पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/६१

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जयन्तिया पहाड़.वयतो - मित्रताको प्रधानता स्वीकार न की। १८२४ई में वर्मा, वर्तमान में जयन्तिया पशाह २३ बलमो में विभक्त लोगोंने जब कबाड़ पर चढ़ाई की, तब जयन्तियाके, जिनमसे दोमें कुको और दोमें मिकिर प्राप्तिका वाम राजाने हटिग गवर्मेण्टसे सन्धि कर ली। १८३२ ६०में है। यहां करवंय करीव पयोस हमार-रुपये बसून राजा सिलहटसे चार हटिश प्रजाको सुरा कर ले गये होते हैं। यहां 'म' नामक कषिप्रथा प्रचलित है। यहाँ .. जिनमसे तीनका उन्होंने फालजोरमें काजीके सामने | नदीके किनारे से अच्छा पत्थरका चूना पाया जाता है जो यलिदान किया। इस तरह कई वार रानाका दुर्व्यवहार बङ्गालमें श्रीहरका चूना के नामसे प्रसिद्ध है। देख हटिश गवर्मेण्टसे रहा न गया, अन्तमें उन्होंने जयन्तियापुर-पासामने मितहट जिसमें माय सिसाट १८३५ १० में नयन्तियाको हटिशराज्यमें मिला लिया। सबडिविजनका एक गांव । यह पमा० २५ . भोर . . तभोसे यह सटिश गवर्मेण्टके अधीन चला पा रहा है। देशा०.०२° पू में प्रवस्थित है। पहले या मतिया. यहा वर्षा अधिक होती हैं, इस कारण सभी चीजें यघेष्ट | राजकी प्रधान नगरी था। यहां का हिन्दू मन्दिर बने उपनती है । शस्य द्रव्यों में धान ही प्रधान है। इस पर थे, परन्तु उनका सामशेष १८८७ .. भूकम्प . गनेका अधिकांश जङ्गलमय है। जलवायु उतनी माता रहा। सप्ताह में एक बार बाजार लगता है। वास्थाकर नहीं है। भयन्ती (स. स्त्री०) जयतीति विम । दुर्गा । . जयन्तिया पहाड़-मासाम प्रदेशका 'एक विभाग। सर्व २ इन्द्रको कन्या । पताका, यशा । ४ पम्बिमबम भाधारण इसे जोवाई कहते हैं। इसका परिमाग्यफल परयो नामका पेड़। ५विशेष एक पेजका माम २००० वर्गमोल है। इसकी उत्तर-सोमामें नौगांव, इसके पर्याय-अया, सारी, नादेयो, वैजपतिमा, पूर्व में कछाड़, दचिणमें योहार भोर पचिम सीमा बला, मोटा, सरिता, विजयो, सूपमा विकामा चौर । खासी पहाड़ है। पपराजिता है। इसके गुण-मदगन्धयुक्त, तिल, दु इसके गोवाई नामका सदरमै सरकारी कमिश्नरको सषण, क्रिमिनामक और कइविशोधन सो सका .. कचहरो है। १८३५ ईसे यह स्थान हटिश गवर्म गटके | गुण-विषदोषनाशक, पशुका सिकर, मधुरं वीर . अधिकारमें है। पहले यहां के प्रत्येक ग्रामसे वर्ष में एक | सोतल है। यह नवपत्रिका म्यास सोसारे। मारो वसूल होती थी। १८३० में यहां पर पीछे कदस्यदादिमी प्रामहरिद्वामा । का महसूत जारी दुपा। पहले पहल महसूल विमोऽधोको यस्तो विहेमा सब Eि" (सिविल) सानिमें बड़ी दिकत दुई घो। पहाड़ी सोग रानाके | वेधक मतमे रविवार के दिन अलजयन्तीका मम सिमा अन्य किसोको भो महसूल देने के लिए राजो न के साथ पीस कर खाने शिरोम भारोमसोता। हुए। इस पर उनके साथ एक छोटासा युबइमा पौरपंधशोक पोषधनिरीष । विष, पाठापनामधा, प.. उनके पात्र छोम लिये गये। पीछे यहां मछली पकड़ने सासोशपत्र, मिर्च, पीपर, नीम पीर जसो रोकना मीर लकहो काटने पर महसूल लगाया गया । परन्तु | बराबर घरावर-भाग से कर मारो ममम पोम पर इससे पहाड़ी लोग पसन्तुष्ट हो गये। १८६२ के बापक प्रमाणका गोन्बो प्रत करनो पक्षमा २ ० भनवरी मोने में पूमाझे उपलक्षमें समने मिल कर | योगविशेष, ज्योतिषका एक योग। अमपावरमामः . मौके विका पानधारण किया। पुलिगको कोठो । यो क्षणपघकी अष्टमीको पाधीरात प्रथम और ीय चला दो। पहाड़ पर टिका कोई भी वित न रहा, दण्डमें रोपियो मधव पड़ेगा-या मोग रोमा.. प्राबिर इनके प्रमाणे लिए सिपाहियों को सेना भनोदगो विशेष । बोले छोटे पौधे निममा यमो दिन गोपाले.तो सिपाही कुछ भी न कर सके थे, किन्तु | माअण सोग र यजमानो'को मानब की भेंट दगिमारोहो पोर दो दस सेमा भग कर हमको करता यत्रमान ययाति मामलों को पम मा दमन किया गया। . | कामना के लिये इशिक्षा दे। १.नाटली। Rapter