पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/४८१

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४३४ जैनधर्म समान शेने ही इन्द्रादि देशों द्वारा ममयगरपकी | श. या मिर्फ आसिम की दिश। पर पार गमे . रणमा की गई। विशे विप करशरदेशो। पौर दूमरी यार क्रियापीम, इस प्रकार दो अमि तिर ___ मनमान्दे ममयगरप, भरतपयझेन पनेक प्रय को उत्पत्ति हुई हो, गाजि एवं शो किया और शिलामी ममा ( ममयगरण ) में भगवानने मामा | मन्चरहित है. यह धम नामधारण करमेशमा दिन ग्रामवि धर्म या मार्यधर्मका प्रकाग दिया। यही है, यामायिक नहीं।" वरुपी पारा मशार किये जाने मेनका-- यमपिणीमाना-प्रयमयिका रथा, पर प्रजा भो म वर्णका घुम पादर करने लगी। म . अम याद, परवर्ती २३ तोर्गने रम धर्मका प्रभाग वर्णके मनुषा प्रायः यासाचार्य हो और शव जीवन : जिया, शिका पाज तक भी हम भारतवर्ष के मयपधिकांग' मुनिधर्म पवनम्मानपूर्वक पपनी यणर्य पचार। पनन्तर टपभदेव के पुत्र प्रपभगेन, मोमप्रभ पामोति फिया करते थे। पुरान) . पादिन दोसार मुनिवर्मका नया भगवान की पुर्वी मके पद दिन बाद भरतचक्रपझे भगवान् पापन वामदनी पीर गुन्दरीवीने दोधा ग्रहण कर पार्यिका- देयके ममवशरणमें गये पोर पपने सौ नया बाना धर्मया प्रमार किया। रम तीर्थदर पटेयशे ममयमे | वर्ग की स्थापनाका प्रस्ताा कहा । भगवान्को दिया लगा पर अन्तिम तीर योमहागीरस्वामी के समय तथा द्वारा इस प्रकार उत्तर मिसा-"यद्यपि म माग जगमगा प्रकाश एसो र फैला रहा. जिमका मंनित ग्रामणांकी पायग्यकता थी. शिम भयिपामे । मियर धागे नम कर "नयास्तथा शुभ नामक । नीदर योगीताननायक ममयमे ये धमनीही पोर रिमाल गोषक निगे। हो जायगे तथा यत्रादिम पराधिमा करेंगे।" सोर . मी स्ति-म पयमर्पिणोकानो प्रथम भामा मन्दर्भ दे।। म पर भरतचक्रवर्तीको बड़ा सकरी भरत महागजने, जिनके माममे यह टैग पयाताप एपा, किन्तु कया करते ? को होना या मोरो भारतवर्ष का नाया, टिग्विजय याया करके पनेक मेना! गया या मोच कर मस्तीप धारण किया पीर मंमार महित दिग्विजयकी प्रथा प्रचलित की। ये भरतक्षेवक उटामोन को कर राग्य करने मगे। भरतका ana होना अधिपति घे। उन्होंने पपनो मन्मीका ग्राम्यावस्यामको सना बढ़ गया या कि, दोण पार टान करने सलमे एक दिन समस्त प्रजाको निमन्वय करते ही उन्हें कैयनमान प्राप्त हो गया था पोर रहा दिया और गजपामादो मार्गम घाम आदि यो दी। थप तक मर्यशायम्यामें मंमारके जोयाँको धमपि । उनका पभिप्राय या या कि, सो गति दयालु और करपत निर्याण-प्रास हुए थे। भात पारे। प्रयागय गि. ये श्रीगतिमाम च के लिए हम मार्गमे दम घाट महायोग्मामीके ममय राज मग मपाकर भयानअन्य मार्गफा पयसम्यन करेंगे और सेवनभान धारक प पीर उनके द्वारा मम । घे या टासा होने योग्य होंगे। पमन्सर प्रमार होता II (पुग) की मोग उम मार्गी म पाते. उन यत्रोपवीस दिया ग या थाती शाम को जाति है. को दान, मायायादि वाय फर्म या उपदेग दिया | तप उनसे मुममे की मापी या एपटेंग गि:सत होता है गया। meो यह भी कहा कि "यपि आतिनाम- ठमको शुत या गामा करताप काम प्राणि कम उदयम ममु आति एक ही है. तथापिजीविका ममयम योमपार्टप गोर गरी शव पणाम माग होटि पायाने या मिय यि भार वम विमा मागर० वर्ष तक मम्म रामान परिधिमापन पएसजातिका मार मपंपोर मामाधान मोम RE DEHIYE CINEगरपोर मागे प्रिमझा मार मीनार को नहर और दो यार हो गई s t वनमान के जितने भी मार, दम, पाशिमग माग न रोकार एक awrane मि मेमाने वागावं में एEnts