पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/५६३

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बनधर्म घरकुनको पग्निकी मना पाहवनीय पीर गपशेयली- कुणको पग्निको महा दनियाग्नि है। बड़ी ये दो चारी कोमो पर चार बम्भ खड़े करके कपर दीया यां तया पोको तु पोर कदम्नो ही मे मुगोभित कर दें। इसके मिना चमर, पंगा. धूप, घर, बा, घना, कमा पादि दृश्य भी यथास्थान . । . . यदि म पो होम करना हो. तो नोन कुष्ट न घना कार सिर्फ एक चतुकोण ( तोयटर) कुण्ड धना उसके बाद मन्य पदरी पर एक दम पूसमें जरामा लेनमे ही काम चल सकता है। मोमें मम पातियां नान ऋपड़ा नट कर पग्नि अनाये और माथ हीमो . को नामकती है। डानता रहे। पयात पाचमन, प्राणायाम पोर राति करके अग्निका पादान करें एवं मध्य प्रदान की। __जित पावमे अग्निमें होम द्रश्य डालते हैं, हमे मुया फिर तो सरकुइममें गोतीतो अग्नि से कर गोवा करत र पीर जिममे धी डानते हैं उसे मुक। सुषा कुण्ड तथा गोमकुण्डममे घोड़ोमो पग्नि ले कर गण. चन्दनका बनाना चाहिए और मुक पोरस (वरगद) धरकुराइम पम्नि मला। . का। यदि चन्दन पोर क्षीरसकी लकड़ो न मिले, तो जैन रहस्यगण जिन मन्दिर प्रतिक्षा. पेटी-प्रतिधा .. पोपमकी लकड़ो काममें लाई जा सकती है। मुवा विम्य प्रतिठा, न तनहनिर्माण, पापाहा घोर मा... नामिफाक ममान चौड़े मुका पौर सुक गायको रोगादिके लिए तथा पोड़ा सस्कारों में सोम करते हैं। पूछकी भाति सम्यो मुंहका बनाना चाहिए। दोनोंको होमके तीन भेद है --(१) जनहोम, (२) वायुका सम्बाई एक एक पावि गेनी चाहिए। हो कुगर में होम गौर (३) कुइकोम। जसहोम-एमके लिए अलनेपाली समालोका नाम ममिधा । मो, पोपन्न, | मिशेया नाय के गोल फण्डको-जो चान, पचत. पलाश पोर घरगदकी लकड़ो ममिधा बनाने के उपयुक्त माना पाटिम गोभित उत्तम जनमे परिपूर्ण एवं धोये । ममिधाको प्रत्येक मकड़ो सौधो एव १० वा १२ हुए तण्डलोंके पुत्र पर स्थापित हो-पायगाकता। . मामलबी होमो चाहिए। इस कुमहमें तिल, धान्य पोर यत्र इन लोग धान्यों में पोसाको उचित है कि खुण्डों के पूर्य, कुशामन पर | मवग्रहों को तथा गेह, मूंग, घना, उदद, निम, धान्य वामन मगा कर, प्रतिमाको पोर ( परिमको तरफ) पोर यमन सा धान्यमि दिक्पानीको पादुति देनो मुम्ब कर बैठे और शोमकी समामि पर्या मोन धारण धारिए । पन्त, नारिकन द्वारा पूर्णाहुति देनी चाहिए। पूर्वक परमामाका भान करते हुए योजिनेन्द्रदेवको शोमई मन्यादि-होसाको चित कि होमगानाम 'पर्य एवं सर्पप प्रदान कर बीच सोय दरकुम बचते ही पहने "ओं दो की मा " या मय पर सुगन्धिष्ट्रय पग्निमाइन पारित करे। पग्निमगइसका कर भूमि पर पुष्प मिधेप को। पनमार "मी ही माय 'पाकार इस प्रकार है- क्षेत्रगाय स्वाहा" यह मम्व पढ़ करवपान की मेयर प्रदान करें। इसके बाद "यो ही वायुरुमा करिव विनामार महीना भट य कहीए. . . , मा (ig , REE मौर शुभ का प्राgs में पून (कुपकी रही )मे भूमिको माफ करें। फिर wwer t . पुसम ममि परचम मेघम करें। मन्न प्रकार