पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/६४१

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५८२ . जातव्य-ज्ञान मालय (म.वि.) मायते यत् सत् मासय, य, मुराशन प्रमति महापाय भो मम ॥ मागोमेन येश पगमाय, योधगम्य । जो आना जा म जिम : भाग भी नहीं है। मोलिये माना जातिमा 'जानमाल या भिमको जानना उचित है, यही जातय विमेप रूपमे निषित माना गया है। सम पोर मामी । यति पाटि मम्प पगामि विहित कि-प्रामा जातिका गोद यहण करना पड़ता है। गौर को हो एकमात्र मातच रे। मामा वा अरे जनम्यान. चालिके मध्य पूरे भाई ममगाव माने गये। परीकप:" पर पार्व यि ! पाग्माको जानका विषय ! शायते विद्यतेऽस्मात् पापादाम तातिन् २. दिना, . सरो, जिममे पामा हो एकमात्र नस्यो । पात्माको माप! . . जान लेनमे ममम्त पदाका शान हो जायगा, क्योंकि । जातिकार्य ( म पु०) मातोमा कार्य सत्। मानि अगर पाममय है। एक यमके जाननेमे जा ममस्त । यो कत्तश्य कर्म । : पशुपका जान पोता . तर म एक वनको छोड़ कर भामित्व (सं० की.) जानि भाये । शाति धर्म पृथक पृयक वनुयाँको जानने की क्या भावासकता है? कम वा व्यवहार, वन्धुधान्धयोंको पनिट घेटा। ... यह एक वही पात्मा है। प्रतएव प्रामाके मिया मातिपुत्र (मपु०) जातोमा पुव: सत् । १ प्रातिश पोर फुट मो जातथ्य नहीं है। . . .; पुय, गोत्रमका सहका। २ जनतीयहर महायोर । प्रातमिहान (म.पु.) प्राय: विदिनः मिहानो येन, स्वामीका भाम। . . . . . . . . पी। गास्सतत्वा. यह जो गाम्न पच्छो तरह | जातिभव ( स० पु. ) मम्बन्ध, रिम्ता। ' . र आनता हो। जातिभेद (म.पु. ) जातीमा भेदः ६ तस्। जाति- जातमार (म.पु.) शाम: मार: मासंगो येन, बहुमो विच्छेद, पापमको फट। . . . . १ भारत, यह जो किमो यिपयका तत्व (मार) नानता भातिमुख ( स० वि०) जाति: एप 'मुल प्रधाम यसस, हो। २ मानगोचर. जानकारी। । मो०। १शासि प्रधान। जातिके जेमा मुख या HEAT (म.वि. ) जाननेवाना. जानकार। समाव। : .. . .... पारधर्म कया (म. मो.) मियाँके प्रधान पदार्मम | तिषिद (म. वि. ) शाति यत्ति मामि विकिर। पक। जैनधर्म देखो। जातिमन्त, जो माता या रिस्ता जोड़ता है। . . माति ( पु.)जानानि हिद्र दोपकुलम्पितिवमा मास ( वि.) मा ।.१सामग्रीस, जामकार। किय । पिटय गोय, पफ हो गोव या यं का मनुण।। २ मामी. वेत्ता।. . . . . . . . . माई पन्धु. घान्धय. गोतो. मपिण्डक, ममानोटफ भाटि। भारत्व (म.प्र.) पमिनाता, जानकारी। ... मक पर्याय - मगोत, वाधव, बन्धु, ख, बजन, पंगा, मातेय (म• को..) मातर्भावः, कम धापालिका गन्ध, दायाट. मकुश्य पोर ममामोदक । सालिक चार कपिभात्योफ। पा ५६१२० माहित्य. वाधव धर्म, भेद -मपिण्ड, मकुन्य, ममानोदक पोर मगोवा ।। कर्म या व्यवहार।. . .. . भात पुरुप तक सपिठ, मासमे दग पुरुप सक : संकुल्य, माव (म• को०) भातायः बार पण । माय, ममे चोदर पुरुष तक ममानोदक माना गया। किमो पभिन्नासा, जानकारी।.. .. , शिमी मतगे पूर्व पुरुष भमगामरमर तक मी समाधान (म.की.) मा-भाये स्थद।। १ बोध, पनोति. । मोदक रमवाट मगोतम है। जानकागे। २विगेय और मामान्य सापपराध, पातिधिमा अन्य पापजनक । . . . . ! मानना ! ३ बुधिमा योपिक पोर न्यायमम "मान पानि RETAILER , Bामका विषय रम प्रसार मिया हि गदमे MAR SIRE RAN नाम पोrt " (Ani)! हामका बोध होता। मान दो प्रकारका RET जातिमा सरममे शो पाप होता , अप्रत्या, । और पामा (म) जिम में लो ओ , गुण पोर दोर,