पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/६९२

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६३३ . ज्योतिष होमिन्द जोतिषको विशेषताएँ हैं। हिन्दू-ज्योतिष- जो भारतको पसिम मीमा पर ययनों को लिया है। को पानीनना करनेमे यर विना बोकार किये रहा नहीं] पश्चिममान्तयामो ने ग्रोक-अभ्य दयमे बहुत पहलेमे ना मकमा शि, जयोतियातन हिन्दू-मोतिय विशेष हो हिन्दो दाग यवन कहलाते थे: मम्भवतः पथिम- उच्चस्थान प्राय करनेको म्पही रखता है। प्रान्तवामी किमो यवन के पन्यमे जानकादिके विषय में , . प्राचीन यूरोपियोम ग्रोज ही अन्य किमी गानका हिन्द,ोंने कुछ महायता लो यो। पंगभूत न काके पृयकामे ज्योतिपणात का अनुशीलन ____ चीनी का कहना है-उनको ज्योतिर्विपाक घटना करते थे। उनको अनुमधिमा पौर प्रत्यस पर्यवेक्षणाटि-7 वनोको तालिका मामे २८५० वर्ष पालेकी है। किन्त के.दाग बहुतमे नवोंका पाविष्कार हुआ है। उम तानिका कब कर सूर्य ग्रहण पोर धमकेतका उदय हिन्द्र, घोन कानटोय पोर मिमरीय सभो पपनेको होगा, मिर्फ इतना ही वर्णन है; प्ररणके दिन मिया मस्त. ज्योतिर्विद्या पाविष्का ममझ गौग्य अनुभव करते हामे ममय निर्दिष्ट नहीं किया गया है। चोनके बाद २। हर एकके पाम पपने पज समय नके लिए बहुतमी | गाई ग्रहण गणना के लिए देवन नियुक्त रखते थे ; पण. युफिया मोजूट है। मपसमून्नर, हुपटनि.पादि पायास्य का दिन नहीं बता मकनेमे उनको फामीका पन दिया यिहानीने स्थिर किया है कि हिन्द न्योनिप पनि । जाता था। उनमें ऐमा विनाम था कि एक दैत्य सूर्य भीर माचोन होने पर भी हिन्द प्रों ने ग्रोक ययनोंमे ष्योतिष चंद्रमगडलको याम करता है, इसमे यहप पड़ता है। इस विपयक बहुत कुछ महायता पा कर सवाप्ति कर पाई लिए दैत्यको भय दिखा कर सूर्य और चन्द्र के ग्राम कर यो । सो लिए हिन्दुभयोतिपमै भाकोर, तावुरी पादि नमे उमे घिरत करने के लिए चीन मोग ग्रहयो ममय पोक शाद देवनमें पास है । प्रमिह जयोतिर्विद मि. चोनी दाग वर्णित उन ग्रहमोमिमे यादतीको प्राधुनिक योतिष को गोकजोतिपमूनक नहीं कहा जा सकता, जयोतिर्वि दोन गणना कर मिनाया है किन्तु टनेमिके सम्भव ये गन्द हिन्द जयोतिपणासाग को गोरजोतिपः पूर्ववर्ती मिर्फ एक ग्रहण के मिया पौर कोई भी नहीं मिमा शास्तमि गीत हुए षो। प्रानुपनि प्रमाण द्वारा बल्कि है। कुछ भी को, बधु पूर्व कालमे घोमोको पहपके १८ यह कहा जा सकता है कि, भारतीय अरोमिर्पिगप वर्ष का कालावतं मालम था पोर १६५ दिनका ये वर्ष गिचक घे और ग्रीजमोतिर्विदाप उनके छात्र I (Bur.] . मानते थे । योसमें प्रहएके उन्न कानावर्तका प्रचार मि. gers Surya'siddhanta) कोई कोई ऐसा पनुमान मिटन ( Meton )ने किया था; तबमे पर मिटनिक फरते हैं शि, हिन्द,पनि वाविननोयोंमे मक्षयमहलका | फालावत कामाता है। कहा जाता है कि, मामे प्रायः विषय धरना या । के उत्तरमें पो. विवो निते हैं। १९ गसाप्दो पहले ये गहर मायाके रारा क्रासिपातका कि. माबिननीय परले मिर्फ २४ नक्षीका जामते थे, निरूपण करते थे। चीनोंका करना है कि, ईसामे २२१ फिमा भारतीय गतिविदगण वकालमे हो २०१२८ वर्ष पर मम्राट दिशि इंटिने अयोतिविषयक ममम्स मौका विषय मानते थे, हमके पद्दत प्रमाण मिलत है। प्रयोको जना कर भम कर दिया जिममे प्राचीन पतएप हिन्दौको मधयमण्डलका मान वापिसनोमि | पण्डिता हारा विरचित बहुतमे सकर मोतिपयन्य नहीं पा! सायनरयपपिसा विण्यात प्रोतिर्विदयन पौर गणना नियमादि विलम हो गये। ये ईमाको ध्यं मी मतमे-ययनजरोतिपमे, मो कि फारम भाषा | मताप्दी तक पयनपतन (Procession of the equi. निगा पापा जयोतिषियोंन ातकाटि कुछ | aore.) का विषय कुछ नहीं मानते थे; विमा यदुत विषय मंप किया था। मागे ममझमे हिन्द जोतिष- पहले से पहपको गतिका विषय जानते थे। गामा जिन यवनों के मन उहत किये गये। इनको माधोम शानदीयगय प्रत्यय देष कर मोतिर्वियाको पीक शातिमिद नहीं माना जा माता । मभी पुरा| मोचना गैर पर्यवेत्तर करते थे तथा पूर्ववर्ती पाचार्या Vol. VIII. 159