पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/६३४

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जौनपुर 'लगा ।. अन्तमें उनके गधरोंको पगम्त कर शाह । ने १४४२ ई.में कामी पधिकार कर दिमोको भव. बुहोन- अधोन दुर्दान्त मुमलमान योरोंने १९८४ ई. में ! रोध किया, किन्तु अनम में मम्राट अनाउदोन के प्रतिनिधि जौनपर पर अधिकार किया। बहलोल लोदीमे पराजित होकर लोट गये। · महलोलने - उसके बाद यत मान जौनपुर जिले के अन्तर्गत ममस्त महमूट के पुत्र शकिय गोयके अन्तिम रामा हुमेनको .भूभाग मुसलमान-सम्राट के सामन्तस्वरूप कोजाधि- जौनपुरमें पराजय किया। किन्तु उन्हें फिर राज्य में रख पंतिसे अधीनस्य रहा। १३६० ई० में फिरोजशाह तुग कर पाप बदेशको लोट गये। इमो दुमेनन विख्यान नसके बङ्गालमे लौट प्रति ममय, उन्होंने जौनपुर ग्राम में जुम्मा मस्जिद का निर्माण किया । पालोनको ऐमो दया पपनो छावनो डाली और इस सुन्दर स्थानसे मोहित करने पर भी हमेनने विद्रोही होकर प्राणत्याग किया। होकर एक नगर स्थापन करनेको इच्छा को। फिगे । उ मुमलमान शकिराजापोंके शासनकाल में यहुनमी जने प्राय: ६ मास तक यहां रह कर कई एक हिन्दू मस्जिद पोर अट्टालिकादि बनाई गई थीं। देवालयोंको सहम नहम कर डाला। बाद महाराज कि राजाके बाद जोनपुर लोदीके अधिकारमुक जयचन्द प्रतिष्ठित मन्दिरको जम वे तोड़ने गये, तब अधि। हुमा। इनके राजन्यकानमें यहां बराबर विद्रोह और वामिगण पराकमने मन्दिरको रक्षा के लिये यनवान् गोणितपात या करता था। नोदोवंगकै पन्तिम हुए । · प्रत: फिरोज शाहको निगम हो कर लोट पाना मम्राट वाहिमके १५२६ ईको पानी पतकी नहाइमें 'पड़ा। जो कुछ हो, अन्तमें जोनपुर के शासनकत्ती या बावरसे पराजित होने पर जोनपुरके गाममकती भो -हिम मुमनमानमे वह मन्दिर भग्न किया गया पोर खाधोन हो गये थे, किन्तु बावरने दिक्षो पोर पागरा उमके उपकरणसे घटना ममजिद बनाई गई। : अधिकार कर अपने पुत्र माय को सोनपुर पीर विहार १३८८ में दिनीम्बर महम्मद तुगलकने अपने । जोतने के लिये भेजा। उमो ममयमे लोनपुर. मुगल- मन्यो खाजा जहानको मानिक उम-गरकको उपाधि माम्राज्यभुक्ता हुपा, बो व शोच शेरगा पोर उनके 'देकर कनोजसे लेकर ममम्त पूर्व विभागका गासन वंगोय सम्राटों के ममको शेड़कर यह धरावर मुग के कप्ता नियुक्त किया। खाना महान नौनपुरमें राज धोन था। १५०५ ई० में प्रकारने बनायादमें राम- धानी स्थापन कर राज्य करने लगे। १३८४ में धानो स्यापित को तमोमे जौनपुर एक निजाममे शामित · मुरलङ्ग के आक्रमण करने पर दिनोपतिको व्यरित्र्यम्त । होने लगा। बाद १०२२. ई.में जोनपुर, बनारमा .देव इन्होंने दम सुपवमरमें स्वयं सुलतान उ-सूगरक गाजोपुर पीर चुनार दिनो के गामनसे पृथक कर पयो. पर्धात् पूर्वदिकपतिको उपाधि धारण कर दिलीको ध्याकै नमाय वजोरके गामनभुक्त किये गये। १०५०२. .' अधीनमा पस्वीकार को। इनके उत्तराधिकारो स्वाधीन | में रोहिलाछे मर्दार मेयद पहमद बङ्गागने वजीर गादत राजंगण गर्किराज कह कर विख्यात हैं। उनके मानेके | मौको पराजित कर अपने पात्मीय जमायाको धमारम बाद उनके दत्तक पुत्र मुवारक गाइ थर्कि राजसिंहासन प्रदेशका सामनकती नियुक्त किया। जमाखों गोत्रही ' पर बैठे। किन्तु शीघ्र ही दिलोमे एक सैन्यदन भेजा। कागोरा चेसिह धारा जोनपुरमे भगा दिये गये । मया • गया और हम युइमें ये मारे गये। मुवारकको मृत्यु के वजीरने उनके दुर्ग पर अधिकार कर लिया। अन्समें बाद सन शेटे भाई बाहिम सिंहामन पर बैठे और १०७० को प्रारजीने या टुग पुन: चेति को पम्हाने १४०० मे १४४० ई. तक • वर्ष यहुत दमता पर्पण किया। . . . . . माय मजा विय होकर राज्य किया। उन्हीं के ममयमें। . १०६५९ में वकारको नडाईके माद जौनपुर एक पटला मस्जिद बनाई गई पोर जोनपुर में विधानुशीलन तरहमे पहरेजोंकि हाय आ गया। १७०५१.को मप्र. की प.घ उनि हुई। उन्होंने काल्पी और कनौजनक नगरकी मधिम यह मम्प परुपसे पदारंजीको मोप जीतने के लिये कई बार युद्ध किया। इनके पुत्र महमूद- दिया गया। मकवाद मिपाही विद्रोहके ममय तक