पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/६३९

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५८. - जौहर-जोहार भी बदन पर भय या पनिझा मतप प्रगट नहीं हुए। चित्तोर प्रमृति नगरी पर जा पा कर कैयन मा. पिता धुएं में गगनमाउन टक गया । उत्तम गोगिता शेप जनशून्य स्थान मान पाया था। चोमयागो तागार सोममे भूतन शक्ति हो गई। इसके माय घडमूम्य पोर किसी किसो स्थानमें मुसलमान लोग भी हम भोशन रवादि यितुग हो गये। योरगण इम इदर्याय झारक प्रथाका भवलम्यन लेते हैं। १८२८ में गिनात हण्यको सुपचाप देखते रहे, उन्हें जोधन मार माल म प्राममणके समय गाउचामो न रमहम्मद. शव पोदारा पड़ने लगा। पोछ मान करके पविध देहमे जरो | नगर जोते जाने पर पपनो थेगों तया परिवारको पामनापूर्वक सुनमी पोर गालग्रामको काठमें धारण | पन्यान्य सियोको मार कर युद्धको निकले थे। कर और परम्पर पालिङ्गानपूर्वक क्रोधसे भागा हो | जोहर-वादगाह हुमायूंक एक पावं घर । ये भााक ३८०. योर पुरुप जीवनको पागा पर जलालि दे कर हारा यादगाह हुमायूंके लाय धुकाने के लिए पानोका युद्धको प्रतीक्षाम बड़े हुए। राजपूतान के इतिनासमें इन्तजाम करते थे । सर्वदा हुमायुंफ पाम रद कर ये . एमी घटनाएं विरल नहीं है। बस वार एक साथ हुमायूं को प्रत्ये क फार्यायलोर्क विवरणों सहित एक एक एक जातिका लोप हुमा है. मेवाड़ के इतिपत्त जोधमो लिब गये है। परन्तु उसमें हुमायूंक गमोर इसके प्रमाय मिली है। राजन लिक विषयोंका उमेख नहीं है। विजेता नाय बन्दो होने को पागला हो राज जोहरी (फा० पु०) १ व व्यवसायो, अवारात देवन: पुतीको ऐमो प्रवृत्तिका कारण है। उनको सपिया | याला . २ रख परखने वाला, या जो जयारितको विजेता पाय लग गो, इस पाकर दुरपर्म य कल पहचान रखता हो। ३ वह जो किमो वसफ गुणदोष. की अपेक्षा वे मृत्युको शतगुण सुखकर समझते थे। को पहचान करता हो। ४ गुणाहक, यह नो गुवका.. इमोनिए नगरको पराजय होते ही राजपूत रमणिया प्रादा करता हो, कदादान। मरने के लिए तयार हो जातो यो । उम समय की प्रघ- | जौहरोलाल शाह- सम्मेदगिखि पूजा पोर पनगन्दिप • लिम प्रधान अनुमार युहम विजयम्तब्ध ग्मणिया यिमता- विंशतिका यचमिका नाममा जैन ग्रन्योंको रायता। फो न्यायसात सम्पत्ति होतो घो। विजेता उनके प्रति रचनाफाल विमवत् १८१५ है। । यच्छ प्ययहार कर सकते थे। उनका धर्माधर्म सव | जोहार - बम्बई पान्तके घाना जिम्त का एक राज्य ! या कुछ विजेताको प्रकाधीन था। यन्दिनो रमणियों के प्रति | पक्षा. १८४० एवं २०४० पौर. देगा० ०२२ • मोजन्य प्रकट न करने में कोई दूपपोय नहीं होतो तथा ७३ २३ पृ० मध्य भयस्थित । फम ३१॥ यो पसए: यिजित महाभिमान राजपूत अपरिहार्य वर्गमोल है । यम्यई घरोदा पोर गेष्ट ल इण्डिया मये और निगित परमानके भोषण प्रातामे इस प्रकारक पयि सोमामे म्हगो है पापोर महलको को उत्पाट पध्ययमाय प्रसहो, इसमें पास हो। नहीं । १२०३८ सकष्टि होती है। जलवायु पक्षा पपमी कुनमाला सतोत्त्वकी रजा लिए एमाय नहीं। स्यपर पर चिन्तान्वित होने पर भो सुमभ्य वीरप्रति - १२८४९० तक भारतीय का राज्य पार्स सदारका राजपूत विजित गम महिनापीक सम्मान कोली गम भयपने घरसे भर जमीन मांपो पोर फिर । घोर धर्मरचाय ताग ययवान् नहीं थे। ऐमा महो। ये उमो सूवमे फितमे हों देगों पर अधिकार फर बैठे। याशि, अप ययन मोग नगर पधिकार करते थे, तमो। १२४३१.को नयमके उत्तराधिकारी नोम ग्राहको और प्रथा कायम को लानी हो, किन्तु रामपूतगण दिलोसे "राजा" उपाधि मिलने पर जो रायत् पना, पसपिंट्रो कार मा पराजित होने पर उसे पास भो मरकारी क गम नियत राज भी मोहर कायम करते थे। 1रामागे मुगम गेनापतियोम मिल करके पोत गोधामी ': साउदोन पाटि महत में मुमतमान विजेतापनि मटाया। दमें मराठगि पार करकं में करद