पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/७००

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६३८ ध्यातिप्का-ज्योति:सिधान्त प्रकोण तारे। ये निरमार मुमगक पारी धोर प्रद. २ योगया स्त्रोत सत्वाधान एक चित्तत्ति । सत्य गुण शिण देते रहते है। प्रकागवती वियोका (चित्तक रजा-तम परिमरहित, ज्योतिका (म. वी. ) ज्योति क टाप । न्योतिमतो. इसलिए दुःखशून्य ) महति उत्पय होने पर चित्तम मता, मानकंगनी। स्थिरता होती है। मालिकता प्रकट होनेमे हो मर्वदा ज्योतिष्कस् (म. वि. ) ज्योति: ब.रोति प्योतिः मुखका पनुभव होता रहता है । उम समय रजोगुणका शिप । प्रादित्य, मर्य। परिणामस्वरूप गोकमोहादि कुछ भी नहीं रहता, उम ज्योतिष्टोम (म.पु० जोसिपि स्तोमा यस्य, यदुनो। ममय प्रगान्ततर तोगेदमागरके सुध्ध विगह माव. ज्योतिरायुषः स्तोम इति पत्वं । मनाम स्वरुपको भावना करने में हो जानका पानोक पति राम याविशेष, एक प्रकारका यत । म यसमें होता है तथा मम तरह का सियोका क्षय होता रहता घेद जाननेवाले १६ ब्राह्मणोंको पायग्यकता पड़ती है। है. ऐमा होने मे चित्त को एकाग्र होतो है। उम समय म याको ममाप्ति के बाद १२सो गोपौंको दमिया । उमवित्तत्तिको स्थितिनिधन प्रकिया ज्योतिष्मती देनी पड़तो है। यह देखो। कहते हैं। ( पास०६०) ज्योतिष्पय (म. पु.) जोतिपा पन्या, ६-तत् । भाकाम।। ३ पग्निपुरो। अप्रिलोक देशे।। ४ राति । ( नि.) प्योतिष्पन्न ( म० ए०) नचक्रममूह। ५ एक नदोका नाम । ( मरमपु१॥२०॥६५) एक ज्योतिष्मत् ( म० ० ) जातिरस्त्यस्य मराप । जोति प्रकारका प्राचोम यात्रा जो मारंगीको भांतिका भोता गु जिममें प्रकाश भो अगमगाता गुण। {पु.) है। एक तरहका बैदिक छन्द। २ मूर्य'। ३ मनोपस्थित पर्व नविशेष, समझोपर्क । कयोतिम् (१० पु. ) द्योतसे धन्यतं वा च तासन् दम्य एक पसका नाम । . नादेश या ज्युनाइसन् । १ सूर्य । २ पग्नि । ३ मयिका ज्योतिपती (सतो .) मतिमत् डोप । ( Cardios. , स, मेयो। B नेत्रकनोनिता मध्यम्य दर्गममाधम permum hnlicncahum) १ लताविगेप, मानकंगनो। ! पदार्थ, पावको पुतनीके मध्यका यह विन्दु जी दगेन. मस्कल पर्याय-पारावतपदी, नगमा, स्फुटबन्धनी, पूति का प्रधान माधन ।। ५ नमन! ६ प्रकाग, जाप्ता । मला, मी, पारायसाधि, फटभी, पिण्या, वसता., ७ सयभामया चतन्य। पग्निष्टोम यमका मप्या पनन्नाभा, अमेतिता, सपिङ्गला, दीमा, मध्या, मतिदा., भेट, पग्निटोम यतकी एक मण्याका नाम । ८ विष्णु । संग, सरस्वती पोर अमृता । मम जोतिमतोके गुण- १० वेदान्त में परमात्माका एक नाम। ११ ओ द्रष्य यह पतिगय सिता, किश्चित् कटु, यात पीर कफनाशक है। मास, व्योतिमिर ज्योतिम्तत्व ज्योति:मिहाम्त प्रभृति । स्यमा ज्योतिमतीके गुण यह दाहपद दोपन, मेधा पौर, १२ मट्टीत पटतानका एक भेट । प्रमाडिकारक । (रानि०) सीमामा पोर विम्फोट. व्यो सिम्ताव संको.) ज्योतिषा सत्व. सत्या मायक। (राम) कट, ति, कफ पोर यायुनायक, सत्व' यव, मनो। रघुनन्दन छत ज्योतिः 'पशुपको पग्निवर्दक पोर म सिप्रद है। (भाव.if सम्बन्धीम एक अन्यका नाम । इस प्रय: प्योतिष मायः "मोनिका पादमसो प्रहनक्षत्रकीर्णकसारकाय । । ममम्त विषय म क्षेप रूपमे निगे. जगेसिपका मार। मेहदक्षिणा लियगत नृलोके ।" (सत्यापमूत्र १०१३) ज्योति मिडान्त (म.पु.) ज्योतिषां मिशान्त:, 4-11 • पर एक प्रकारको तेजस्विनी सता है। इसको आकृति अमेतियन्य। बनकरसके पोरे ममान है। इसका फठ कराय: गुल्म 'फट' से स्टाया है। इसलिए सारे इससे साठे ख घरण हा मारा और सोन पारियोन : गुरु रोता है। इसको दो आनि ६-हमानीय मोतिपनी पाल भीतर सीन मीन बोर रोते है। सफल प्रपमास्या मिधिन ! मदि देशों में और महायोतिमोर मादि में 'भावोगा। इस पर पिसी सरदार पस्नेगे यह 'शेती है।