पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/६९५

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६३४ ज्योतिष धारा प्रीम नियमावनीका पनुमरण कर जयोतिकोंके | कहते हैं कि, मयं दो बार पयिमकी तरफ उदित रहा . उदयाम्त पोर ग्रहणादिको गणना करते थे। था। इसमे प्रमाणित होता है कि. मिशगेय मोतिय मोकार याविनन नगर अधिकार करने पर पारिटरल]. पति प्रकर्म व पौर होनावस्य था। .. 'पलेकशन्दर पदिशानुमार यहमि १८०३ वर्षको । वास्तवमें ग्रोक ही पाचात्य जोतिर्वियाका पाथि प्रत्यसोफत परणों को एक तानिका ग्रीमको भी थी। कर्ता है। ईमा ६४० वर्ष पहले घेल्म ( Thiles) ने किमाइम वर्णनाको बदतमे लोग प्रत्यति बताते हैं।। ग्रीकोंमें जोतिर्विद्याका प्रचार किया था इन्होंने ग्रोहान टनेमीने इममे ग्रयों का विषय निया है। मधमे मधमे पहले पृथियोका गोनत्व प्रतिपादन किया था पौर प्राचीन ऐसे ७२० वर्ष पहनेका है। इन पन्यों में ग्रहण ग्रोकनाविकों को ध्र षताग निकटवर्ती सुद्र ..मुक (Ur ममयके धण्टामाव निर्दिट हैं और सूर्या दिने प्रस्ताश sn Minor) नक्षत्रपुन देवा कर उत्तर दिशाका निर्षय के पद पर्यन्त म्यनाथ उशिक्षित है। इन ग्रहोंगी। 'कर्गिको शिता दो यो । किन्तु घलाके बहुत से मस धम देष कर लिने चन्द्र की गतिको गोघता प्रतिपादन को गत हैं, उनमे एक यह है कि, इन्होंने पुथियोको जगत् . पर्थात् यह प्रमाणित किया कि, चन्द्र पहले किम घेगमे का केन्द्र पोर नक्षत्रों को प्रज्वनित पनि बतलाया है। एग्रियोंके चार्ग तरफ यायतित होता था अब उममे | धेस के परवी न्योतियि दोक कई एक मतका पोर मो शीघ्रतामे भ्रमण करता है। काल्दोों पाधुनिक मतमे मादृश्य पाया जाता है.। सूक्ष्म | . अनेक्सिमण्डिस (Anaxiimandis) अपने मेरदण्डक पर्यवेक्षणका और एक माण मिलता है। ये ६४८५१ दिनका एक कानावर्त मानते थे । उस ममग २२७ सपर पृथिवा पाहिक पावर्तनमे परिचित थे। चन्द्र . मूर्यानाकमे दोग... यह भी उन्हें माल म था। सती . चान्द्रमाम हुए तथा ग्रहणको मख्या और ग्रस्तांगरे परि का कहना है कि, ये विराट् ब्रह्माण्ड में मैकड़ो थियीका माणादि पाय: पनुरूप गए थे। ये जल घडीके द्वारा अस्तित्व मानते थे पोर उन्हें चन्द्रमगहल में नदो पर्यत. समय. गच्छाया हारा कान्तिप्त नया पर्दचन्द्राक्षनि 'मूग घडोके हारा गगनमण्डनमें सूर्य के प्रवम्यानका ग्टकादि है, ऐमा विश्वास था। इनके पावर्ती ग्रोक निर्णय परत घे। यसमें एरोपीय विद्वानोंका विखास है जयोतिर्विदामिमे पिथागोरास प्रभान थे। इन्होंने प्रमाणित कि, कालंदोर्याने ही सबसे पहले रागिचक्रका प्रावि. किया था कि, सूर्यमण्डल मौरजगत्के केन्द्रमें प्रयस्थित फार घोर दिगको बारह ममान भागोंमें विभक्त है और पृथियो तथा पन्यान्य ग्रहगण इसके चारों ओर परिभ्रमण करते हैं। इन्होंने सबसे पहले मयको यंह किया है। ममझाया था कि, माध्यतारा पोर शुभनारा यधार्य में । प्रवाद है कि, ग्रीकोने मिगरों में ज्योतिर्विद्या मोदी। .एफ हो ग्रह है। किन परवर्ती जयोतिर्विदमि इन यो। किन्तु प्राचीन मिगरोय जयोतिष उच्च कोटिका था, मतको नहीं माना था। पाखिर कोपानि काम ( Cop. ऐसा प्रमाणित नहीं होता। कहा जाता है कि दुध पौर शक- | arnien५ )ने उक्त मतका विगदरुपने . ममयम पाए सूर्य के चारों तरफ घूमते हैं, इस बात को ये जानते किया था। थे। किन्तु उस यनका कोई. विलासयोग्य प्रमाग्य पियागोगम प्राय दो नाप्दो याद पनेकजन्दरक समकालवर्ती जोतिविदोन जन्मग्राप किया। इस - इनके कई एक पिरामिड ऐसे मममायने उत्तर समयमें जितने जोतिर्विद प्रादुर्भूत हुए थे, उनमेम दधिपकी तरफ बने हुए है. जिसमें बहतों को अनुमान मिटन (Meton)ने । ईसामे ४३२ वर्ष पहले ) पनाम: कोता है कि वे ज्योतिफमण्डलके पर्यवेक्षण के लिए हो ग्यात कानावत' का प्रचार, उडोसमने प्रोममें २६५ यनाये गये थे भो हो, फिम सरमाया माप फर | दिनमें वर्ष-गणमा प्रचलित तथा मिराकिट निवामो पिरामिको उताका निर्णय किया जाता है, या येल्म निटांम ( Nicetis )ने मन्दण्ड पर एथियो पाडिक : में पहले कोरि.uीयगण उनको पावन स्थिर किया था।