पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/६१०

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नांक भारतवर्ष के पयिममान में दो प्रकार विभिन्न येणोको ! है। भैपज्यमें व्यवहार निए दाक्षिणात्य पयिम- नौके देखनमें पाती है। एक यणीको जोकको लम्बाई प्रान्तमें एक-ये पीके हिन्दू गरमियों में जोक पालते हैं। एक इच, वर्ग हरा और पीठ पर मात धारियां होती है, | मंद्राज श्री बगानमें एक प्रकारको जोक देखने में पातो किन्तु अमितवर्ण को कोई रेखा नहीं है। इनके बारह है जो ज्यादा कीमत, विका करतो है। अग्दि है और वे चार रेखाओं में विन्यस्त हैं। इस भागरारे मध्यवर्ती गनुपावादके धामपाम के जन्ता- येणोको जलौका पानी में रहती है; अन्य येणोकी लोक शोंमें एक तरहको जोक होतो है जो 'जयाबादो जोक के नाममे मिह है। इम जोकका रंग हरा १ नम्बाईमपंगम ज्यादा नहीं होतो। रंग नायकी भांति रताम. पोठ पर एक बड़ी काले रंगकी होता है और इसके शरीर पर पीले रहाको उजलो धारियां होती हैं। धारी पोर तमाम शरीर पर कानो काली धारियां होती पञ्जाब प्रान्तमें पाटियान्दा निकटवर्ती स्थानों में है। इनकी दश प्रांखें हैं और वे बई वृत्ताकारमें भी बहुत जो के दोख पड़ती हैं। दमके मिवा तयार विन्यस्त हैं। इनमें ओष्ठ चिकने होते है। इम | नामकी और भो एक तरहको जोक होती है। यूरो. जानिको जोंके जमीन पर रहतो हैं। अन्तमें जिस | पर्म वायुमवेगाथै सूक्ष्म प्रावरण विशिष्ट जलपूर्ण पवमें श्रेणीको जलोकाका वर्णन किया गया है, उस ये गोकी तथा भारतवर्ष में प्राट्र कर्दमात मृत्पात्रमें जलोका ओंक भारतवर्ष के पथिम प्रान्तमें तया मिहनदीप चोर रक्खी जाती है। भारतवर्ष के दक्षिणप्रान्तमें प्राय: जो मादागास्करमें बहुतायतसे होती हैं। इनको मधिरान जन्नाशय गरमियों में सूखते नहीं और जिनका पानो नुन- (Matheran) जोक कहते हैं। दम जातिकी जोंक। खरा नहीं, ऐमे जलाशयों में हो सोक दीख पड़ती हैं। इतनी समापिपास होतो हैं कि, यदि कोई इनके पास- माधारण जलाशयोको जोंक ममुद्रको जोकॉम स्थानके पाससे निकले तो उसके शरीरसे इतना रन खींच विल्कुन भिन पाकतिको है। ममुद्रको जॉकोंको चमड़ा लेती है कि, चतस्थान भन्तमें सड़ जाता है और पौत्र | मजवत होतो है। यह साधारण ओंकों की तरह समुद्र में बहने लगता है। शोधतामे अथवा पच्छी तरह चम फिर नहीं मातो, सधे होकी जोंक भीगे हुए किन्तु उण स्थानमें क्षिन्नु इच्छानुमार भरोर मकुचित वा बर्षित कर ध्या पायी जाती है। डा. करने अपने मिकिम की विशेषतः अन्य जौकोंगे दमकी पालतिम भ्रमणहत्तान्त'म लिग्दा है कि सममय स्थान अथवा बात का वैषम्य दृष्ट होता है। विज्ञान-थाम्नमें मामु. पर्वतके ऊपर नहीं उन्होंने भ्रमण किया है, यही इस ट्रिक जलीकाका अनबियोन ( Albion ) नाममे उन्मेष येणोको जोक बहुतायतसे देखनमें पाई है। उनके | है। और एक प्रकारको मामुद्रिक नोंक है, जो प्राई। भ्रमणके ममय मिरमे लगा कर पैर तक जोकोंमे पाच्छय। लियन् ( Banchellion ) कहलाती है। हो गया था और इस कारण उनके शरीर पर जो सत | पलवियोन जोककी देह कड़ी होती है, सामयन्य हुए थे, उनके पारोग्य होने में पांच माम समय लगा था। पृथक नहीं होता, कारण यह चमड़ीके भोतरमे की यातु, नार्कोको संख्या बढ़ती है और उनके उप । बामनिया मम्पत करती हैं। महन्तीके जिम जगह द्रयोंमे रोगों का भी पाकमण होने लगता है। कभी। वाधार होता है, वाचलियन उमी तरफमे चिपट कर कमो लोक ममुपा थोर पशु भादि शरोरम प्रविष्ट हो । रजगोपण करती है। मामुष्ट्रिक जलौकाको गोध आतो है जिसमे उन्हें मौतका महमान बनना पड़ता प्रदान्नो एकसी नही है। पनविमोन् जोंक प्रायः चर्म है। पानोके माय भो यह पशुपादिक .शरोरमें प्रविष्ट दिन करतो है, किन्तु पोल झोक चमड़े को काट होती हैं। डा.हरका कहना है कि, परके तलवे डानती। ये दिन में पानस्य में पड़ी रहती हैं पोर पर नस्य पश्वा तंबाकूका प्रयोग करनेसे जीक पास राव होते हो भिम सीरमे चिपट जाती, उसोका पत्र नहीं पाने पातो नमक भी पम काम लिए उपयोगी । गोषण करती हैं। Vol. vu. 139