पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/६३३

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५७४ बौनपुर. एक घण्ट्र प्रतापगढ़ जिले में पड़ता है पोर फिर उमौ दक्षिय भागमें ज्यादा है, मध्य स्थानमें कुछ कम। खगड वरावर प्रतापगढ़का एक प्रश जौनपुर के मछली- बड़ीसे बड़ो झोलको सम्बाई प्रायः मोम होगो।। गहर और कमीतकी मोमा पावर है । जोनपुर : पहले जिलेमें जगह जगह जंगल थे, किन्तु क्रमयः । गहर ही हम जिम्मका मदर है। .... पिकार्य को विस्त ति पोर प्रज्ञाको हहि हो जाने पर , .इस प्रिनिको शमोन गडातीरवी पन्यान्य जिलों की जाल काट डाले गये। अभी कड़ाकट तहमोनमें ... . नाई दमदल है, बहुममो नदियों के प्रवाहित होनेमे बौधेका एक धाय, जन्न हो मम्मे बड़ा.है। पूर्व अभी नीची भो है। कहीं कहीं उपवनसे सगोभित ; पर भूमि छोड़ कर.पोर टूमरी जगह कहो पासो कचो भूमि नगर पातो है। उम ची भूमि पर जमीन नहीं है। ऊंचो भूमिमें गोलाकार पत्थर बातमी प्राचीन जातियों के नगर, मन्दिर और प्रतिमूर्ति टुकड़े पाये जाते है जो महफ बांधने के काममें पाते पादिका व मावशेष है पोर जगह जगह राजपूत राजा तथा उन्हें जला कर चना.मो तैयार किया जाता है। पीके दुर्गादिया भग्नावशेष देखा जाता है। इम जिले... जगन नहीं रहने तथा अधिवासियोको मस्या । की भूमि उत्तर-पशिममे ने कर दक्षिण-पूर्व तक टाल : पधिक हो जानेम जंगलो जन्तु प्रायः नहीं देखे जाते। है, किन्तु यह उतार बहुत कम है। कमसे कम एक झोन पोर दलदल में बहुतमे जलचर पसी रही। माइममें ६९चसे अधिक नहीं है। इस जिन्नेको मट्टी शिकारी केवल उन्हीं का शिकार करने जाते है। यह प्रायः मभी जगह अयरा है, किन्तु कहीं कहीं ऊपर विचला गोपुरा मर्प बहुत पाया जाता है पोर कभी भूमि भी देखो झाती है। एम ऊपर भूमिके सिवा | कभी गोमतो और में तौरपर्सी र फार्म मुहका अगड़ और मम नगद पत्रको फमन्त लगती है। उत्तर और | लकवघा देखा जाता है। .. . मध्य भागमै पाम बहुतमे बगोचे हैं। इसके अलावा . .. इतिहास-प्रत्यन्त प्राचीन कालमें जोमपुरमें भा - माया और एमलीके दरणत भो देखे जाते हैं। (भर ) मोडरियो नामक एक आदिम जातिका वास , गोमती नदो म जिले के बीच ८० मीन.वह कर | म्यान था, किन्तु पभो उन लोगों के दोधयामका अधिक ' इमको असमान खण्ड में विभक्त करतो है। जौनपुर परिचय नहीं पाया जाता है। वरणा प्रभृतिक किनारे नगर मी गोमती किनार अवस्थित है। जिले के मध्य बड़े बड़े नारोका ध्व'मायशेप देखा जाता है। यह इस नदीको कभी पैदल पार नहीं कर मफते हैं। तोका अनुमान है कि वों गताग्दोको हिन्दूधर्म के प्रभ्य : जोनपुर नगरके निकट इसके ऊपर मुसलमानों का बनाया दयमें उत्तर भारतमे योस धर्म का लोप होने के समय ये तुपा १६ [वजदार एक पुग्न है। उम पुलको लम्बाई मम नगर शायद पग्निसे जला दिये गये होगा गोमतो ७१२ फुट है। मुनिम पाने १५५८-७३ ई.में .उमेके किनारे बहुतमे अत्यन्त प्राचीन मन्दिादि विद्य. निर्माण किया था। इस पुस्तसे दो मोल गोमती नदीके मान थे। . . . . . . ऊपर यमान लिषेका पुल है। इममें भी १६ गुम्बा हिन्दूकोर्तिलोपी पीर देवपो मुमलमान शासन • नगे हुए है, किन्तु,मकी लम्बाई प्राचीन पुलमे प्रायः | कर्नाने अधिकाम मन्दिर तोड़ फोड़ दिये और यहां टूनो है। गोमती नदी वहुत गहरी. १. घऔर इसके उपकरण ने कर ममजिद, दुर्ग प्रादि निर्माण किये हैं। किनारे मधुसमे छोटे छोटे फंकड़ पत्यर भरे हैं। इसीमे | :..मी तरह बहुसमे हिन्दी पोर यौहामन्दिरीके उप.. इसका मोता परियति स नहीं होता है। इस नदी में | करण से कर १२६.१ में फिरोजगढ़ बनाया गया । , कई बार परमात् बाद पासातो है। नदोका जल पत्यका भास्करकार्य देखनेमे हो मान म पड़ता है कि । प्रायः १५ फुटसे अधिक.सपर नहीं उठता है। अन्यान्य . यह समन्चमानोंका नहीं है। अनुमान किया जाता '. मदिौमसे, यरपापिलो पौर वामोसो प्रधान है। इद कि यहुत पहले शौनपुर अयोध्या राष्पके, पसर्गस था। . (झोस)को मस्या बात है....विगेप कर उतर चोर - फिर यदुत समय के बाद यह कागोमा प्रायद हाय .