पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/६७८

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व्यातिसक्र: ज्योतिष ई अर्थात् नेवालोन राति और दिनका परिमाण (प्रया| वह चोरममदको उत्तर दिशामें गमन करता है। नांश विरोप में पूर्वापर' ५४ दिनमेमे एक दिन ) ममान यावध माममें सूर्य उत्तरदिगामें गमन करके छठे होता है। सूर्य मेप और तुन्नाके प्रथम दिन (प्रथम गाकोपको उत्तरवर्ती दिशामि भमण करना है। दिनका तात्पर्य अयनांगमेटमे उन उन मामों के पूर्वक उत्तर-दिइमण्डलका परिमाण १८०...५८ योजन। '२७ . दिन और उत्तरके २० दिन, इन ५४ टिनमिम उत्तरभागका नाम नागपोथि पोर दक्षिणभागका नाम कोई एक दिन है) विषुध नामक शृङ्ग में प्रयस्थित पायोथिई। पजयोथिमें मूला, इतराषाढा पोर पूर्या. रहता है, इसलिए अहोराव समान होते हैं। वमो पादाका नया नागवीयिर्म अभिजित्. पूर्वापाड़ा और ममय गवि और टिम पश्चदा मुहांमक कहलाते हैं। स्वातिका उदय होता है। सूर्य जिम समय यत्तिकाके प्रथम भागमे प्रांत मेपो दोगों काठाडै १०३६६ योजनका पन्तर है। पन्त रहता है, उस ममय चन्द्र विशाग्याकं चतुर्थ | दोनों काष्ठामों पौर दोनों रेखायोंके दक्षिण और उत्तर भाग हयिकारम्भमें अवश्य ही रहेगा. तथा सूर्य विभागमें जितने स्थानका व्यमधान . है, उसको योजना जय विभाग के टतोय अंश अर्थात् तुलाके मध्य भागको मख्या ७१.०१०७५ ६ । उ दोनों काहामि वाच्य भोगता है, तभ चन्द्र कृत्तिका प्रथम पादमे, पर्यात् । पोर पभ्यन्तरके भेदमे दो रेग्वाए हैं। उन रेग्यात्री पर मपान्तरमागमें रहता है। उत्तरायण के ममय सभ्यतारमें और दक्षिणायनके समय ____भागप्रतमें लिखा है जोनिधक्रमें केवल सूर्य हो। वाघमागमे १८० माइल परिभ्रमण करते है। इन परिभ्रमण करता हुमा, अम्तमित भोर उदित होता मगड़नौका परिमाण २१२२१ योजन है इनका नाम हो, ऐमा नहीं है। सूर्य के माय अन्यान्य ग्रह पोर नक्षत्र ६ ' मनका विक म ममय पर ये यह भी होते । भी इस नोतिराक्रमे परिभ्रमण करने और उदित एवं सूर्य देव इनमें प्रतिदिन मण्डल के क्रमानुमार परिभ्रमण प्रस्तमित होते हैं। भागवत और विष्णुपुराणमें जोति- करते हैं। दोनों काहामि मण्डलममणके ममय चक्र के विषय में जमा लिया है, पन्यान्य पुरामि भो सुर्यको मन्द चौर ष्टुत गतिके अनुसार रात चोर दिन प्रायः वैमा हो ममझना गहिये। हुमा करते हैं। उत्तरायपके ममय टिममें घन्ट्रको मन्द बधागडपुराण के मतमे - सूर्य ही उदित और प्रस्त- गति और राविको म य को द्रुतगति होती है। म मित होता है। दक्षिणायन और उत्तरायणके भेदमे.दिन प्रकारको गतिके प्रभार सूर्य टेष दिन पोर रात्रिको गतको झामरिक विषयों प्रन्यान्य पुराणों के माय इस विमला कर सम विपम भावमे विचरण करते हैं। मोमे पुरापाका प्रायः एकमत पाया जाता है। हां, किसी किमी दिन और रात्रिका परिमाप घटता बढ़ता रहता है। मगह प य भी है। सूर्य प्राकाम, भ्रमण करमा ज्योतिष देखो। एमा एक मुहत में पृथियोका तीम भाग भ्रमण करता ज्योति:गामा (म. मो. ) जगेतिया मयादिबहाणां है। इम मुह काल में परिवाहित स्यामका परिमाण वोधक गाम्न। .. मांदियह पोर कान प्रादिका बोध एक नाम इकतोम हजार योजन है। इमोको सूर्य को करानेवाले मैदान गास्नका एक भेट । , जिम गामा मोहति को गति कहते हैं। इस प्रकारको गमिमे माघ । द्वारा मयं पादि ग्रहों की गति, स्थिति पादि नया गम्पित. मासमें सूर्य दत्तिण काठाम गमन करता है और माघ नातक. होरा पादिका मम्यमान हो, उम गातको मामके अन्त में काष्ठाफी गंप मीमाम पहुँच जाता है। जोति:यार कहते हैं । ज्योतिष देतो। . म नरम सय ८१४५००० योजन परिभ्रमण अरता है . दयनकामकाया करने के लिए कामनान सथा पहोरात भमण करते करते दधिषकाठामे प्रनि• . पावग्नक है और शान विषयम ज्योतिष हो प्रधान नित हो कर विपश्य होता है। हम याद . उपाय है । इमनिए जोमिय वेदाता

विषुपमा परिमाप २०१०... कोन है। नोतिषांम: को) जगतिः पनि पस्स मोनि: एए ।