पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/६४५

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५१. नाममा किस गन्दनाटिम लिए सुराः : पसेका दिट्र सिममिने यार की जाते. किन्तु मार प्रनगर और पोषधपान मेरे दुगका माग १. मोको। यकी समतारे पारण समका पनुमप नहीं सोमा, उमी छन विपनि इमारोती है और जिमको ऐमा मान प्रकार विषय सन्द्रिय, मन पोर पाबाका सम्बन्ध क्रममे नकी एमको मन विषयों भो भो या नहीं होने पर भी मका मिर्षय मो किया आ मा। ता। मामा भानकी भाति निको पार भो मन पत्यमा मुरम इममिए उममें दो विषयौहा दो कप प्रेम-सतिमाध्यतामान चोर बनवटा धारण करनेकी गति नहों। (मुकामी) faz- मसामका पभाय । रम विषगको में मनु + पाणु पर्याय पति शुभ मानिए मानका माता .म प्रकार मामा नाम समाध्यता. प्रयोगपद्य , पर्णात् युगपद कोई जान नही होता, नाम पर मविषयको करनेमे मेरा पढ़ा पनिट चतुःसंयोग होते हो ज्ञान होता हो.ऐमा महीं । जसमा होगा. इस प्रकार के मानके पभायको वनवदनिटसाधः करो कि, मन एक विषयकी पिना कर रहा है कि मता-जामका पभाय कहते हैं। टेगो, योगाभ्याम करमा । दर्शनेन्द्रिय (चतु) ने एक विषय देवा, देखने कोका . xमारे लिए हरिमाध्य नहीं है, इस प्रकारका जिनको, उसका भान होगा ? नहो, ऐमा नहीं होगा। क्योंकि सिसरनिगय हो तुकार घे कभी भी योगाभ्याममें प्रयक्ष दानेन्द्रियमें ऐमो कोई गति नहीं कि, जिमम वर - नहीं हो सकते । किन योगाभ्याम महनीम हो ममता | जान उत्पस कर मके। दो दर्शनेन्द्रिय जा कर मगको है, योगियों को ऐमा विग्वाम होने पर ही ये योगमा- मवाद दे सकती है। मन फिर पालामे युक्त होमा । धनमें रस एपा यार । जो व्यक्ति या जानता कि, वो हान होता । | मापा५०) या फस सुमधुर पयग्य है, किन्तु मदट होनमे मना सके विषय में एक लोकिक दृशारा देना ही यईट . विपासो गया है. इसलिए. पर एमके पानमे प्राप | है। कम्पना करो शि, एक पादमी मरे एक पादः हामि लोगो रमम मम्देश नहीं म यतिको कभी भी। मीमे मिलने गया है, किन्तु उसके घर जा कर देखना उम फमझ पान में प्रति मी होतो। परन्तु जिमको तोहार पर धारपान मिगार पर रचा कर रहे हैं, मा भान नही, उमको उमो समय प्रम फनके का हार पर बैठ गया पोर धारपास के जरिये उम पानी प्रशसि होतो । (न्यायदर्शन) भोसर पपने पनिकामपाद भिगवाया, हारपानने का जायते पनम, काकरी.गट । ९ वेद । ४ गामादि | कर दोवानसे कहा, दीयानने सुद आ कर मामिक में सिमके हारा आमा आ गई। कहा, मानिकको तप मान म पा कि फलागा पादमी रोप-पात्माका मन माय मनका इन्दिरा | मुझये मिलने पाया है, इमी तरह घने ना कर मनको माय पोर इन्द्रियका विषय माय मम्बन्ध होने पर पोर मनने पामाको सवाद दिया, न कहीं पामा शाम होता। ममम मो कि, एक ताजगहा। प्रत्यय, पमिति, उपमिति पोर गण्ड रन दर्गमन्द्रियने घरको विषय किया पर्याय देशा, देव चार प्रकार प्रमाणामे सब तरहका पाम होता है। , कर मनसे कहा, मन, फिर पालाजो जमनाया। न ..(मा०) पामाको भाग पा. पालाने स्थिर किया कि यह एक चतु पादि इन्द्रियों मारा यथार्य रूपसे यहाको माम होता.उसको प्रधान करत। यह मान सामान्यको स्वरमाममयो हो एक माव कारपर प्रत्यक्ष शाम ६ प्रज्ञारका-मापन, मम, वाहमा पपप माप द्रियका इन्द्रियरे माय माझा खान यायत पोर मानस । माप, रममा सलम मन माट पामा मध रसगा जमदो होना धोत पोर ममम मानिम्मियो सारा ययाम fr, Bो कार पाम नहीं किया प्रा माता। उपरोध पर प्रकारका प्रवरा मान । गम एकामे मो Titम दिर रममे, में प्रत्येक पोर x माहि पोर पसुरमित्यादि जाहिरा घट ।