पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/७०१

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.९४० . . : योतारप-बर ज्योतीरप (म.पु.) भांतिस रयोऽय, भातिप: रय | योनी (मजी. जोत्सा परताव्यानन्या जोर यया । १ ध्र पनसम. इम पाया जोकिया । मजा पूर्व कप विधेनिन्यत्वात् न साहिः। १ मलिए हमका नाम जोसीरव पड़ा । २ निम्पि जातीय चन्द्रिकायुमा गरि, चोदनी राम। २ पटोल. सरो। म. एक तरएका माप जिपके यिप नहीं होना है। गणका नाम गन्धद्रव्य । ज्योतीरम (म० पु.) जोतिष रमगाह । एक प्रकारका योग (म' पु. ) प्योरखाया इंगा। ई-तम्। म्यान्माई रख। मका उप वाम्मीको रामायण पौर र अधिपति मूर्य । रम हिताम किया गया है। ज्योनार (हि.सो.)भोज, दाया। २ समोर, योतोकसम्बयभ (म' पु.) जोति: रूपं यम्य ताम: | पका एपा भोजन । यः पयमा । यधा, ग्रानाका र ज्योतिर्मय है, इमोज्योग - वि.. ) फसल तैयार होने पर गायर नारं, लिये रमका नाम शोतोदात्रयम्भ हुपा है। । धीही चमार पादि काम करनेवालोंको दिया जानेवामा ज्योत्सा म• सी.) जोतिरस्तान्यां निगतनार नप्रत्ययः प्रमाज! उपधालोपय । योरस्नानविप्रति । पा 12111१ कोमुदो रहिया ) यदि, जो। यह गप्द मायः कविः चन्द्रमाका प्रकाश, चांदनौ। हम पर्याय-चन्द्रिका, चान्द्री तामही व्ययवत होता है। . .... फामयाममा, चन्द्रातप, चन्द्रकाना, गीता और अमन ज्योतिष (म० को०) गोसिप रद पण । ओसिया तरङ्गियो । २ योनायुक्त रावि, चांदनी रात । ३ पटोमम्बन्धी । निका, सफेद फनी तोरई। एमके गुण-त्रिदोषनागफ, ज्योतिपिक (म० पु. ) जोसिप अधीत येद या कपाय, मधुर, दा" पीर गावितनागफ है। ४ दुर्गा। उकयादि. ठक् । मोतिर्विद, यह जो जगेसिपमा "ज्योत्स्नाय शुरूगी गुताग सततं नमः।" (चो १०)| जानता हो। ५ प्रभातकाल, मुयाह । 'ज्योत्सा ममभवत् सापि प्राक् मया- | ज्योत्स्ना (म. वि. ) ज्योत्साया पन्यितः इत्यप । दोम. . माभिधीयते ।" (निपु० ॥५११६) ६ सोंफ ! ७ रेणुक जगमगाता एy I. योज। ८ कोपातकी. कड़ाई तरोई। ८ पटोनिका, ज्योस्निका (स. खो.) ज्योत्स्ना पति यस्याः पनि मफेद फलको तगई। उया पूर्वरिष्टाप च । सयोनायुक्त राति, चौदनो ज्योत्साकोली (म. सी) मोमको कन्या। ये यरुणके रात। पुब पुष्करकी पवो थीं। ज्योर-यम्बई प्रान्तके पहमदनगर जिले पोर तालुका "कायान दर्शनीमा यो परमात पतिः । शहर। यह पक्षा• १८.१८.३० पौर देगा। मोरस्नाकालनेति मागहुंगितीको हात. शिव" ०४४६पू में टोका महक पर पड़ता है। : बनम ग्या (भारम १९७१.)। ज्योत्यादि (म• पु.) ज्योत्स्ना तमिम्रा कुण्डन, कुगुप प्रायः ५००५३। नगरकी चारों पोर एक टटा फटा विम और यिपादिक ये को एक ज्योत्सादिगण हैं। प्राचीर। फाटक मजबूत लगा। दरवाजे पर उपोरयापिय (म.पु.) श्योरमारिया यस्य, मो.। फरणमन्द है। पाम हो एक पहाड़ पर मन्दिर घकोर, पाया। है । एक मन्दिर में १०१ को गिनानिधि ज्योत्यावर (म. वि. योग्या प्रामा जोरसा। पहिरत है। . . माप । सोपायुस, निमौ प्रकाग हो। घर (म.पु०) व्यरति जोगों भयावनेम वा करणे योरयासत (म.पु.) प्रारिमायाः नः इव (तत्। घन। वरप. सनामाममिद रोगमेद, ताप, युवार । दीपाधार, टोयर, पमा सीज़। महत पर्याय-जूति व्यरि. पातक, रोगरह, महागदा ज्योत्रिका (म.की. भादगौ रात । २ पटोनिका./ सापफ पोर ममताप। सफेद फमको तोर। मापियों के प्रति हरिपात करनेमे मातम होता. '