पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/५३९

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४८८ जैनधर्म पारो कोनी को भूमि मना मझार पादिको रचना ! । स योशिशपरमको मोटा व पोर पा. रहमी । म पनिरित मनुयोतर पत्र तक बाहर दिगाम ११. योन नगा विस्तार पूरे पचिम मोर ममन रोपाम तया भोगभूमियामि तीमो कान सादि परा (धनोदधि वायनय) पर्यमा पीर बसर पिन मीजय भोगभूमिको रचना होती। ममममुद्रा में किस सुमेरू पर्वतर पारी'नरम पौर सानोदधिममुद्रौ । पार्दोष है, जिनमें कुपोग ११५१ योन तक ज्यामिक पिमानों का मामी भागको रमा। भोगभूमियों के विषय तो पहले है। मनुष्यनोक पर्यात् टाईपक ज्योहिक विराम शहर के हैं, पर फुभोगभूमियों का वर्णन किया, मयंदा सुमो प्रदक्षिणा करणे। पर शाही साता। इन कुभोगममियों में एक पग पायुके धारक२६. मगपममुद्र में १२८, धातुकोबाडमें ११.. कानो. पुमनुवनियाम करते हैं, जिनको पाति नाना प्रकार | दधिमै ४११२० पोर पुकरावदोधर्म ५३२३. भ.प.तारे है। किमी वर एक जना है, किमोशे पूछईनो कमी पानी नहीं। मगुणनोको यार ममम मिमोके मोगरे को गूगे हैं, किमी के कान बहुत ज्योतिक विमान गतिशून्य है। किन्तु ममम्त योमिक नये १ जो पोदने काममें पासे , किमोका मुंभ विमानोंका वरिभाग पाकागको एक हो मत १३ मिमा , क्रिमौका घोड़ा, कुत्ता, भैमा, वा बन्दर तारोंमें परम्परका पार कम कम ! कोग पर पाटिफ ममान।ये कुमनुण धक्षक नोघे तया पर्वतो. ज्यादाम ज्यादा ... योजन। म ममात ज्योनिकाय की गमामि रहतेस पोर पोको मीठी मिहो पागे। मामोंका याकार पाधी गोद ममाग पर्यात किमान । ये भोगभूमियों के ममणोको नर मा कर नियममे न यिमानों के अपर ज्योतिकदमों के मगर पन्धित देव होते हैं। जो पत्यन्त रमणीय पौर जिम मन्दिरमि गोभित ।। मी मधमोकौ योनिष्फ देवौका भो निधाम है। जन गामि चन्द्रको रन्द्र पोर सूर्यको प्रतीन्द्र पाएय पर प्योमियचकका वर्णन करते है । मयोतिक, माना। प्रत्येक चन्द्र के साथ एक पूर्ण पक्ष रममा देवकि पांच भेद है-(१) सूर्य, (२) चन्द्र, (२) ग्रह, है। जम्म दोपमं दो पन्द्र पोर सो मू । मोमबार (४) गाय पोर (५) तारका । रम पिता पथिवीगे 2. नायगाममुदौ ४. धातुकोषक १२, कानोदधिन ४२ योगा टाईम हो ,नामे १० योजन सपा सूर्य और पुकाधिोपौ ७२ घन्द्र माचो गुमने ये है, सूर्यमे ८० योजन जपर चन्द पोर चन्द्रमे ४ | भो।मनुथमोकम पन्द्र और गर्य के गमनमा अनुक्रम योजन ऊपर नपानसामे ४ योजन अपर युधग्रए म प्रकार है-प्रत्येक सोप या ममुई ममान दो दो १.सुधा मे । योसम सपर शक , शकों मे ३ योनन | गण्डम पा पाधे श्योतिक विमान गमन कारी सपर गुरु.गुरुपोंमे ३ योनम कपर मदन पोर पर्याप्त जम्प होप प्रत्येक भाग एह एक, मयनममुद्र मनमामि ३ योलम सम गर्मगर हैं। बुधादि पाँच प्रत्येक भाग दो दो, धाराको गोप प्रत्येक प्रमों के मिया चोर भी निरामी या, जिनमेमे गा! पाए, कामोदधि प्रत्येक पाइमें कोम रोम दिमागला जादण्ड पन्द्र विमानमे पोर तुझे विमान और फरादीप प्रत्येक प लमत्तोम पद . का पगार विमानमे चार प्रामापान (परिमसया तोही मयं । परमका एमामा शिया मानचिगेप) नोधे। पर्यागट ८१ पदों के रहने की प्रासा बदोष एक पलय (परिधि) साप मारी दुध पोरगनि बीमादेवमनिई धार मैदी समुद्र में टीभातकोपक, कामोदधिर्म रोग पोर मग मोतिष शामिन पिमानाम नियाम ! पुस्करासपने ममय मयंक यमय दो दी मीन २... को मनाया, पन्द्रमा चोर दोदोमयं मुफराका पाठ मा uTER बानुम दोमन २.. ! माप योभनका मनिए मर्म पापमय मारा है। } पुफरममुद्र ५२ योनमका , : उपमें १२ समय।