पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/५०४

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बनधम १बामायिक पौर २ प्रायोगिक । मेव पादिमे मो मोमा-मटो प्रकारका एक पाग्यनिक . उत्पम को, उमेवाभायिक और दूमरेसे प्रयोगमे हो उमे, पोर टूमरा पापषिश। जो मुमय परमाणुमता प्रायोगिक कही है। प्रायोगिक के चार मैदान मे पायनिक मल कहते । और जो ममत्व २ वितत, ३ घन पौर ४ गोपिर। चमड़े मे मदेवे | नारियन, पाम. येर पादिम ( उजागेता) पाया जाता नगासा, मृदा पादिमें उत्पन हुए गप्दको मत कहते है, उमे पापंचिक बारव कहते है। मितारा तमूगा पादिम उत्पन्न हुए गप्दको पितत कहते सोत्य-मोमी भांति स्वीबी भी दो भेद, १ घण्टा पादिमे उरपद ए सन्दको घन कहते र पोर पावन्तिक पोर पापेक्षिक। अगदान्यायो महलमा raiसरी पादिमे उत्पय दए गदको गोपिर कदमलोस्य ससाणे पालना न्योन्य पोरया, पाग, हैं। जेम विज्ञान शब्द मूर्तिक होने में यामोफोनको नारियन, कटहर पादिमें मो उसगेसरममा पाई चोपादिका टामा देश है। पोर भी भनेक प्रमाणी जाती है उमे पापनियन्योन्य करत मंम्यान- हारा उन्होंने शब्दको रूपी मिह किया है। पाकार या पाससिको संस्थान करते । या दो मशा. हलकी दूसरी पर्याय बन्ध है। पनेक पोजों में रका २१ इत्यनलप और २ पमियनराश । गोग, एफपनेका जान करानेवाले मम्बन्धीयिगेपको बम विकोप, चतुकोष पादिको रचनामा करी । और करते। वध भी दो भेद, १ स्वाभाविक पोर महा 'या पाकार ऐमाम प्रकार पिरामले २ प्रायोगिक । स्वाभाविक या दो प्रकारका से, एक मरे, ऐमे जो मेघ पाटिम पनेक पाकार उनकी मादिपोर मरा पनादि। निग्ध गुणके निमित्तने पनियनमा कस्ता द-या प्रकारका विजनी, मेघ, रन्द्रधनुपादिको मादि साभाविक-बन्ध १७कट.२ प. ३ पाड. हाते हैं। पनादिस्वाभाविक गन्ध (धर्म पधम' पोर जि. ५ मता पोर पापागदप्यम एक एक करके तीन तीन भेद होनेगे)। ६ पण पटन। काठ पाटिके पारोगे किये गये टाई। को टकट कही। गेहभो पाटि पाटे वा मत ८ प्रकारका :-धर्मास्ति कायान्य, २ धर्मास्तिकाय | 'देशबन्ध, २ धर्मास्तिकायप्रदेशबन्ध, ४ पधर्मास्तिकायम . पादिको पूर्ण कर हतया घटने मिरवादियोपण पyfranायगय धर्माशिका प्रदेश उड़द, मूगपादिजो दानको निशमेश एटमादिको ७पाकागामिाकाय धन्ध, पाकागास्तिकाय गपन्ध HOMEN प्रहर और गरम मोहको घनमे चोर की नको पोर पाकागास्तिकाय प्रदेगवन्ध । म सम्पन् me | म्फनिंग निकम, पपटन काम- मास्तिकायकी विधवा (विवेधमकी मि), हटि रोकनेवारी पधकाग्यो तम करते। राया- ' पर उमका माम घम्सिसाय मन्ध तथा पधिको देश गो प्रशागझे पायरय हरनम पारप से उगे हाया 'पोर पोवारको प्रदेग कार ।। रसी प्रकार पधम, करते हैं। हाया दो प्रकारको ११ मणादिविकार. पौरपामा निए समझना चापिए। पुरम दृश्यों में बसी पीर २ प्रतिषियमापारिका। पंचपादियम मो माया पादिके ममाम्यशीपपेचामे पमादिवस द्रायमें मुपातिकी वर्ष मति परिमायाको हारादि है। रम प्रकार यपि ममम्त द्रवों में बन्ध, तथापि विकारवतो कहतर और जिम मनादिको परिहिग या प्रकरणमा सहभपाप किया गया। कर मिफ प्रतिविम मावोहम तिमि जो दूसरे के प्रयोगमेको, गे प्रायोगिक' वध करने | पारिफा बरतेमाप- प्रशायु गुरकोप रोकारका विषयिकरी को पार करते हैं। एपोन- मा, पन्द्रासमरि, पुरमविधिक पुरसपिपपिक पन्ध मापा का पाटि पग्निा पयोत पादिमाशोपोस क रे ममम्झना यास्यि। भोजपुरमविपपिक दो मंद- मय पुरनको पर्याय ॥ कायम और नाम माल वन पुरन मुल दो मामि विभरिमा एक पशु पो दुमराहमा पर- प्रदेसमाय. पोरम ना .. : . . .