पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/६७१

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६१२ खायस्-जो वर्ण 'माल मरममे विभुनका क्षेत्रफल निकालने का नियम | हवा प्रगस्य छन् सतो जादियः।१ पति, घश पहने यधम पाया जाता है। परिधि पोर घ्यामके सूक्ष्म मूड़ा।२ प्रगस्त, उत्तम, बटियो । ३ अग्रज भाता, बड़ा गानुपातगे (३१४१६:१) भास्कराचार्य जानकार थे। जंठा । (पु.) आठ माम, जेठका महोना। ५ पाम- यप्रगुपने ३.१५.१ अनुपातका फन्पना को यो । यरोपमें | . "ईशानः प्राणद:: प्राणो • 48: भेड: प्रजाति।.. प्रथमोप्त सूक्ष्म अनुपात वारस्यों शताब्दी के परपत्ति (पिपु.) ६ प्राण ! ठा नवयुता पर्य, पर फान प्रचलित हुपा m। यह पनुपात मुंमलमानोंने वर्ष जिममें हहस्पतिका उदय जाठा मक्षयम हो । यह हिन्दुप्रोम मोवा था । बाट यरोपोयगण दम विषयमे | वर्ष यंगनी और माया के पतिरिता दूमर पत्रों के लिये पवगत हुए। फस्ततः भारतीय ग्रन्थों में बहुतमो मौलिः | हानिकारक माना गया है। इसमें रागा पुण्यामा होता कसा देषो जाती है। यद्यपि भारतमें नामिति के प्रथम | है। (यहत्स०) सामगानका एक भेद ।। अनुमोननका निरित समय पता नहीं चलता है, तोभी ज्येष्ठतम ( म०वि०) प्रतिगयन जौठा जेठतम योजगणित और पाटीगपितका दमिक पंश जैमा पत्यन्त जोठ इन्द्र । "सतो पेटतमा" ( २१) भारतवर्ष में प्राविष्फन हुमा है, वैमाधी भारतयामियोंन । 'उपेतमाय मतिशयेन ज्येष्ठाय इन्द्राय' (मायण) :.. जरामिति भो पाविकार को है। वैदिक शल्यस्व पढ़ | प्ये ठता (म.स्वो०) जोष्ठ भावे नन्। · १जाउल. नेमे एक तरहका निराय किया जाता है, कि भारत, येताजाठ होने का भाय. बड़ाई। गर्भ में यमज हो पागात्य जगामितिका एक प्रकारका सूधपात | सन्तान होने पर लो पाले प्रमूत होगा. यहो. बड़ा हुमाया। कहलायगा । स्तियोम जाहता नहीं है। "पेटता नास्ति . कोई कोई कहते हैं, कि मधमे पहने वाविलिन देश हि लिया:" ('मनु० २११५४) . ' ... ' सया जिम नामितिको उत्पत्ति हुई है। किन्तु ये छतात (म० पु.) तातस्य जाष्ठा, राजदमादि. . म कल्पनाका कोई विश्वामयोग्य प्रकाण नहीं मिलता | त्वात् पूर्व निपातः। पिताके जाट भ्राता, बापर्क यह . है। यहदियोंकि अन्य में भी जाामितिका कोई उम्लेख | भाई। मही। ग्रोकगणन रजिम, भारतवर्ष मथया दूसरे व्योहताति (म०नि०) जेठ: यहा। .. देशमे जामितिका जान पाम किया था यह निशित. ज्यठतीयाग्न ( को०) कात्तिक, कांजी।। रूपमे कहा नहीं जाता। भास्कराचार्य प्रषोत रेखा-ज्ये ठत्व ( म. सी.) जाठ भाय त्व। ओठता, जेष्ठ गणित हिन्दपीका एक जामिति ग्रन्य है। नामितिहोमेका भाव, यहाई। का (quadrature of the circle ) विषय धनगम स्योहपाल (म0पु0) कामोरके एक राजा. मियो कान बहुत पहलेमे जानते थे। युरोपवामियों . (राजतरंगिणी ८१४९) मेसे प्राफि डिमिम मममे पहले इस विषयको पालोच. पुष्कर (म.की.) जीठ प्रशस्य पुष्कर', कर्मधा। - नमें प्रवृत्त हुए थे।. . . फरतो . ' ज्यायम (म वि०.) पयमनयोरतिगयेन · प्रशस्यः दो करे येमागम्य विमान दर्शा " (मा. 10) .या इति प्रगम्य हर या ईयमन् न्यादेशरा । मायादीमय : - . . पुर देगे! पा ६.४११०१.१ एहतम. बुढ़ापा । मक पर्याय-धी. ये हवना ( म० वी.) जेवाया बाला, मधापदन्तोपि. यान. दशमो. , प्रशाम्य, "पतिमा पोर' दगमोस्य म धा । महदेवी मता। २ लाप, पुराना । ३.प्रगम्त, यदिया, उमदा धे राज-पत्यस थेट, मधमे धाम। जगापिठ (मसि), , यहा। ... हया (म.पू.) वर्णानां यः यापु साठी वा मावा ( म० पु. ) मवान् धनु, मजपूत धनुप। राजदम्मादित्वात् पूर्व निशतः । मात्रण मच ध्य ह (म.fa. अयमेयामनियम पागम्यो वा.' वाम मारो एफमाय । ....