पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/५३३

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१८२ लैनधर्म प्रक्षारक्षा है। म शानमे दूमो हृदयगस यह या! . एक ग्रामा एकगे से कर पार काम तो सात मरन मम्पर्ग प्रकार के विचारोंका भान हो जाता है, गंग नहीं। एक होने पर सेवनान होगा। दो. नया अपने और परके जीवन, मरग्य, सुख, दुःप, नाम होने पर मति और उत, नौन होने पर मति युतदार पनाम पादिका भी जान मोता है। हम मिया लिम सअधि तथा चार शेने पर मसि, गुम, पवधि पोर मन: पढाय की बात मान हाग वा सवाल मन हाग चिता पर्यय शाम होग। को गई है अघया भविषमे चिन्ता को जायगो इत्यादि। अपयु पनि माममिमे नति, गजार पनि ममम्त विषय रम ज्ञानमे मानम डोनात है। यह ट्रया येतोन विपरोस भी होते हैं। सर जुए मान पोर भावको अपेताम विपुन्नमतिमनःपर्ययमान विषय मम्यग्दर्गनपूर्वमा हो होते हैं, इसलिए सम है। इनमें का निरूपण किया गया है। कालकी अपेक्षा यिपुनमति. विपरीत जो तोन शान में वे मिथ्याटगं नपूर्वक सोता. मन:पर्य यज्ञानी अधन्यरूपमे ७ १८ भयो ( जन्मौ ) के उन्हें । कुमति, २ कुयुत पोर अधिशाम कही । गमनागमनको जानता है और उन्क र रूपमे पमध्य मत् पीर घमवरूप पदार्या भेदका ज्ञान नहीं होने में भवों के गमनागमनको मानता है तथा नेवको अपेक्षा | संतमारूप यहा ना जानने के कारण उसके भान अधन्य रूपसे तोन योजनमे पाठ योजन तकके पदायाको ममान ये (कुमति, गुन्गुन चोर कुपवधि) तीनों जान आनता चौर उत्कट रुपमे मनुषोत्तर पर्वत (जम्ब - मिथ्या हैं। मदामेवनी उगात पुरुषका भायोको माता दीप, धातकीखा और पुकरा दीप तम) भीतर | गौर माताको ती करना वा ममझना, यह मान मिया पदार्थोको नानता है। है। किसो ममय यदि वह माताको माता पोर पोको परिणामों को विशुद्धता एवं अप्रतिपात (केयनसाना तो भी कहे, तो भो मका ज्ञान मम्यक् नी हो उत्पय होने तक न छुटना' के कारण इन दोनों में विपुनः मकता क्योंशि उमें माता और मायांक भेदाभेदका मतिमनःपर्य यज्ञान यष्ठ पोर पूज्य है। सर्यायधिनान ! यथार्थ शान नहीं है। सभी प्रकार मियादर्शनके उदय के सूक्ष्म विषय ( एक परमाणु तकका प्रत्यक्षमान )मे | में मत् ओर प्रसरमा भेद नहीं समझनशे काप भी पनन्त भाग सूक्ष्म द्रव्यको मनःपर्य यशान जान । कुमनि, कुथुत और कुमधि सामयुत व्यक्तिका गया सकता है। जामना भी मियादान है। हम प्रभारी शानो पाठ (५) केयनमान-जिम जानके द्वारा विकानवी | भेद भी हैं। मम्म पदार्थों एवं उनकी पनन्त पर्यायोफा पट जान नय-वस्तुके एकदेग (एकांग)को जाननेवाले हो, उमे फेवलभान कहते हैं। पथया यों ममझिये कि मानका नाम 'नम है। पर्यात् वाम पनेक धम मतमा गरके ज्ञानको केयनशान करते है। धागा (स्वभाव ) होते हैं, उनममे शिमो एक धर्म फी गुस्यता के जागका पूर्ण विभाग कोना की शनशान है: ममे ले कर पायरोधरूप माध्य पदार्थको जाननेयाने भाम पढ़ा जाम मंसारमें और दूमरा नहीं है। यह भान | को मय करी । प्रधानमः नयफ दो भेद , एक विराद प्राप्मा या परमात्माको हो प्राम होता है। हम निरागमय और ट्रमरा गवहारनय । पमो डिभी मान प्राप होने पर पामा सर्वत या दंगार कहलाने यणर्य अंगको यहा करनेवाले ' भानको निषयमय मगता। पफ एक द्रश्यको विकानपती अनन्त प्रव.काले हैं। अमे, मिडोके बड़े को मिहोफा पहा करना। स्थायें ए पो द्रव्योकी ममम्त पवम्यापोंको केयरमानी पौर किमी निमितयगात् एश पढार्य को दूसरे पदार्थ- युगपत् ( पफमाय) मानता है। इसके भेद प्रमेट एप सामनेयामका नाम स्यहारनया में पुल भी नहीं है। हम भामरे होने पर मति अतादि मिडी पड़े को धो रहने कारण, घीका घड़ा करना । जान नष्ट हो जाता अर्थात् या भान पामा एमाली | नये निरायनयय भी दो भेद , एका दम्यायि चमय से रहता है। पोर मरा पर्यावयायिय.नय । जो व्य पात् गामान्यको