पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/६००

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

- ४५ नैनसम्प्रदाय ५४३ .... ! . . . वृहत् खरतरगच्छको (श्वेतांबरोय ) पट्टावलौ। . . पर नाम जन्मस्थान, गोत्र : पिताका नाम गृहवास मतस्य युगप्रधान स्वर्गप्राप्ति मायुमान २. मुधर्म कोलाक अग्निय श्यायन धम्मिन्न - ५० यर्प: ४२वर्ष ८ वर्ष वीराब्द२० १०० २. जम्प ... राजयक्ष काश्यप पभदत्त १६ , २०, ४४, , ६४ ५०, ३ गमय जयपुर · कात्यायन - विध्य ३० , । ७५ ८५ वा १०५ १ शय्यम्भव(१) राजग्र वात्स्य - २८ , ११, २३, ८८ ६२ . ५ यगोभद्र । - तुगनेयायन ॥ १४ ॥ , १५८ ६ . माभूतिविजय - माठर ७ भद्रबाहुं (२) - माचोन ८ स्थ लभेद (३) पटना गौतम शकाटाल ८ महागिरि - एलापत्य , २४५वा२४८ १० सुहम्तो (१)- - वाशिष्ठ ४६. , २६५ ११ सुस्थित (५) काकन्दो व्याघापत्य ___३१ , ४८., . ३१३ ८६

  • १५ वा (६) तुंम्बवन गौतम

३६ , , ५८४ ८८ १६ वजमेन ' ' . - सत्कीसिक - ८ , ११६, ६२० १२८ १७ चन्द्र (७) - - - - - २३ वीर नागपुर १३७ उद्योतन .. मालव । ३८ वईमान - विद्यावा १०८८ ममत् . मादेव, १०८. "? ४० जिनघन्ट्र मगरवशालाके का ४१ अभयदेव हिप्रकारमादिक की। २८. जिनम्वर , , . . . . . . धनदेव (१) दशवकालिकसूत्रके रचयिता । (२) कल्पसूत्रादिके प्रणेता । (३) शेष चतुर्दशपूना । (४) राजा सम्प्रति और भक्ति के दीक्षा. गुरु । (५) कौटिकगच्छ मतके प्रबर्वक और सुप्रतियुद्धके गुरुमाता !

  • इनसे पहले के १२वें न्द, ११वें दिन और १४ सिंहगिर इन तीन पट्टधरोंका सिर्फ माममात्र पाया जाता है। . .

(6) शेष दशपूर्वी और पशासाके प्रवर्तक। . .. (७) तपागच्यकी पहावली के अनुसार चन्दगच्छके प्रवर्तक । + इनसे पहले १८३ सामन्तभद्र १९३ वृद्धदेव २०वें प्रद्योतन,२१ये मानदेव (शान्तिस्तवप्रणेता) और २१व माननुग (मका.. मर प्रणेता) इन पोच पट्टघरों का नाम मात्र पाया जाता है। इसमें तागरकी पटापलीक अनुसार मानदेव मालवैवाफे पयर' -सिंहदेवके अमात्य थे। . २४ सयदेव, २ देवानन्द, ३६ विक्रम, २७ नरसिंह, २८ समुद:२९ मानदेव, ३० विषप्रा, ३१ जयानन्द, ३३६ रविप्रग, २३ यशोगा, ४ विमचन्द्र, ३५ देव ( मुरिहितगार प्रवर्तक ) ३६ मिमन्द हन सोगोंडा सिर्फ नाम ही मिलता है। पर मानदेवके समय (१... धीरान्द )में सत्यमिय याय शेषपूर्व उH हुआ । ' ' ९.नीराब्दमें कालकावार्यने भाद्रशुक्ला पनी के पदछे बनुषीको पर्युषगा निश्चित किया ! वनसे पहले बालकाचार्य नामके और भी दो कि हो गये हैं, एकका नामान्सर श्याम मा भो २५ योरान्दमें विद्यमान थे। पाम सापनाके रचयिता गौर निगद पता थे। दूसरे शालिदाचार्य ४५३ वीरान्दमें विद्यमान थे। इन्होंने गई नियों को परास्त किया था | तपागर महापसोड मनसार ८०५ मीरान्दमें सभी भंग हुए। .. . ... ... ... ..