पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/५९५

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- जनसम्प्रदाय । अमापदाय-भारतका एक विस्मात पोर प्राचीन धर्ममम्म.. क्याफम्पन्न उपहारने दिया । किन्तु पग मायने मे दाय । यामप्रदाय मुग्यतः दो विभागनि यिभत है, एक यह काप कर कि गायों को कम्बल मेना उचिम गो; दिगंधर और दूमरा साम्पर । साम्बरीशा वियरन । हीन कर फेंक दिया। हम निपभूतिको वादा सारी तो गतादीने मिलता। दिगम्बर ईमाम | पुमा । किमा ममय उममा पाचार्य जिनकाप मा. १. पं पहले भी विद्यमान छ। कोकि धौर पालि. पों के स्वरूपका व्यायाम कर री , कि मियभूपिने पिटक में मिग्रंयक नाममे एमफा समेत ये निग्रंथ या नाननको रच्या प्रकट को फि 'जय जिनका . दुहदेय मममामयिका धे। निन्या ( दिगम्बरों)का निप्परिग्रह होता है, जो पाप लोगों ने यह पाडयर का विवरण प्रयोकको गिनाम्लिपिमें भी मिलता है (१)। सोकार किया है, यायिक मार्ग को नही पडीकार । पम्सिम नीकर महावीरप्तामोके समयमै यह मम्प्र करते हैं ! उत्तरमें गुरु माराजने कहा-'म विषम टायभेद न था. पीछे छुपा है । ताम्बर मम्प्रटायक / कनिकाल जिनकस्प कठिन होने में धारणा नही किया 'मयपनपरोक्षा' नामक अन्य में लिखा है- जा सकता।' इम पर गियभूतिमे यह कह कर कि "भ्यागमहरमेदिनयुतहिनिधिगयरम वीरस्म । "देखिये तो मैं इसे ही धारण करके मताना एजिनकप छो बौटियान दियो रहवीरे समुपग्णा" धारण कर लिया।" पर्यात्-थोर भगवान के मुन्न होने के ६.८ वर्ष बाद | ___ ताम्बरों के उपयुमा कयनमे यही प्रमाणित होता पोधिको (टिगम्बरों) प्रयत क रथयोपुरमें उत्पन्न हुए। शिपहने जिनक-पो (दिगम्बर.) दोसाका की दम प्रभार वि० मं० १३८ में दिगम्परसम्प्रदायको विधान या; पोधे कलिकाल में यह कठिना होने उत्पत्ति हुई । विन्तु मेताम्बराचार्य जिन जर सूरिन कारण, लोगत अम्पर धारण करने लगे। अपने “ममाणलक्षण" नामक तक ग्रन्यमै मताम्बरों को सुप्रमिह ज्योतियिद मरामिहिरनं (जो कि महा .. माधुनिक यतलाने याले दिम्बराचार्य को पोरसे उपस्थित राज विक्रमको सभा नपरयमिमे एक थे। शहर -महिला- को जानवाली एक गागका उल्लेख किया है, जो उपर्युर में एक जगह लिखा है-. गाथा मिनकुम्न मिलती जुलती है। यथा- "विगोमागवता मगार समिविप्रा विदुर्गाशनाः। . "जमा एदि मतसरे ितच्या निगियरस पारस । मातृमावि मंटनविदा सम्मोः समरमा दिमाः। . पालगं दिसो पलहोरिए यमुपगा." पापा: पर्वहितायातमनसोन जिनाना 4. पर्यात्-महावीरसामोके निर्वाण के १८ य माद | ये यं देवगु गाँधताः स्वविपिना से तस्स फुर्यः किया." (विक्रम-म १२६ में ) काम्यनिकों (शेताम्य )का | वराहमिहिर राजा विक्रमादियों मामनंको मोद मत उत्पन हुपा। दिगम्बरोफी उत्पत्ति विषयमें। ताम्बरों प्रयच गपरोशाम एक कथा लिखी-1 ऐमो दगामें दिगम्मर मतको उत्पत्ति विक्रम संवत १९६में "स्ययोपुरमें गियभूति (वा महसमझ ) नामक एक | ई है यह बात ऐतिहामिक टिम विनामयोग्य रामय रहते थे, जिनकी जो मासके माय लड़ा करती। यो। एक दिन गियभूति किसो कारणयग माता पर ____ताम्बरसम्प्रदायको उम्पत्ति विवरण दयमन- रुप हो कर रातको घरमे निकल पड़े पोर एक माधुप्री- ५० पातमो गाना भी बीकार करते है, . पायर्म जा कर मे गामिल हो गये। कुछ ममय ! गरीनपात मा कारनामहरी HER . बाद मागों का मो नगर पाना सुपा, निगम शिमभूति र ममय रामाने निवभूतिको एक _ficो EिRaisym petitisa, VASXV. P a ten NEETरमानus" . RANEER . दुप है। ., . हम orari"