पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/६३७

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मोनपुर चौरमन्द, जिम म्यान पर मन्दिर बनाया. वह को वर्त-1 पुरका नाम भले ही जो कुछ हो परना या फिरोप- मान दुर्ग पड़ा। १३५८१०को फीरोजगार तुंग गाइके बहुत पहले विद्यमान था। फेरिप्ताम सिपा, नकने सशो नीव डानी फिर यह स्वेदार रहने लगे। कि जौनपुर (जवनपुरः दिलोमे बाल भाने रामाका पामा शहान् मामक शामकने वाधीनताको घोषणा पस्थित है। जुमा समजिद दसिण हार पर मामयों करके विहारसे मभन्न चौर कोयल (पलोगढ़) तक गन्य गताग्दी गिला खमें मोवरि यंग इंग्जरवर्माका नाम बढ़ाया था। किन्तु अकबरने जब इलाहाबादको रज लिया है, उससे प्रमाणित होता है, कि मुसलमानों के धानो बनाया तो जीनपुरने पपना राजनैतिक महत्व बहुत पहले यहां एक सुमन नगर था। गंधाया। जौनपुर एमके लिहाजमे उम ममय हिन्दु । नटोतरस्य दुर्ग के विषय में प्रवाद है कि यां म्सानका मुकुट कहलाता था। करार नामक एका रासम रहनाया। यारामचन्द्रमो. जौनपुर एक प्राचीन नगर है। या १३८४ मे | ने उसका वध किया। प्रभो भी यहां लोग एम दुर्ग- १४८३१. पर्यात् १०० सौ वर्ष तक बदा भोर | को करारका कंहले पोर करार वोरको पूजा करते हैं। इटावा विहार पर्यन्त एक विस्तोर्ण सुममृद स्वाधीन दुर्ग के उत्तरी करार मोरका एक मन्दिर है। मुमनमान राज्यको राजधानी था। प्रमस्य प्राचीन नोनपुरनगरमें गर्फि राजामे निर्मित मतमो ' मन्दिर, महानिकायें, मजदें और उनके भग्नावशेष ममजिदें विद्यमान हैं। गर्ममे इमेन प्रतिष्ठित शुमा . पभी भी विद्यमान रहनेमे स्वपतिविद्याका ययेट परि । मसजिद मयमे बड़ी भोर मनोहर है। इसको दोबार चय देते हैं। ये मम मन्दिर जौनपुरके वाधीन पठान | पन्यान्य ममभिदोंकी अपेक्षा बहुत उचो है। मसजिदी गर्फि राजापाके ममयमें बनाये गये हैं। इन्होंने जिम | का पत्थर देखनेमे मान म पाता है कि यह किमो रिन्दु . तरह बहसमी ममभि स्यापित को हैं नसी तरह पधर | मन्दिरका पंग था। दूमरो टूमरो ममंजिमि मे पटमा .. उधर प्राचीन हिन्दू पौर घोडकि अमग्य मन्दिर भो नष्ट ममजिद माहीम गामे प्रतिष्ठित है। 0 गिला नेता किये हैं। यह म्पट है, कि उन मव हिन्दु पौर यौह हारा माल म दुपा है, कि फिरोजगाहने १३०६ ई. में मन्दिशैका भग्नावशेष लेकर ही उन्होंके ऊपर मसजिद | अटला देयो के मन्दिरसे ऊपर इस ममजिदमा धमामा पादि बनाई गई है। प्रारम्भ किया और १४०८ ई में इवाहीमने इसे पूरा मनगरका प्राचीन नाम क्या है इसका पूग पूरा किया था। पता नहीं चलता। मीनपुरधामो यानोका कहना | माहीम-नायव मारवकको मजिद-यह वर्तमान है, फिमका प्रशत नाम जमदग्निपुर । प्रभो भो मम ममजिदाम पुराना है। शिलालेखमे जाना जाता यहां मभी हिन्दू इमे जीनपुर न कह कर जमनपुर हो | है कि य६ १३७० ई० में फिरोजगार के भाई या होम- कम है । मुमनमानी का कहना है, कि जय कि फिरोज नायव वारक्कमे बनाई गई है। इसको गठन प्रणामो 'माइम स्थानको देखने पाये थे, तब उन्होंने अपने | प्राचीन बङ्गीय स्थापत्य के ममान है। . . मातिमाता जुनान (महम्मद गतक) के मम्मानार्य. ममनिद-वालिम मुबलिम-वगे दरोया पोर पर गुमो उनके नाम पर मध्यानफा माम जौनपुर रमला है। मो फइते हैं। यह विजयचन्द और जयचन्द के मन्दिर समपर हिन्द लोग कहते कि,मका नाम जममपुर था, के ऊपर बनाई गई है। माद फिरोजको पुम करने के लिए. मी मामको परि - नगरमे उत्तर-पयिम पुर दूर गमगध नामक वर्तन कर जोनपुर का गया। फिर किमो भूमी सुचतुर| पानमें बीबी राजोको मजिद या लाम दरयामा-मम. प्यहिने कहा कि गहर जोनपुर गप्द.००२: मन्या शिद है। मामद गाको चीयो गजोंने इसकी प्रतिष्ठा मानम पड़ती है। हीक समो मम्यक पिलग गयौ ] को । (१२..म) फिरोभ यार जोनपुर पाये हुए थे । गोमा मारमै फुछ पूर' पापकपुर नामक स्थान प्रा.