पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/६३

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जयपुवक-जयपुर स्वीकृत उपटोकनको ग्रहण कर तथा पेशावर चौर राजपूतानाका उत्तर-पूर्व और पूर्व राजा। यह समधन अधिकार कर अपने देशको नौट गये। 'सो/ अक्षा० २५४१ एवं २८३४ उ० पोर देगा ७४' समयमे पेमाघर हिन्दू और मुमतमान राज्यका मीमा ४१ तथा ७७१३ पू०के मध्य पवस्थित है। इसका। स्थान हो गया । १०.१ ई में २७ नवम्बरको मयसगोनके क्षेत्रफल १५५०० वर्गमोल है । जयपुरसे उत्सर शोकानेर, पुन सुलतान महमूदने १२००० अश्वारोही पौर ३०००० | लोहारू एवं पातियाला, पमिम बोकानेर, जोधपुर, कप पदातिक साय जयपाल पर प्राक्रमप किया। जयपाल गढ़ तथा अजमेर, दक्षिण उदयपुर, 'दो, रोक कोटा पराजित हुए और कैद कर लिए गये। परन्तु वास्त. एवं ग्वालियर और पूर्व में करौलो, भरतपुर तथा पलवर विक कर देना मन र करने पर महम दने उन्हें छोड़। है। इस देशमें बहुतसे पहाड़ होने पर भी यहाँको दिया । म ममयको प्रथाके अनुसार कोई राजा युदम जमीन ममतल है। किन्तु मध्यभागकी जमीन त्रिकोणा. यदि दो बार पराजित हो जाय ; तो यह राजा चलाने फार है जो समुद्रपाठसे लगभग १४००से १५०० फुट में अक्षम समझा जाता था और राजा नहीं कर सकता जचो है। यह त्रिकोणाकार जयपुर शहरसे पयिमकी था । इसलिए जयपाल अपने पुत्र अन पालको राजर्मिहा. ओर विस्टत है और इसके पूर्व भागमे यदुतसे पहार सन पर बिठा कर खुद प्रज्वलित पग्निकुण्ड में कूद पड़े। हैं जो उत्तर दक्षिण पनवर तक फैले हुए हैं। रघुनायगढ़ इस प्रकारमे जयपालकी जीयन लीला समा । पर्वतशिखर समुद्रपृष्ठमे ३४५० फुट जची है। राज. २ लाहोरके राना पनवपालके पुत्र और १म जयपाल के महलके पास बनास नदोका दृश्य निराला है। यह पोत् । १०१११ में ये विटमि हासन पर बैठे थे । इरा. राज्यको मीमा माय माय ११० मोल तक यहते चलो वती नदोके किनारे १०२२ ई.में गजनोपति सुन्नतान जाती है। प्रोममें प्रायः मम छोटो शेटी नदिया महम टके साथ इनका युद्ध हुपा था। इस मुहमें नय. सूखी देख पड़ती हैं। झोलाम मांभर को पड़ी है। पालको पराजय हुई। इमो युरके उपरान्त लाहोर खेतड़ी पोर सधानमै ताया और वाईम निकस्त निकलता समतमानोंके हाथ चला गया। भार :अपमें मुसलमान है। जयपुर राज्यमें लौहपनि भी है ! जलवायु शुष्क तथा ' राजाको यही बुनियाद थो। स्वास्थ्यकर है। हमीर महाकाव्यके मतमे चौहामवंशीय पांचवे | भयपुर महाराज बोरामचन्द्र के पुत्र कुमय गोय पौर सत्ताईसवें राजा। पांच राजा जयपाल चको महा राम चन्द्रराजके पुत्र तथा मत्ताईसवें राजा जयपाल करमार राजपतों के सार है। कहते है प्रथमतः उमई पूर्व पुरुष रोहतासमें यमे थे, फिर पटोय ३रो गताब्दीके महाराज विशालके पुत्र थे। चौहान देतो। जयपुत्रक (म0पु.) प्राचीन कालका शुपा खेलनेका प्रतमें ग्वालियर भोर नरवर पसे गरे। यहां कच्वाती एक प्रकारका पासा। ने कोई ८०० वर्ष राजत्व किया, परन्तु उनका गासम जयपुर-१राजपूतानेकी एक रेसीडेन्सी। यह प्रक्षा. स्वाधीन पोर मप्रतिहत न था। प्रथम कच्छवार पनि २५.४१ एवं २८ २४• तया देगा. ०४.तया बबदाम १७७६ में कमोजके राजापासे ग्वालियर होम ८०१६ पू०में पयस्थित है। इसमें जयपुर, रुणगढ़| कर स्वाधीन पुए। उनके पाटम बंगधर तेजकरण पोर माव रामा लगता है। जयपुर रेमोडेसोमे उतर (दूल्हाराय )- ११२८१० में ग्यामियर छोड़ा। मोने सारपसाव पति सोधपुर एवं प्रजमेर, पपने मायरमे देवामा दडेनमें पाया था। समी समयमे दात्तपमै गाहपुर, उदयपुर, दो, टोंक, कोटा पोर | पूर्व राजपूतानन कच्छवाह राज्य प्रतिष्ठित दुपा। यर ग्यासियर तया पूर्व में करोली, भरतपुर पोर अनवर दिशीवाले रामपूत राजापों के मोन था। को . सौरएका मदर जयपुर । लोकमस्या कोई में झारायके किमी उत्तराधिकारीने ममावत २०५२३०० पोर घेवकम १९४५६ वर्ग मौत । इममें। मोनापों मे पम्बर ले लिया और धमकी पपनी रजियांगो ४१ नगर पोर kekcाम बसे हैं। बना दिया। कह सौ वर्ष पर सो रोज ..