पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/५००

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जैनधर्म ४५१ हदि होती है. इसलिये ये पदार्य भी पाहारवर्गमा | इस कर्म का नाम : मोनीयम । गोशम भामा गामिन है। यजमवर्गणा पोटारिक घोर क्रि । मैं उम्मन नारित प्रकट नहीं धोने देता, प्रत्युत मिपा. यिक गोरों में काति उत्पन्न करतो । किन्तु | पारित पयया मित पापर कराता है। ५वा पाणु गरोगे मम पामा निशन जानम वा पामा माय फर्म प्रामाको मनुण, तिर्यक देय पोर मरक, इमर्ममे निकल जातोपत: निर्जीव शरीरमें जसवर्गश नहीं किमी गति में ना कर उमे वह किमी नियस कान राहतो। श ममीवर्गामे दृश्य मन मनसा सन्द्रिय तक रोक रहा है। हम मोगांशी पामा म मरोरम दो प्रकारको होतो है-भाव-इन्द्रिय पोर ट्याइन्द्रिय ।। नभी तक ठहर मपाती, तक मारा पासुजम भावन्द्रिय तो ओबामाले जानका श्योपगमविगैप रहावे अथवा जिननी उमको मिति तो। पागुकम। १. प्रति लीय जान गुपके पंगकी पभियान । यो स्विति पूर्ण होते ही में यह रोर जोर देगा से भावेन्द्रिय पोर या पभिप्य गरीर जिम! पड़ेगा पौर रम गरीग्गे बांधे हुए पायुकम पनुसार ग पयवा उपाम होती है. यह पन दर्थन्द्रिय ! पन्य गरीरमें रहना पड़ेगा। ठे मामय मे पामा २। मी प्रकार पानाको विचार करने पप गरिको पच्छे या मुंग गरीरको धारण करतो र पोर धग, कोति माय मग कहतर और वा विचार द्रश्य मन या घटयो दि प्राम करती। रमो प्रकार गोल कम पशु- जोता. पन्यव नहीं। टयमान में मनोयगाव! मार पामा उभ या नोप कुममें अमाप करती है। पुरनका कमलाकार एक द्रव्य मन है पीर मोने विचार या माराय कर्म पामा फारम नि धाधा पर- nmeपय होती है। र्य भाषायणामे गटीको पाता रहता है। यम, सभी पाठकको नाय कर मैने. रचना होतो। किन्तु ममी सदभामायणाम सपन में ही पामा परमामा या मर्य हो जाती है और मयंत्र चोरी हो. ऐमा नहीं कि गद तो किमो पदायक या परमामाको शेअनभिधाना माना है। विमा गिरने या याद्यादि धनेमे भी होता है। भाषायला न पटकका नाश करना मात्र काय न. म. का गप्द यही निमको पामा या जोय प्रण करता लिए मम्दग्दर्गम, मम्यसाग पोर मम्माधातिको राम कामापयामे पाठ कारके कम बमले तो पायसकता भी करोड़ों का पmil एकको मोड़ो मामाको मामारिक उपाय देते । ये कम भी कठिगतागे मामला है। इम पागाको मुल नही होने देने पर्याद ये ही पापपुर न मिहान पनादि परमास मी मामा , कप पाठ कपामाको परमामा नहीं होने देते। किन्तु ऐमा माना कि मंगारकी (या पट फको) पाठ वाम ये:-(१) पानावरण, (२)दर्गनायरए, नट कर गद एए सीमामा परमामा बने पोर (३) वेदनोय. (५) मोनोय, (५) वायु. ६) माम चे रागदपति मया ममिए मन्द मोपरि (0) गोव भोर (८) पन्तगय। नारिशेप वन हम उमादर्म मान कर अनगल उनको पूजा गरी ६, धन मागे रछ र "fai: रेंगे। पोतरागादि गुणों का पापम घर चोर पाप मूति। मानापरणकर्म पामा भानगुषका घात करता में उनकी स्थापना करने पर मा का. ६. पामा रमो कर्म के कारन पूनानको प्राप्त मदों राग, पोर मोहिम हिम रोग पारगर कर महतो और मो लिए मर या परमामा मोनी मी मा. मिर्फ जगत्रा पर माता और से मती। गंगाधरण पामा टांगगुपका पात मंमार में मर्षया गुरोरेपER करता और मंदनीय पायाको ममारिक गुप दुःप *गारी पाम (AN में नियमाम है. मार पापाता।मो प्रकार पाना गाय एक माममा परमानको प्रापि धमकी (दा. विमा मो मग रसानी गे पातयि पदा-TEEL मामा) पूनावी हातो। मेष महों में देता, मुगुत पिपरोत बोध शरामा ! मनुष, देव, मारकी पोर तिय पपणे सादिक