पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/६१४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

. जोर-जोगेवरी “वाग्विन माम दशहरा मोर कार्तिक माममें दिवालो, पाता है। वहीं दोनों पर तेन चढ़ाया जाता है। 'टूमरे ये दो ही इनके प्रधान उत्सव है। दिन घरका पिता मनको निमन्तित कर जिमाता है ये ब्राहपोको खव मानते हैं। इनके विवाहादि तोमरे दिन कन्चाका पिता निमन्त्रण देता है और एमो कार्य ब्राह्मण हारा होते हैं और बोर्ध्व देहिक कार्य स्वजा दिन विवाह कार्य सम्पय होता है। वर कन्या दोनों तोय लोग करते हैं । किमो किमी जोगुरूका विवाह नये कपड़े पहन कर अनाजमे भरे हुये दो इनाम पामने कार्य ग्राह्मण द्वारा और अन्यान्य कार्य कानफट पैरागो | मामने मुंह कर म्खड़े होते हैं। दोनों के बीच में एक हारा होते हैं। ये तोर्थ भ्रमण नहीं करते ; भाग्विन । बामण पुरोहित इन्दोमे रंगा हुमा एक कपडा पकड़े माम प्रारम्भमें पांच दिन तक प्रत्येक परिवार का एक | रहता है और विवाहका मन्त्र उच्चारण करता दुपा व्यक्ति उपवास करता है । इनकी प्रत्येक थेगिमें | दम्ममो के मस्तक पर धान्य नि:क्षेप करता है। इस एक एक धर्मोपदेगक है, वे कभी भी विवाह नहीं ममय चार मुहागिन स्त्रियां पाकर वर-कन्याके चारों करते । गिपागण उनके लिए पाहार संग्रह करते है। पोर खड़ी हो जाती हैं। ये दाहिने हायको उगनोमे यह व्यक्ति अपनी मृत्य मे पहले अपने किसो भो प्रिय । एक डोरेको पांच फेर दे कर बांधतो हैं और मन्त्र पाठ • गिषाको अपने पद पर मनोनीत कर सकता है। ममास होने पर उसके दो टकई कर एक टुकड़ा वरके माधारण जोगेरूत्रों के गुरु धर्मापदेष्टाका नाम है | हायसे और दूसरा टुकड़ा कन्या हायसे बांध देतो भैरवनाथ, ये रत्नगिरिफ पास बड़गनाथ पहाड़ पर रहते हैं। चोये दिन वरवधू दोनों ग्रामस्थ मारुति मन्दिरमें है। ये दयमय और दुर्गव नाम के ग्राम्यदेवताओं को पूजते | जा कर एक नारियन तोड़ते हैं। पोछे दोनों मिल कर और जादूविद्या, डाकिनोविद्या इत्यादि पर विश्वास र वते वरके घर पाते हैं। ये मृत व्यक्ति को गाहते है । पाचयें है। किमो किमी श्रेणोके जोगेरू भवियत्कयनविद्या | दिन उस मृत व्यक्षिके लिए भोजन बना कर दिया और फलित ज्योतिष पर विजाम करते है किन्तु डाकिनो जाता है। बारहवें दिन बन्धु माधव भोर पामोयों को विद्या पर विश्वास नहीं करते। प्रमयान और अन्यान्य भोज दिया जाता है। प्रथम माममें ये मृत घ्यक्तिका स्थानों में भूतोके भावास यह है, ऐमा इनको दृढ़ विश्वास प्राकार वना कर उसको पात्माको उपासना करते है है । मन्तानप्रसून होने पर ये प्रसूति और सन्तान दोनों और प्रति वर्ष एक भोज देते हैं। को नहला देते है। पांच दिन नवमसून सन्तानको इनमें विधवा विवाह पोर पुरषोंका या वियाह पच. पायुर्वहिके लिए पठोदेवीको पूजा करते है पोर मात | लित है। दिन मञ्च का नाम रखते हैं। बुलवुति पाटिके जोगरू! जोगराम नातीय एकता अत्यन्त प्रवल है। मामा. बचा होने पर १२ दिन तक प्रतिको धो पोर भात जिक विवाद-विसम्यादीका विचार समाजके प्रधाग खिलाते हैं, पीछे प्रसूति घरका काम काज करने लग। यहि करते हैं । जो उनके विचारानुमार न चली, जाता है। बारह दिन अपने जाति के लोगों को निमन्त्रित सनको ममाजमे निकाल दिया जाता है। कर पांच प्रकार के बाद ट्रय खिलाते और बच्चे का नाम! ये अपनो मन्तानको विद्यालय में नहीं पढ़ात पोरन 'रखते हैं। थोड़ीउनमें लड़कियों का विवाह कर दिया। उन्हें जोषिकानिर्याह के लिए कोई नया उपाय भी जाता है, किमा विवाहका कोई समय नियत नहीं है। मिलाते हैं । 'विवाह सम्बन्ध ठीक करने के समय किमो सरका! वागमें गायद यह मम्प्रदाय जोगो नाममे प्रसिद्ध उपहार नही दिया जाता, सिर्फ कन्याका पिता कुछ। था। मोगी दे।। स्वातियों के सामने पपनो कन्याका वियाह प्रस्तावित | जोगैम्बर (म' पु.) योगेश्वर देखो। . वरके माय करेगा, इतना मन र करता है। दिन तक जोगेरी-बबई प्रास्तके याना जिने में मालमेट ताल विवाहका उत्सव रहता है। पले दिन वर कन्याके घर को एक गुहा । यह पक्षा. १८३°10 चोर देगा Vol. VIII. 140