पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/६१६

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जोतगोपालि-जोतिर पर्वत गले में और दूमरा उम पोजमें बन्धा रहता है जिसमें | जोतात (Eि स्तो. ) जोतान को! .. ! जानयर जोता आता है। रं तराजूके पाने में लगी हुई | जोतान-बम्बईके पन्तर्गत महोकांठा जिलयो एक छोटो रमो। ३ उतनी भूमि जितनी एक असामोको जोतने | रियासत । बोने सादिके लिये मिली हो। जोति (हिं स्त्रो०) १ देवताओं पादिके मामने जलाये जोतगोपानि-यशान के मालदह विभागमें कोतवाली पर जानका घोका दीया। २ ज्योति देखो। गर्नका एक बड़ा ग्राम। | जोतिय पर्वत (वादो रमगिरि)-बंबई के कोल्हापुर राज्यका जोतपरिव-बगाल के मालदह विभाग कोवालो परगने । पर्वत । यह पत्ता. १६४८ उ० पोर देशा० ७४. १३ का एक बड़ा ग्राम । पू. में कोल्हापुर नगरमे कोई मोल उत्तर-पयिम पड़ता जोतदार-१ वह प्रासामो जो जोत वा किमो विस्त,त है . ममतन्न भूमि से इसको उचाई १००० फुट है। धनी खेतो करनेको जमीन के जोतनेका अधिकार रखता हो जङ्गली चोटी पर जोतिबा पुगेहितोका एक गांव धमा प्रथया जिमे जोतने बोनके लिए कुछ जमोन (जोत) मिलो हो। है। अति प्राचीन कालमे यह पर्वत तीर्थ स्थान माना । २ उडियाके अन्तर्गत कटकके दक्षिण पूर्व कोनमें | जाता है। गांवके बीचमें कई मन्दिर है। कहते हैं - बहनेवालो एक छोटो नदी. जो मानदीको खाडौमें ना कि रानों में मनायो जाने पर कोल्हापुरको अम्बादेयो "मिलो है। यह अक्षा. २०११ २० और देशा० ८६. हिमालयके वेदारनाथ पर पहुंची और वहां उनके '३४ पू में ममुद्र में जा मिनो है। विनाशार्थ इन्होंने कठोर तपसरण किया । उनको भसिमे प्रसन्न हो केदारप्रवर यह पाये । प्रयाद है पसलो मन्दिर जोतनरसिंह-बङ्गाल के मानदह विभागमें कोतवालो पर गर्नका एक बड़ा ग्राम। । नायज्ञो सय नामक व्यक्किने बनाया था। मो जगह जोसना ( हिं . कि. १ रय, गाड़ो इत्यादिको चलाने के १७३० ई.में रानीजो में धियाने वर्तमान मन्दिर निये उसमें बैल घोड़े प्रादिको बांधना 1 २'इन्न चलाना, बनाया था। १८०८६०में दौलतराव में धियान केदा- हल चला कर वतीको मिहो खोदना । ३ किसोको रेश्वरका द्वितीय मन्दिर निर्माण किया। १८८० ई.. 'जवरदम्तो किसी काममें लगामा ! ४ गाड़ी प्रादिमें में मालजो निम्नम पनहाल करने रामनिङ्गमन्दिर 'बनवा घोड़ा प्रादि जोत कर उसे चलने के लिए तैयार बनाया। केदारेश्वर मन्दिरके सामने एक छोटे मन्दिर करना। . . में काले पत्थरके २ नन्दो है। इन्हीं मन्दि के निकट जोतप्रकाशलाल हिन्दोके एक ग्रन्यकती। ये जाति । १०८० ईमें मोतिराव हिम्मत यहाटुन चोपदी- कायस्थ थे." का पवित्र मन्दिर निर्माण किया था। गांवमे कुछ जोतात (हिं. स्त्रो०) खेतको मट्टीको अपरो तह। | गज दूर गनोजो में धियाका बनाया हुपा यमाई मन्दिर ओता (हि.पु.) १ बग्नीको गरदनमें फैमाई जानको । है। मौके सामने दो पवित्र कुण्ड हैं। इनमें एक जुना बंधी हुई पतलो रम्मो। २ करघेको इरोको- कोई, १७४३ ६०को जिनाबाई साहबने पीर दूसरा 'बंधी हुई सूतको डोरो।. ३ एक हो याशिमें लगी हुई | जामदग्नातीर्थ रानोजी में धियाने बनाया। मन्दिरोंका कप खभों पर रखो जानेको बहुत बड़ी धरन या शह- कारुकार्य हिन्दुषों द्वारा किया सुपा और बहुत अच्छा तीर । ४ यह नो हल जोतता हो, खेसो करनेवाला।। है। कई एक मूर्तियों पर ताम तया रोप्य फतक चढ़े ५ जुलाहको परिभापामें करपे पर फैनाए हुए तानेके | हैं। जोतिषा प्रधान देवता हैं। चैवत पूर्णिमाको 'पाखिरो सिरे पर उसके सूतोंको ठीक रखनेयानो कमा- बड़ा मन्ना लगता है। छोटे मोटे मैसे प्रत्येक रविवार चोके दोनों मिरों पर बंधी हुई दो डोरियो। पौर्णमासी पौर यावणयका पठोको होते हैं। मेले के जोताई (Eि'. 'स्लो. ) १ जोतनका काम । २ सोतनका दिन मिक्षमनपर प्रीतियको मूर्ति का जन्म : निक भाव। . ३ सोतनेकी मजदूरी। -: : सता है। . . . . . . .