी, सूला। जम्हाई । १६ जबड़ा। १७ कन्धा पौर इमली। १८ जम्भलिका (वै. स्त्रो०) सङ्गीतविशेष। . . प्रलमरुवक ।। जम्भसुप ( सं० त्रि०) दन्तद्वारा अभिष ट दांतमे निचोड़ा जम्भक ( स० पु०) जम्भयति जम णिच्-गबुल स्वार्थ-कन् । हुया । १ अम्बीर,-ज'बोरी नीब । २ एक राजाका नाम || जम्मा ( म स्त्रो०) जमि जम्मायो जम्भाते इति स्वार्थ - (पु.-स्त्री.), जमतीति, जम जमने कर्तरि गवल । णिच. भावे अटाए । जम्मा, जंभाई। ३ काम वा । (वि)मभाग ल । भक्षक, खाने- जम्भारि ( स० पु०) जमस्यः असुरभेदस्य परिः, ६-तत्। वाला । ५.हिसक, वध करनेवाला । ६ जभाई या नोंद! १ इन्द्र । २ अग्नि । ३ वन । ४ विष्णु। . . . लेनेवाला । (पु.) ७ शस्तदेवता ! 'दै मन्त्रं जम्मकानां जम्भी ( म० पु. लो० ) जयति सुधामाग्यादिक नाश- वशीकरणमुत्तमम् । (रामायण |११४) ८ शिव, महादेव । यति, जभ णिच् णिनि। १ जम्बीर, जबोरो नीच । ( हरि० १६८०) पोत लो। (त्रि.)२ जुभायुक्ता, जंभाई लेनेवाला। जम्भका (स. स्त्रो.) जम्मा एव स्वार्थ कन्टाप जम्भीर (सं० पु०) जभ्यते पग्निवध्याथै मनाते अभईरन् । जम्मा, जभाई। १जबीर, जबोरी नौब । २ मरकत। .... जम्भकुण्ड (म. ली. ) विरजाक्षेत्रके अन्तर्गत एक | जम्भ्य ( स० पु.) जम एव स्वार्थे यत् नभ्यते इति तीर्थ । ( पिलसं०) कर्मगि एयत् वा । दन्त, दौत। जम्भग (म. पु० ) जम्माय भक्षणाय गच्छति भ्रमतीलि, | जम्मलमदुगु-१मन्द्राज प्रान्तके कडप्पा जिलेका उत्तर पशिम जम्भ-गम-ड। अत्यन्त भोजनलोलुप एक राक्षस, एक तालुक यह अक्षा० १४ ३७ एवं १५५ उ• भौर देशा बहुत खानेयाला राक्षस ! (आश्कितत्वधूत परपु०) ८४ तथा ३० पू०में भवस्थित है। क्षेत्रफल ६१६ सम्भविद (स.पु. ) जम्ममसर' हैष्टि दम्भ-विष-क्तिय | वर्गमील और लोकसंख्या प्रायः १०३७०७ है। इसमें एक जम्भस्य हिट इति वा। १ इन्द्र । (हम) २ विष्णु । (भारत)। नगर और १२६ गांव है। मालगुजारो और सेस लगभग अम्मन (सली .) १. रति, संभोग । २ भचण, भोजन ।। २७२०० रु० लगती है। दक्षिा अञ्चलमें पूर्व से ३ जाभा, जमाई। ४ अकयक्ष, मदारका पेड़। ५मह पथिम तक पर्व तथेणी है। परिममें दो नदियां पा कर वाहन, एक तुलसीका पेड़। मिली हैं । उत्तर और पश्चिमको भूमि उर्बरा है। मम्मभेदी (H• पु०) जन्म भत्तं गोलमस्य, भिदःपिनि । . २ मन्द्राज प्रान्तके कडप्या. जिलेमें . अम्मलमदुगु तालुकका सदर। यह अक्षा० १४:५१.३० और देशा मम्भर (स' पु०) जम्भ भक्षण-रुचि राति ददाति | ७६.१४ पूमें पेमेर नदीके पथिम तट पर बसा है। राक । जम्बीरज बोरों, नीबू । . -जनसंख्या १३८५२ है। यहां नोप्त और रूईकी बड़ी तम्भल ( सपु०) जभर रस्य लत्वं । १ जम्योर, जे बोरो | रतनी होती है। करघोसे कपड़े भी तैयार किये जात नोव । २ बुदभेद । है। नरपुरखामीको रथयात्रा खूब धूमधाम होतो. है। सम्भलदत्त-येतालपञ्चविंगति नामक संस्कृत ग्रन्थकार ।। है। यह मेना १० दिन तक लगा रहता है। पासपासके म्भला.(सस्त्री० ) जम्भभवण लाति' पाददातीति बहुतमे लोग देखने पाते हैं। ... : ..