पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/६२४

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जोधराव-जोन्स __मय टोका लिखी है। भावदीपिका बचनिका और सरकारमें इनका भी नाम जोधाबाई पड़ गया। इनके और जानसमुद्रको रचना भी इन्हीं के द्वारा हुई है। गर्भ मे ( १५८२ ई.में) सम्राट शाहजहाँका जन्म हुआ जोधराव-जोधपुराधिपति राजा रणमस ( रिङ मन्न) था। १६१८. ई०को आगरा इनकी मृत्यु होने पर के पुत्र । ये कद्रोजके राजामे राठोर कुलसिलक जय । सुआगपुर के प्रामाद के पासवाले ममाधिमन्दिरमें ये समा. धन्दके पौत्र और शिवाजोके वंशधर थे। १४५८ ई.में घिस्य हुई थीं। पत्र भी यह उत मामाद और समाधि (कोई कोई १४२२६० भो बतलात है ) इन्होंने जोध- मदिरका व मावशेष पड़ा है। पुर नगरको प्रतिष्ठा की थी और मन्दोरसे वहां राजपाट ३ भुगल मम्राट जहांगीरको राजपूत पनी। ये उठा ले गये थे! नगर स्थापन करने के बाद इन्होंने बीकानेर के राजा गयसिंहको कन्या थीं । वेगम महल में तोम वर्ष राज्य किया था इनके चौदह पुत्रो'ने पिताके इनका नाम जोधाबाई प्रमिह था । जीते जी अपने अपने भुजपलसे राजा विस्तार किया जोनराज-'राजतरङ्गिगो' वा काश्मीर के इतिहास के हितोय . था। जोधाजो देखो। लेखक। इनकी बनाई हुई राजतरगिगयो दूमरी राज जोधा (चारण)-मारवाड़के एक कवि तरङ्गिणी कहलाती है। इनके २०० वर्ष पडले करहण जोधामी-जोधपुर नगरके स्थापना । इनका द्वितीय पण्डितने राजतरङ्गिगी लिखना प्रारम्भ किया और उन्हों. नाम जोधराय भी था। इनके पिता और पितामह ने जयमिइके राजत्वकाल नकका इतिहास लिखा है। मन्दौरके दुर्गमे २१ कर राज्यशासन करते थे। पीछ उन परवर्तीकालमे जोनाजने अपने समय तकका किसी योगीके आदेशानुमार इन्होंने जोधपुर स्थापन इतिहास लिखा है। इनके पोछे और भी दो लयकोने किया। जिस ममय चूड़ाजोने मन्दोर पर हमला राजतरङ्गियो लिखी है। किया था, उस समय ये जङ्गलमें जा दिप थे। बादों ____ जोनराजने पृथ्वीराजविजय नामक और एक काव्य मौके पर इन्होंने पुनः मन्दीर पर सजा कर लिया। तथा शक म १३७० में किरातार्जुनीय ग्रन्यको टोकाको १४२० ईमें, मेवाड़ के पन्तर्गम धानला ग्राममें इनका रचनाको यो। अनुमानतः १४१२६ में इनको मृत्यु जन्म हुपा था। इनके चौदह पुत्र थे। जोधराय देगे। हुई थी। मोधाबाई --१ जोधपुर के राजा मानदेवको पुत्रो ओर | जोन्म (मर विनियम )-७६४ ई. में २८ मे म्बर को राजा उदयमिहको भगिनी। उदयसिंहने (१५६८ लण्डन नगर में इनका जन्म हुआ था। इनके पिता का १०में ) मुगल बादशाह अकवरमा के माथ अपनी बहन | नाम विलियम जोन्म था, उनको गणित विषयम प्रच्छी जोधापाईका विवाह कर अपने को सतार्य समझा व्युत्पत्ति थो। उन्होंने गणित सम्बन्धो कुछ पुस्तकें पीर । था। जोधाबाई के विवाहके बाद वादगाह के अनुग्रहमे दर्शन-मम्बन्धी कई एक निवन्ध निख है। राजा सयमितका विशेष सम्मान दुपा था। इन्हीं तीन वर्षको उममें जोगमके पिताको मयु हुई, एन जोधाबाई के गर्भ से सम्राट जहांगोर ( सलोम )का जन्म की माता पर हो सब भार या पड़ा। जोन्मको शिक्षा हुआ था'। जोधामाई अकवर वादगाहको हिन्दुओंके का भार भी उनको माताको ग्रहण करना पड़ा। मोन्म माघ पछा बर्ताव करनेका परामर्श दिया करतो थीं।। को माता अत्यन्त वुहिमतो पीर मानवतो थीं। यान्य , २ जोधपुराधिपति रामा उदयमिहकी कन्या पोर | कालमे हो जोन्म गिधाविषयमें अमाधारया पुण्यका मालदेवकी पीवो। उदयमिइने मुगन्तमम्राट पकवरको परिचय देने लगे। मात वर्ष की उम्र में हारोके विद्या. • सपा पान को घामाम पुनः पपनी कन्या मोजा मलीम लयमें भरती हुए पीर जय मी वर्ष के पुए.. सब यद्यपि (जहांगीर )को व्याइ दो। यह विवाह १५८५६०में | फिसो पाकस्मिक अराम घटनामे एक ग सफ ये विद्या पुआ था। इनका दूसरा नाम जगत् गुमायिनी वा वान- लयमें योक पौर नोटिन भाषा मोख न म के थे, तथापि मतो था। जोधपुरराजको कन्या होने के कारण मुगल || वे पपने प्रायः ममस्त महपाठियों को अपेक्षा पधिकार Vol. VIII. 142