पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/६९९

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१८ प्योतिष-योतिष्क पाविष्कार किया था। इसी तरह पीर भी पनेकानेक हिक पयम्यानको मसरूपले नि कर उन गाना ज्योतिर्षि दकि मध्ययम य गुपी पोर यन्वादिको महाय! पोको प्रकाशित किया आमा है। ममें बहुत भोंको म.मे पठारयों नतादीम जातिविधाको बहुत मादा बटनायों को वर्तमानको भामि प्रस्थप देख कर ज्योति प्रयति थे। पिंदगण पनेका तथ्य निकाली है। गगनमाइसके १८वीं माटी के प्रारम्भ हो ४ बुद्र ग्रहोंका सुन्दर चित्र बने हैं और धसमें भित्र भित्र कालमें लोनि- पाविष्कार पाया 1, क्रमम: १८८५ ई. तक प्रायः कोका भयम्यान, चन्द्र, मय, ग्रहादिका समान शताधिक शुद्र ग्रहों का पाविष्कार हा है। नेपचुन गतिपय पादि, पति विगदरूपमे दिखाये गये है । चन्द्र.. ( septune ) प्रहका आविष्कार १८वीं शताब्दोको मयं भोर तार। पादिक मह चित्र बनाने के लिए। घटमा ।। फोटोग्राफ व्यषत हुघा मारता है। करमा यार्थ' ___ यूरेनम ग्रहको गतिमी विगहनता देख कर वहुत है कि, रम ममय य गेपोय भाषामै नगेतिको का अनुमान है कि, यह इस्पति और गनिके सिवा इसनो जादा पुस्तके प्रकागित हुई है कि हर एक . पन्य फिसो पनिर्दिष्ट ग्रहकं पाकर्षणमे होता है। लेवा पादमो इन्हें पढ़ कर जान नाम कर सकता है । उaमिः । रियर ( Leverrier) नामक एक नयोन फरासोमो के माय यह विद्या सशान पीर मजयोध्या । ज्योतिथि ने इमको देन कर १८४६ ई.को प्रोममें न्योतिषिक (पु.) ज्यो तः ज्योति:गाव पोते उक : चुपचाप उक्त पदक प्राकार, परिमाण और आकाशमें | थादित्वात् ठक। १ ज्योति:शास्वाध्ययमकारी, ज्योतिषः भयम्यान तकका निचय यार एक नियन्ध मकाशित किया। शास्तका पढ़नेयाला । (वि.) २ ज्योतिप मम्मन्यो। यह महीना पोतने मो न पाया था कि. धार्मिन नगर ज्योतिपिन् (न वि०) जोतिप' में यत्वेन पात्यात में मि० गेल ( M. Galle )ने नेपचुन ग्रहका आविष्कार | नि। ओति:शास्त्राभिन, मो जोतिपमानता , कर डाला। इसके पाय १ वर्ष पहले केम्ब्रिज नगरमें मि एडाम्म (I. Adains )ने पोर भो म प्रतर गणना ज्योतिषो ( स. स्त्री०) जयोतिरम्त्यस्याः इमि-पंच. दारा नेपचुनके पम्तित्व और भषस्थानका निचय कर डीप । तारा। पानिम (M. Challis) को कहा । इन्होंने दो बार उस न्योतिष्क (म• पु. ) जयोतिरिव कायति केक। ग्रहको पहिचाना था, पर सुविधानुसार उमको प्रकट न | | १ मेधिका वीजा मेयौ। २ चित्रकहत, बोता। इसके बीजके तेल में दूध माय मज्जीमहो और हींग घोट कर, । १८५८१ में एयरी ( Airy )ने गन्यमार्गमें मोर। मलाने के बाद यदि समका सेयन किया नाय ती उदर- जगत्की गतिका निरूपाप किया था । रोग जाताहता। (सधुत चिकि० ११ १०) गणिका. सम ममय य रोप चीर पमेरिकाम प्रत्येक प्रधान रिका वृक्ष, गनियारीका पेड़। ४. मेरुका शामेट प्रधाम नगरी पोर उपनिवेगौम मान मन्दिर बन गये । मग पर्वत के एक राग का नाम । यागगिवनोका राजकीय महायतामे उनमे पर्यवेक्षणादिका कार्य। पत्यन्त प्रिया .. .:..... . घम रहा है। प्रायः मभो मुभ्य देगों में ज्योतिर्यि या सदरीशमागे तस्या। मादिरमसानमन् । को पालोचना के लिए ज्योतिविदोको ममिति गठित यत्तत, ज्योतिष्यमित्याः सदा पशुपन: गि", है। उन ममितियाँमें प्रति वर्ष चहत वैज्ञानिकला ताराः नहर प्रभृति, प्रह, सारा नक्षत्र मिकमत पोर न्योतिर्विद्या विषयक पनेक पविज्ञापोंमें पादिफा ममूह। .' .-.. : मुदित हो मधित होते हैं। रस मिया भित्र भिम . ॐनमतानुसार भयमयामो, व्यतर, योसिक पौर। ज्योतिर्विदीको पुसमें प्रकागित पा करती है। प्राकाम वैमानिफ इन चार प्रकार (जाति) के देयामम एव । पाउनमें पद, उपप, रा. मात पादिक प्रात्य- नो पांच मेदवया पूर्ण पद पर, नम पोर