पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/५३५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

(स्वर्गाद) पूर्ववत नैनधर्म नोशष्यवहार के लिए शिमो पदायको मा रटनेको । मामनि फरने मे किमोने सपने पुवका नाम लायो, मिरड़ा, किन्तु उममे हायो पोर मि दोनों ही गुग मधों है। रमी प्रकार मंमार, घन, धनपाल, कुवरदत्त धादि नाम रझा जाते है, किन्तु ये । नाम गुण, जाति, द्रश्य और क्रियाको प्रपंचागे नहीं, परन् नामनिक्षेपको पनामे रक ज्ञात है। स्थापना-1 निरोप - धातु काठ, पापाण मिटी मादिको मूर्ति या विवादिम तया मतरजको गोटो धादिमें हाघी, घोड़ा, पाटगा प्रभृतिको जो कल्पना की जाती है, उR म्यापनानिक्षेप कही है। तदाकार और प्रतदाकारके भेदम स्थापनानितो दो प्रकारका जो पदार्य जिम मापसोका प्राकारका हो, ठमको यने हो पाफारफे पापाण, काष्ठ । ० पथिमदिर . या मृतिका पादिमें स्थापना करनेको तदाकारम्याना कहते पोर पसात पदार्थ का प्राकार जिममें न हो, में किसी भी पदार्थ में किसोको कल्पना करना मतदा. कार स्थापना है। मे, पानाथ भगयान्को योतराग रुप मोमो में मोगान्तमुद्रायुक्त धातुपा पापाणमय । मूर्ति की प्रतिष्ठा करना । यह तदाफार स्थापना पोर मसरजको गोटोसो पारमा मानना, यह पसाहार ! म्सापना । नामनिकी पूज्यापूम्यवृद्धि नहीं होती, किन्तु स्यापनानिपने होता है। ट्रेनिनेप-गो पदार्थो- में भूत वा भविषत् अवस्थाको स्थापना करता है, उसे इप्यमिव करते हैं। मे, युवराजको ममा काममा था मनपूर्व मधिवको यतमानमें रविव कहना ! भारः । मिशेष-जिम पदार्थ की वर्तमान जमी पयस्या हो, अप: दिन उमेमोकप काना, भायनिक्षेप में, काठको पूर्व-पशिक्षा परियाग । यथा - रान, काह अयस्या का कहना धीर जन का कोयला । ०१ ग-पार, -4000, ग१ पोम पर गोयना कहना। ये निसव भय वा पदायक / २०,ज-१०-- रा., ट-४ धोने और उनमें मातमत्त्वों एम गम्यादर्शमादिक -४ , -४०१. रसाया परिमाल । म्याम पर्यात् नोकप्रहार होता। मथा, स-पयाग- राम-rs-tru सरगम या गाय-मममें जोय, पानरा. माह-६-३॥", अपरा- धर्म, धर्म और कान ये पांच प्य को पांच दिभवन- १४ा । शिव-रा परिमान (आप मोटाई) । मा.. को मौकरते। मौका पाशार इस प्रकार • १-५% ७. प-से भी बीत गन.मोटा और १४ गदपा भान है. न 'गमा को समें लगे, नागरि। . . . . (मरादि)