पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/६७७

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'... योतिसक्र... धरान न की मितिकाम दक्षिणायन पोर ! ममूर भ्रम करत गाने में ममयानुमार को दिन . दसिमागम नरागि सा का यितिः । पोर रातमें गोध्र पोर मन्दगति सोलो है। परन्तु दिन. काय पुनरायण कानाता है। यं मारा और रातमें म्मान पर भमण कर एक पग गर में पामें मकररागिन, nि फुप और मोनरागिम | सम्यग गगियोंको भोगमा । रामको ए गर्गिको . जाता है। इन दोन रागिम म्यितिपूर्वक पहोराव और दिन में पनाह गगियोंको भोगता है। मना ममान कर यिपुरगति परनम्यन करता है। टम ममप्र दश रागिमय पयमगे पाच दिनको पोर पाया को समग: सविनय पोर दिम यति पा करता है। पतिकम करने के कारण दोनौका गम्तय पथ ममामलो प्रमः वाद गिय नगि भोग कर उत्तरायण की गैय गया। 'दिन पोर रात्रिको जो हामहरि होतो. मर मामा उपस्थित होता है। पीछे कर्कट रागिमें गमन गागियों के प्रमाणानुमार को एसा करतो है। योंकि . करने पर दक्षिणायन प्रारम्भ होता है । कुनालयका रागिक भोगमे ही दियारारिकी मिति तो मानायी अन्तु जिस तरह लेजोमें चलता है. उमो तर उत्तरायणमें रातको सूर्य को गति जी घोर दिगको सूर्य भी दक्षिणायनमें तेजीमे चलता है। घायुके येगमे मन्ट गति होती है । दक्षिणायनने उममे यिपोत पर्यात् परि टुस गमन करने के कारण घोड़े को समयमें एक दियममें शोध गनि पोर रातिको मन्द गातो . म्यानमे दूमर साटम्यानमें उपस्थित होता है। दक्षिणा कोंकि उत्तरायणमें रात्रिभोग्य गिफा ग्मिाण गोरा यन गर्य दिन गोगामी हो कर सारा मुहत में पोर दियमभोग्य गणिका परिमाण अधिक होता । मोतिपक पूर्वाध को पीर गतिमै मृदुगामी हो कर दक्षिणायनमें इममे सनटा है। पठार मुझन में उत्तराईको प्रतिक्रम कर पाना है। भागयतकार करते हैं, कि सूर्य मण्डन पोर रमोमिये दक्षिणायनमें दिन छोटा पोर राम बड़ी भूमण्डनके मध्यवर्ती पाकानी यवम्याम कर मग, ममा नोलो। पोर पातालमें किरण फैलाता सूर्य प्रग्ने उत्तरायण, फुमानताका मध्यम्य जना अमे मन्द मन्ट बनता है, दक्षिणायन पोर यिपुयमंशक मन्द, जौघ पोर ममान गमि- ठमी तरह सूर्य उत्तरायणमें टिमको मन्दगामी पोर साग ययाममय पागेषण, पपरीगा पोर ममान म्यान गतको मगाम होता है। रमताह मम ममममें भारोहणादि मात्र को मकरादि रागिम पहराधको कोटा, गोडा म्यान पोर थोई ममय बहुत म्यान प्रतिक्रम मापौर ममाम करता पर्यात गात पोर दिन ट्रगान सरने के कारण दिन घड़ा पीर गति छोटो हो जाती मे छोटे, मन्द गतिमे यह पोर ममान गतिमे ममाम होत है। उसरायपके गेषमागमै जोतियक पडतको सूर्य मेवर सुमारगिम जाता, तब पड़ो प्रतिकार करने के लिए मन्दगामी राय ओ भठार राव त्या वर्षम्यभामे प्रायः ममाम होतो . मुहत चनोत होते है. अममे दिन बड़ा होता है। सपाटि पनि रागिमि भ्रमण करता है, सब दिन बहना टिम तिमारपस पर्यात भाईवयोग नसतोर माममें एक एक घण्टा गोटी होती जाती गरम करना उमी प्रहार गतको भी माई ययोदगार जणिक पाटिगि गमन करना , (गड़े तेरह ) नवं गमन करता । पर यर गमन १. मय पहोगका विर्य योतापर्यात दिग दीरः उत्तरप में रामको धारद मुधर्म में पोर दिनां पठार पौर रात वही होती है। वास्तव में प्रदान गुम में पारा दतिगयन इममें समा रहता . तय क दिन बड़ा रोता और जागरण पनि टिमit हारर मुहत पार गतमी पठार मातम गति नहीं होती। गान मागान मामा मापात विपग मरमे-गात गेर पमा सामे को भांति एक म्यारी की परिभमा हाताड तुला पा मेराशिम गमन करने पर यामागे म मसार उत्तर र दगि दिगाम महम तुना पौर मेप नामक विषुष सोनियमो मfaces