पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/५२७

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४०६ चैनधर्म परोत कौरि शामाकारों ने गिनाया है। क्योंकि । इमम्निये पग्निके माय धमका पयिनामाय मरम: इम्तियां भी प्रामाको अपेक्षा पर वस्त हैं। जिम प्रकार प्रविनामाव मबन्धको व्याप्ति कहते है, हम व्यापिका. धाम को सहायतामे होनेवाला जान नया दीपक, मुर्ग, अविनामाव मम्बन्धका निसयामकबोध होनेको तो और पुस्तकका प्रकाश आदिको महायताम होनेवाला | कहते हैं । यह तर्क प्रमाण खतंत्र प्रमाण है किमो पन्य मान परोत कहलाता है, वह मामात मोधा न हो कर | प्रमाणमें गर्मित नहीं किया जा सका। । परको महायताम होता है उमी प्रकार वह जान भो। कुछ लोग तर्फ का अर्थ तर्क वितर्फ पथया याद धारमामे माक्षात् न हो कर इन्द्रियों को महायतामे होता | विवाद करना बतलाते हैं, जैसे कहा जाता है कि हम है, दूमर इन्द्रियजनित जान उतना निर्मल नहीं हो | ने भनेक तर्क वितर्फ किये, यहां पर तर्फ गदका मझा जितना कि मानाजान होता है। इमलिये भो पर्थ का या वितंडाघाद होता है, ऐमा तफ शब्दा उमै परोन कहते है। प्रमाग कोटिम नहीं लिया जा मसा, वह प्रमाण है। परोनमानय पांच भेद है, स्मृति, प्रत्यभिज्ञान, तर्क, प्रमाण रूप जो तक जाम है वह यथार्थ यसका निय. अनुमान और भागम। इन्हीं पनि भेटौम जनमें भिम यात्मक बोध है. अनुमान प्रमाग्यमें कारगा भूत है। यदि भिय रूपसे कहे जनिवाले नाना भान न हो कारणाम विपर्यास हो तो अनुमान रूप कार्य भी मिया जाते हैं। ठहरेगा इसलिये तर्क प्रमाण एक स्वतन्त्र प्रमाण है। किमो पहले टेग्बो इंई परोक्ष घातका निमित्त पा वह दम तक वितर्क रुप नोकिक अर्थ मे मथा जटा कर म्मरण करनेको स्मतिजान कहा जाता है. जैसे पहम्ने | होता है। जेनकोप टेवा हो, पोछ विश्वकोपको देख कर जैनकोष चौथा परोक्षजान- अनुमान प्रमाण है। जगत् का स्मरण करना कि वह भी इतना ही विम्त न है. अनेक बहुभाग पदार्थीका निर्णय म अनुमान प्रमाणमे । प्रत्यभिज्ञान में इसमे एक कोटि पीर भी बढ़ जाती है, | ही किया जाता है, हमारे इन्द्रियज्ञानमे बहुत थोई'.. जो पदार्थ पहले देना हो, कुछ दिन पयात् फिर उमो | पदार्थ जाने जा मत हैं, वाको मय परोध है, कोई सो " यस्तुफे देखने पर यह मान होना, कि यह वही घस्त | कालसे परोक्ष है. न मे रामरायणादिक, कोई ग्रसे जिसे पहने देखा था, हम प्रकारका जान न तो प्रत्यक्ष- | परोक्ष में जमे विदेह क्षेत्र, सुमेरु पर्वत, गन्दीवर रोप सान, मम्हाला ना मकता है कोकि वह धर्तमानमाव। पाटि, कोई सूक्ष्म होनेके धारण परोध., जमे परमाश को विषय करता है, यहां पर वर्तमान माय भनका काल, धर्मद्रव्य, पधर्मद्रया, पाका, जीय पादि। ग्मरण भो जुड़ा हुया है और न यह स्मरणमें दी मम्हाला | · मब परोक्ष पदार्थीका जान दो प्रकार होता है। एक पागम जा मना है. उममें केवल परोक्ष पदार्थ का ही ग्रहण है, | प्रमाणसे दूसा अनुमान प्रमाणमे । दोनों ही प्रमाण यहां पर वर्तमान का प्रत्यात भो है, इमलिये जोशान भूत. वस्तुनिशायक मत्यरूप है, पागम प्रमाणको ग्याप्या घागे का स्परा और वर्तमामका दर्शन, इन दोनों अंकोंको | कसी जायगी। पहने अनुमान प्रमाणका विवेचन किया एक माय मगा करें यह प्रत्यभिशान कहा जाता है। जाता है इसके विना ममम परीक्ष वापीका निर्णय "यह वही सिमे पहने देखा था" यहां पर "यह वही | करना पमग्भय ही है। सतना वर्तमान अंग है, जिसे पहले देखा धा" यह... पारले यर प्रगट कर देना थायणक कि मोकम भूतमा म्मरणाग, दोनों का मिथित शान होर्निग सीमा जो लोगों की कहावताम अनुमान लिया जाता में को प्रमाण सिहोता है। | मेरा अनुमान है कि यह यहां होना चाहिये, में पनुमान .. तोमग तज्ञान । व्यामिशानको सर्फ करते करता है कि अमुक पुरुपने उमको चोरी को पादि, पर्याय पिनाभाव मभका ज्ञान को जान सी हो सके .या अनुमान यहां प्रमाण कोटीमें नही लिया क्षामा.

याहते हैं, जहां घूम होता यहा अग्नि पवश होतो;/ मीशिक पनुमानको पाला. या निीतिका