पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/६०७

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वैनेन्द्रभूषण-वन्तायन .. . नन्दि पोर पूज्यपाद म्यामो दोनों एक दो व्यक्ति पर पुनका नाम समन्तु पोर पोवका नाम उत्वान्न दिगर अमाचार्य यादीन जैनेन्द्र धाकरपको सोनाने घेदकी एक एक महिला बनाई , free. रखमा को विशेष प्रमागाया कि इनके बनाये। नाम, पेप्पचि पोर भयम्त्य . नाम तीन गिने उन ए मार्थ मिहि स्रोपटेग, ममाधिगमक घादि प्रत्य मंहितापों का पध्ययन किया था। । । घोर भो ग्राम जो दिगम्बर मम्प्रदाय है। जमिनिदर्शन ( म० को. ) जमिनिता याम'. १२.५ १. मोमदेयाचार्य ने गदाणंयचटिका कर्मधा मौमामा वा पूर्वमीमामा यमार पध्यायो गामक पक भाय घनाया है। उसने पहले हो तोयंकर में विभmk, उसमें येटफी मोमामा पोर अतिम निका पौर पूज्यपाद गुपनन्दिदेवको नमस्कार कर अन्य सूचना विरोधमन्नन है। यह शानरमका बारवक्ष्य है। नियो। जनेन्द्र व्याकरणको प्रक्रिया का देय- इममें न्यायगाराका पय पवलम्बन कर येक विषय नन्टिक गिय गुपनन्दि है मौन अपनी प्रक्रियाका समालो नाम जैनेन्द्रप्रक्रिया रकया है। यह अन्य वर्तमानके मम्त | अमिनिभारत-महर्षि अमिनिप्रमिह भारसंहिता। जनविद्यालयोंमें पढ़ाया जाता है, तथा कलकशाके मका मिर्फ परामेध पर्व हो मिलता है यहां का मंस्कृत विगाविद्यालय के परोक्षालय में भी प्रविष्ट है। कहना है कि, इसके पन्यान्य पर्य इस ममय बनी। अनेन्द्रभूषण -चंद्रप्रभपुराण -छन्दोबदके रचयिताईन पाना थे या नहीं इसका कोई प्रमाण नहीं मिलता। कायि । २ एक जन भाारक ! वि०म० १०३३में ये प्रयमेध पर्व भी मिलता है, वह महाभारतोयं पायम: विद्यमाम थे। उन्होंने जिनेन्द्रमाहामा, मम्मे दागिवर- पर्वको अपेक्षा विटत और उममें पनक नयीन घर माहामा, करक चरित्र प्रादि ( मसात पीर माहस । नापोका वर्णन मिलता है। भाषाम ) ग्रन्य मिसे हैं। जन्य (मं० वि०) जनवार्य यत्। जैनसम्बन्धीय ।। जगिनीय (सं. वि.) १ मिनि मम्बन्धीय। (! २ मामधेदकी एक शाखा। अपात (म. पु. ) जयपाल प्रपोटरादित्वात् माधुः । | जेमूत ( म. वि. ) जीमूत सम्बन्धोय। भयपान, अमानगोटाका पे । जयणम्त का बोज, । मालगोटाका बीज । मालगोटा मो। जैयट. (म० ए० ) प्रमिह महाभाणटीकाकार फेघट मेय (हिं. पु. ) गणपत्र देगी। पिता। अमय (मि. पु. एक प्रकारका | दमकी / जेयद, (प. दि.) १ बहुत बड़ा, घोर, बहा भागे। नबाड़ी पन मजबूस होतो है और मेन क्रमो इत्यादि पनामे काममै पातो है। २ यह हायी जो मिर्फ जैन (प. पु. ) १ दामम, पंगे. कोट, कुत, इत्यादिका रामाको मयाराकाशे। नोचेका भाग। २ निघ भाग, गीचे का स्थान लि.' जमान ( हितो. ) मास देगी। ममूह, मक। ४ नाका, पन्नका। : ....... भोमिनि (म. पु.) मुनिभद। ये बच पायम शिण घे। लक्षार (प्र. पु. ) सरकारी कर्मचारी, जिसके पधि- रखान यासदेवरे पाम मामपेट पोर महाभारत को कारमें कई गायका प्रबन्ध .. शिखा पाई घो। रमको घनाईई भारतमपिता नामक प (म.मि.) भोवस्येद जीय-पए। . १ जीवन • पुस्तक अमिनिभारत नाममे प्रसिह । समिगिने मम्मन्यीय। २ सरस्पति मम्बन्धोय। (पु.) २ पक्ष पर्यनकी रचना की जिसका नाम जमिनिदर्गम स्पतिक व धन पौर मीन रागि। ४ पुपामत । का पूर्व मीमामा है। या पूर्व मीमामा पड्दाममे ५ पुधान राप्रपास .. .. . प समिमिको पचवारकाम गिनमो ।, "हतापिता व पाय गोस्लपा।" (एमय) .रान दोरपुतमि मान्यपुरा ना मानपनापन .म': पु.पी.) नोवतण गोवामा