पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/६२०

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जोधपुर पर बैठे। इन्होंने १५२०६ में मेधारक राना मङ्गको। सिंह। प्रमरसिंहको पटक धन हाय न लंगा और मावरके विरुद्ध महायता पहुंचाई थी। इनके उत्तरा, छोटे लड़के हो राजा बनाये गये । यही मारवाड़के मय- धिकारी उनके लड़के गव मालदेवजी हुए। ये बड़े से प्रथम राना । जिन्हें 'महागजा'को उपाधि मिलो शूर वीर तथा प्रसिद्ध राजा थे। फिरस्ताने लिखा है, यो। उमो ममयने अाज तक यह उपाधि चलो पा रहो 'मालदेव भारतवर्ष में एक प्रभाव गानो राजा थे। इन्होने है। ये अनेक अच्छे पच्छ कान कर गये हैं। १६५८ या ई एक प्रदेग अपने राज्यभुक्त किये थे। इनके मम- में ये मानवाडे गजपतिनिधि चुने गये। १६७८ ई... यो मारवाड़ उमतिको चरम मोमा तक पहुंचाया को जमरूट गका देहान्त हुपा। इन्होंने जित- था स्वाधोनताको जड़ भो मजबूत हो गई थो। गैर मिहको गोद लिया था पोर मय के बाद ये ही राज्या. गाहमे सिंहामनच्यु त किये जाने पर हुमाय ने मान. धिकारो राये गये। इनको नावानगोने चोरत मेव देवका प्रायय लेना चाहा था. किन्तु इन्हो ने खोकार | ने मारवाड़ पर थाकमण किया और समस्त जोधपुरको न किया। तिम पर मो १५४४ ई०में शेरशाहने ८००००। कंपा छाला तथा बहुतमे मन्दिर भी नाम नहम कर योडाौके साय इन पर धावा किया और विश्वासघात. डाले। १७०७ ई०में पोरङ्गजवके मरने पर अजित. कतामे इन्हें युद्धम परास्त किया। १५६१ ई०में प्रक मिहने पुनः अपनो राजधानो नोटा ली। इन्होंने गज्य वरने भी मारवाड़ पर पाकमा किया था। इस युद्दमें भरमें अपने नामका सिका चलाया था। १०२४ ई में रावके लड़के चन्द्रमे ने अपनी खूब वोरता दिखलाई। ये अपने लड़के वापतसिहमे मार डाले गये। यो। मवह वर्ष तक तो वे गव को दूर भगाये रहे, इनके पथात यमयमिह राजा दप। इन्होंने १०२४ किन्तु अन्तमें इन्हींकी हार हुई। १५७३ ई० में माल मे १७५० ६० तक गन्य किया। ये गुजरात और देव के मरने पर चन्द्रमेन पीर उदयसिंह दोनों भाई अजमेरके राजप्रतिनिधि धे। अहमदावाद पर पधिकार तख्त पाने के लिए पापममें लड़ने लगे। किन्तु अन्तम | जमाने के लिये उन्होंने मुहम्मदगाहको खूब महायता को जनमाधारणको सलाइमे चन्द्रसेन ही राजा हराए | थो। १७५० ई में इनके मरने पर इनके लड़के राम. गये। ये अधिक समय तक राज्यभोग कर न मके पौर। मिह जोधपुरके तन पर ठे। इन्होंने दो वर्ष तक भी १५८१३०में पुन: उदयमिंदराजसिंहासन पर पारुद | पूरा राज्य करने न पाया था कि इनके चाचा धावत हुए। ये हो गठोरयं के सबसे प्रघम सा थे जिन्हें मि इन्हें उन्ननको मार भगाया। कहते हैं कि बापत 'राजा' को उपाधि मिली थी। सिंह भी एक वर्ष के बाद हो विप खिलाकर मार डाले इनसे कई एक लड़के थे जिनमें शिशनसिइने / गये। पोछे उनी सड़के विजयमिह राजा हुए। इन्होंने अपने नाम पर किशनगढ़ राज्य यमाया था। उदयः। अमरकोट पर अपनां दखल जमाया और मेवाड़ राना मिहके मरने पर इनके बड़े लड़के सूर मिह राजा बने।। मे गोदयार छीन लिया। शराषके ये कहर पो चे, पिताके जोजो रहें मवारराजा'को उपाधि मिल चुकी। यहांतक कि उन्होंने पाने राज्यभरमें शराबका व्यवहार थो । इन्होंने गुजरात और धुन्दोकाके राजाभोंको विलकुल्त बन्द कर दिया था। मृत्युफे पयात् इनके परास्त किया था। पकवरने इन्हें पांच जागीर गुज- दूमरे लड़के भीममिंद राजगद्दी पर बैठे। महाराष्ट्रोंको रातमें पोर एक दक्षिण प्रदेशमें दो यो। १६२०१०में | जो कर दिया जाता था उमे इन्होंने मदाशे लिये बन्दयर उनका देहान्त हुपा, बाद उनके बड़े लड़के गजमि' दिया। इनके मरने के बाद माममिह राजमिधामन राजा हुए। ये समनमानमनटको पोरमे दक्षिण प्रदेशके पर बिठाये गये। इनके समय में जोधपुरम यरत एनचन राजमतिनिधि ( Viceroy ) नियत किये गये पोर उन्हें मय गयो थो। ऐमो भवस्या प्रमोरखनि कई बार घोड़ी जागीर मा मिनो यो। पागराम इनकी मृत्य। इसार भाक्रमाय किश । १८१८ में नौने टिम दुई। उनके दो लड़के घे, इमरमि पर यशोषन्त : गवर्नमेंटमे दम पत्त पर सन्धि कर नौ शिये उन्हें प्रति Vol. VII.141