पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/६३२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

बोगड़ जौनपुर कत दुपा है । गढ़के भीतर प्रायोन कालके दो सरोवर : कर राजा के पास ले गये। मालिनने इस रहस्यको हैं, जिनर्मम एकका घाट बधा हुआ है और उसमें खोल दिया कि यह प्राचीन नाका बना हुपा है। पहले एक मन्दिर था। इन दोनों सरोवरका पर यदि सतरां आग लगाने मे यह तुरन्त जल जायगा । उसी बाहर निकाला जाय तो सम्भव है कि उममें प्राचीन ममय गव पनि भातोसे दोबारमें भाग लगा दी पौर कालको मुद्रा, प्रतिमूर्ति और ताम्रफलकादि मिन सकते थोड़े ममय के बाद बिलकुल दोयार जल कर गिर गई । है। गढ़में दो छोटे छोटे पहाढ़ हैं। एक पहाड़ पर राजाने उम विखामधासिनो ग्वालिनको शाप दिया कि किसी योगीने चारों पोरकी गिरी हुई ईटे और ग्नुपरेमे ! "तुम पत्यर होगो" इतना कह कर वे हायमें सलवार • एक कुटी बनाई है। अगोकका अनुशासन पहाड़के ने कर युद्धक्षेत्र में जा पड़े और उस युदमे खेत रहे। 'मगलमें खुदा हुआ है। उमको लिपि कई जगह खराब राजा शाप देने पर जब वह ग्वालिन दुर्ग को मोटी हो गई है। वहां के लोगों का कथन है, कि किसी यूरो. : या रहो यो, गम्त में ही पक्ष पत्यर हो गई। पाज भी 'पोयने इस निपिको नट करने के अभिप्रायमे पहाड़के । यह पत्या विद्यमान है। कोई कोई अनुमान करते हैं अपर घनेका उशाला हुआ जल गिरा दिया था। यह कि यह पत्यर एक मतीस्तम्भोंके मिश्रा पर कुछ नहीं गल्प सत्य प्रतीत नहीं होती। गढ़के नीचेको महो जो है। उसमें स्त्रोको मूर्ति भी स्पष्ट खुदो हुई नहीं है। मर्थात् 'लाइसौ है। अनुमान किया जाता है, कि यह पत्थर प्रमी गढ़के दक्षिणको ओर पड़ा है। कुछ एसीके अनुसार दमका नाम नौगढ़ पड़ा है। पहले किमी पगरेज कर्मचारोने इमके नीचेका भाग ___वाद है-कम्धकुस्तके नाकेशरीने इस गदका खोद कर मोने चांदो और ताको मुद्रा बाहर निकाली निर्माण किया था। फिर कोई कहते है कि हमका यौ। एनसे कुछ नाममुद्रा समायत: शक राजापोंके प्राचीरादि जो अर्थात् लाहसे बनाया गया था, इमोसे समयकी है। यदि यह सत्य हो, तो इम म्यानको इसका नाम जोगढ़ पड़ा है। लाहमें बने रहने के कारण | प्राचीन कहने में कुछ भो मन्देश नहीं है। गय मौका गोला पोर तोर माचौरको छेद या तोड़ नहीं जोगढ़वा (हिं० पु. ) प्रगहमने होनेवाला एक प्रकारका सकता । वरन वह उसी में सट जाता था। इस कारण धान । इसका चावल बहुत वर्ष रखने पर भी खराध दुर्गवासो यहां निर्भय हो कर रही घे। एक गस्प है। नहीं होता है। कि यहाक राजाके साथ गवस्तवलीक राजाको धन | जीग्रह (म0पु0) जसुग्रह, लाहका घर। - यन थो। एक दिन उस गजान जोगदमे अवरोध | जौचनो (Eिस्त्रो.) चना मिना हुपा जी। किया। दुर्गवासो जो प्राचीरका गुग्य जानते थे, इसलिये जौता (प. स्त्रो. ) मार्यो, पवी, मोरू। बैतनिक भो भयभीत न हुए। भव पौने प्राचौर तोड़ने | जीतक (हि.प्र.) दहेज। यौतुक देखो। को बहुत कुछ कोशिश की; किन्तु जो गस्तादि फेंके | जोधिक (म. पु०) पत्र के ३२ हामिसे एक। माते थे ये उमी प्राचीरमें मट कर उसे और मजबूत जौनपुर-युप्रदेश के बनारम विभागका एक जिन्ना। यह बना देते थे। इमो तरह कई दिन तक ये व्यर्य वहाँ! छोटे नाटक प्रधान है। यह प्रथा० २५. २४ मे २५ • बैठे रहें । एक दिन एक ग्वालिन दूध ले कर शव पोंके १८३० पोर देथा. ८२७ से ८३५ पू में इलाहावाद शिविरम येचनेको पाई। दूध में कर मनिकन विभाग उत्तर-पूर्वमें पयस्थित है। क्षेत्रफ४ १५५१ यर्ग: ग्वालिमको पमान दिये, इस पर यह कहने मगो, मील है। इसका पाकार बहुत कुछ विभुजमा है। "शुम लोग निरायया अपलाक कपर पत्याचार फर इसके उत्तर पीर उत्तर-परिममें पयोध्या प्रतर्ग पपना वीरव दिवा रहे हो, और यह दुर्ग जो प्रामानोम प्रतापगढ़ पोर सुलतानपुर निमा, उत्तर-पूर्व में पारम- 'पधिक्षत किया जा सकता है. उमे तो तुम तोग से गढ़, पूर्व में गाजोपुर तथा दक्षिण पीर दक्षिण परिममें ' नही मकसे हो।" इस पर सैनिक उसम्मालिनको पकड़ बनारम, मिरजापुर पोर इसाहाबाद है । "म प्रिनका Val. VIII. 14