पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/५९७

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जैनसम्प्रदाय भोलि मा विज्ञानय मम पदार्थ दिगम्बावार्य पमितासिने प्राधिन र्मया' नाम सुगमा दोला . उन्हें भूल गे पोर घे भय ग्रनमें चार महीका किया गया-1 पमान पदार्थों को पपर्ने सामगोपर होने भी मह. २ बाटामा, ३ माय र म पोर : गोपन पनागय न मान गा आने । ममे मुलमाह पहले हो या पोरदापिहम्शा काही . म मिया कयायाम भी यात कार पार ।। मर और माघ रमा पादि पोदेसे एए। मार मे र मोग करते है कि महावीरमानी नामक प्रथम मंग्रहफा देयगेमहरिने नोट परिने एक ग्राणोकि गर्भ पाये और फिर इन्दने वन्हें सिका जो ममय और कारण निमा समे यहां पर रासा मिडाको पयो गर्म रख दिया पलादि करना उचित ममझते . पर टिगवर मका विरोध करते है चोर उनका भारिप-योपूज्यपाद पपर नाम देवा. पवरण मा मिहार्य को मारपीके उदर को मानत पाचार्य गिण. वधनन्दि मासुक पथया ममित चौको लाना अघिस ममारते । पन्य पाषामि इस धासमे उन्हें रोका तो उन्होंने विपरीत प्रायधित प्राचीन दिगयर घोर मेसांवर मूर्तियों के देखने में ! मानम होता है कि पहिले परस्पर घात कम पन्तर मामाको रचनाधार पपनो धातकी पुष्टि हो । था। सांवर मूर्तियो के मिर्फ मंगोटेका चिन्ह ही उदमि निग्या है कि-योजीम ओर नोंमुनियाकी रब पोकर भोजन न करना चाहिये, कोर या प्रामक .. रहता था, परन्तु पाजकन कुण्डम्नकेयूर, अगद, मुफुट पादि मभी शुमार को मामपियो पाना दो भागो । मही १ पादि हम वचनदिने कार रेस पहिला और यागिन्य पादि कराई जोयननिह पोर गोसस पहिले परस्पर इन दोनों गापाम पन का भी पधिक नया । दोनों की हिम्न-मिन्न कर पपमा धर्म माधन जम्नमें स्नान करने पादिमें मुनियाँको दोष नहीं . म्नाया। विक्रम संवत् ५२६ में दक्षिण मयुग (गर) करते थे। गगरम ममतको उत्पत्ति हुई पोर झाविमा मान दिगंबर माधु पाजकन्न प्रतिपिरत है, परन्तु यता पड़ा । . . . . . . . . बर माघ परत दोग पड़ोस । एमका कारण दोनों , काठाम-नादोतट नगरमे विनयमेन मुनि मम्पदा दुर्गम सुगम मियम है। दोमित कुमारगेन मुनि सन्यास मरणमे भाट को फिर मूर्ति पूजाम भो परस्पर भेद है। दिग'घर पूनम दीमित नहीं हुये। उन्होने मय रविधरको त्यागकर पहिले अरसे पमिपेक फरते ६ पोर फिर जन्न मन्दन | चमरो गायके वालाको विच्छो' या पक्षर द्रायिर देगी पमत पादि. पट ट्रयोंमे पूजन करत । परन्तु उन्मार्ग का प्रचार किया। हम मसानुमार, TREtको गोसावर पचामतमे पभिषेक कर पृमन करते हैं। योरचर्या करना, मुनियाँको काठे पामों की पिछोरपगा मसाधर मम्प्रदायमें स्थान कयामो न रहयो पाटि उचित है। इसी प्रकार पन्य गात्र पुराण पोर प्राप. . पनेश भेट इ. जिम मानकयामो मूर्ति को मी पूजते ! शित ग्रन्पों में भी कुछ मिनावट कर दी। निकम मपत् पौर गो, कुछ मात्रा भी प्रपया एयक र हुए । ०५.३ में दम महकी उत्पति ! . . . में सागमतानुसार योमहापौरमामौके पीछे, जो पापायलिभरातील पा पर उनका गियरष नियतिषित सानिकाम पामगर मारपो महायतो । ५५॥ भागना पापिये। तानिया पाग पहमें देखो) : पयरे यी nि HITRA ..विपर-पार , जमरामा मियोपदामोदो। २ विसर मामा देशे म मायन ! REME REPEARHI दोनों ही संदाय मा दा पाया शाला परमे Kit.hd मुमको