पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/६२६

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.: जन्मि

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. राजनैतिक सिधान्तका परिचय मिल मकता है। इन्होंने खुद ही अनुवाद घोर कार्य पर्यवेक्षणका भार छह वर्ष बाद जब उन्होंने अपने रोजगारमें प्रज्ञा लेना स्वीकार किया। नाम पाया, तम फिर इन्होंने प्राच्यभापा पोर साहित्य ___गवर्मे गटने इनका प्रस्ताव स्वीकार कर लिया, पढ़ना प्रारम्भ कर दिया पोर. १७८०.८१ ई.में) जाड़े। इन्होंने मृत्यु काल पर्यन्त परिश्रम कर इस कार्य को प्रायः के दिनोंमें ये परयो माहित्यका प्रमिह प्राचीन कविता ममाप्त कर लिया। इनको मृत्यु के बाद मि०कोन. ग्रन्य मुसाकतका अनुवाद करने लगे। मुकने परिदर्शनका भार ग्रहण कर प्रयशिष्टाय ममाग । १७८३ १०में नार्ड अस बटन ( Lord ashburton)/ किया था। की चेष्टामे जोन्म भारतमें बनादेशके मुग्मिकोर्ट के जज | १७८४ ई में मर विलियम जोन्मने मनुमहिताका नियुक्त हुए और उन्हें नाइट उपाधि प्राम हुई। अनुवाद प्रकाशित किया था । इम समय इन्होंने . . इसके कुछ समाह बाद मेन्ट प्रामफ ( St. Asoph) | शकुन्तला और हितोपदेशका भी प्रमुवाद किया था। के धर्म ग्राजकको कन्या सिन के साथ इनका विवाह हो। जोन्सने माहित्यमेवा में लगातार लगे रहने पर भी पपने गया। कतंय कार्य ( विदारकार्य में उदासीनता नहीं को 'इम वर्ष के शेषमागर्म जोन्स कम्न कत्ते पाकर रहने । यो । लार्ड टेनमाय ( Lord reignmouth ) लगे। इस ममयमे उनके मृत्यु समय पर्यन्त ग्यारह लिखते हैं- वर्षोंमें ये जय फुरसत पाते थे, तभो प्राध्य साहित्यका "जोन्सने ऐमो कठोर कर्तव्यपरायण के माय अपना अध्ययन करते थे। इनके कनकतै पानेके कुछ दिन | कार्य सम्पादन किया है कि, जिममे वे फलकत्ता वाद ही इन्होंने प्राप्यमाहित्य सेवियों को एकव कर एगि रहनेवाले देगीय पीर यूरोपोय व्यक्तियों के चिरमरणीय याके पुरातत्त्व, दर्शन, विज्ञान, गिल्प पोर पतिनाम | हो जायगे । कुछ दिन वरमें पड़े रहने के बाद प्रादिके विषय में खोज करने के लिए एक समितिको १७९५३ में २७ पलको उन्होंने कलकत्ता माणत्याग स्थापना को। सर विनियम इस मभाके सभापति चुने | किया।" गये। इस समय वही सभा "एमियाटिक मोमाइटी"- सर विनियम जोन्मने विविध विद्याये मोमो थी के नामसे मसिद है। इस सभासे भारत के माहित्य और पोर इनका जान भो प्रमोम का। भाषा मोखनेका पुरातत्वका इतना उपकार सुपाई कि, जिम का वर्णन इनको विलमप मुहावरा या । साटिन और ग्रोक. नहीं किया जा सकता। अब भी इम सभा ( Asiatic | भाषामें यद्यपि इनका मान विशेष प्रगाढ न था, परन्तु Society )के द्वारा प्रकाशित पुस्तकावनोको पढ़ कर किमो भो यूरोपीयने पाजतक इनके समान भरवो, य रोगेय विधानोंको हिन्दुओं के माहित्य पोर पुगतत्व फारमी पार मस्कृत भाषामें व्य स्पत्ति नाम नहीं कर माम्बन्धी अनेक विपय का ज्ञान होता है। नोन्सने | पाई। ये घोड़ो बहुत तुर्की पोर हिन, भाषा भो मानते एगिया की पुरातत्व पुस्तक के प्रथम चार खगड़ में बहुतमे | धे, चोनो भाषामे मो इनका दमन था। ये कनफु निवन्ध लिखे थे। . चिको कवितापों का पनुवाद कर लेसे ये । साने वालमें रहते समय जोम्म प्रथम चार वर्ष तक यूरोपमें प्रचलित मभी भापाएं पच्को सरह मोखमी घरायर संस्मत पढ़ते थे। म भापाम ययोचित व्य स्पत्ति थी पौर पन्यान्य भापामि भी इनकी थोड़ी-यदुत गति नाभ कर इन्होंने हिन्द्र पोर मरम्मदीय घानीका मार- घो। विमानमें इनको विशप गति म थो, गणित कुछ .यह करने के लिए गयमंण्ट के पास प्रस्ताव किया। जानते थे, रमायन मलीभांति मोख लिया था । जोवन में (Pasporehta tha ira-mbedinkalitsath trialesex ke. गेषभाग, विप परिग्रम के माय ये उद्विविधाका - Plan ornational sirlence. (e) Prineiglesrt Govern- पभ्याम करते थे। . यद्यपि मोन्सको नाना विपनि यिस्टत गिधा यो,