पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/७०५

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५४४ को नमापन वेदना. म झनझनाहट विनिशोधन | उमा पोर दार मोता। AMITRA (पयां मांग रहा . ऐमा मान्न म पढ़ना). प्रामु | मोसन म्यानमै रहने पर भी गोतन पदाय पाने पोर मन्धिस्थानका विषग. जमने पथममता. कमर, प्रत्याशि मकर करनानिदानोड पर ग . पगम, पीठ, मध, याहु, म पोर यक्षम्पन कममे / इमको पनुग्णय पोर तमो विरोत बश दारा पार भग्नवा मानवत. मदित, मन्यनयत्, घटित, पवपीड़ित मानम होता है। पोर पयाययत् वेदना होतो है । नुम्तम्भ पोर कान जो सिध, मधुर, गुरु गोनल विहिन, पन कोर मनमगाहट, मम्तकम निम्तोदनयत् पीड़ा. मुख कपायमा मयप पादि प्दा पधि पाते ६ तया जो दिमान्दिा, पोर रमालादन पसम, मुग, ताल, और कण्ठगोय, प पोर व्यायाम पादि विषयगे अत्यन्त पामत को पिशमा, प्रदयमें येदना, एकपति, राक काग, कोंक, उनका मा परपित हा करता है। म हारनिरोध, पारसयुक्त निष्ठीवन, परुचि, पणक, पादमो माधारणतः भिक पर्यात् फफयरमे पोड़िय मनको विकलता, उयामो, यिनाम (एक प्रकारशी होते मेरो जाते हैं। मका यह प्रति मा पामा. वेदना ), कम्प, विमा परियम किये परियम मान म गयमें प्रयेग कर उमाई माय माता पोर पाये एए । पड़ना, भ्रम (सब चीजों घूमतो हुई दी) प्रलाप अनिद्रा. पढार्य के परिपाक निए रमधासुको पास होता है। द्रा, सोमा, दन्तहपं. उपस्ति पभिन्नापा, निदानोक पो रम पोर सेदसमदको पासादापूक पकायो । या सारा पनुपमय पौर उममे विपरीत यस्तु दारा उप. उमाको बाहर निकाल कर गमत गरीरमे याम हो गय पादि यातन्यरक माइप है। जाता है । इस प्रकारको प्रक्रिया के फारणा कफ स्वरका जो मनुष्य उमण, परत, नयण, चार, फट पोर गरिष्ठ | प्राविभीय हुमा क सा। पदार्य तया पत्यन्त तीरशरसम गुप्ता पदार्थीको पधिक ___ एक ही समय कफ-वरका पागमन पोर कोष फातिमसया जो प्रत्यस पग्निसन्तापमेयन कारो, परि. होता है। भोजनमावमे, दिन प्रथम भागने, प्रथम यमी पोर फोधयोल हैं, उनको माधारणतः पंत्तिक बर | राविम पोर प्रायग: यमायराम रम व्यका पाविर्भाय । होता। छठ प्रकारके व्यक्तियों का गेरा पित्त नव। प्रकुपित होता है, तब यह पामागेयमे उपाको प्ररणा, | विपरीत्या गरेर भारी पाहा, अपशि. . रमधातुका पायय ले रम तथा बेदयामोतममूहका मुप पोर नामिकामे कफसाय, मुपर्म मधुरता, . पाच्छादन कर पित्तके द्रमत्वक कारण जठराग्निको खिन यमन दयस्थान उप नेपोध भागेर सिमि: मन्द पौर पक्षागय पम्निको बाहर विविध करता है। भाय भोगे कप में गरीर का ऐमाम पदना), इम प्रशारकी गारीरिक प्रक्रिया होने पर पित्तनाका छर्दि, पग्निकी मृदुत , निद्राका पाधिक्य तस्यादिको पाविर्भाय दुपा करता है। वित्तज्यर होनेमे एक ममय. स्तम्भता, तम्दा II फाय. मप, नयन, चेहरा. भूत, मेधी बरक्षा पागमन पोर पमिति होती है। पुरोप पोर चम में पत्यस गीतमाफः पनुभव HIT पाहारक परिपाक ममयम, दोपहरको. पाधोगतको 'गरीरमें गोतनम्म पोहा पुन्मो का दाम होता। तथा प्रायः गरतरतुम यह घर सोता है । म बाम शबराक मा यहिको माय: उमाशेपभिनाया भोसो मुपका साद घाट, रमयुध तथा मामिका. मुघ, कह । मिदानोल पम्नु रा पनुपग-पोर. उसने यिपीय . पोर साम्नमें पता मानम पडतो; पणा, मम, मोर, गुणगुख पदामि पगयता मान, म पढती । मुदी, विरागमन, सोमार, भोजनमें पास, पमोना. पमान भ्यांमसे कि या गोदा या पनाप पोरनगरमें एक मकारक कोठगोगको उत्पत्ति प्रममय भोजन करना ), पनगम, सरितग. मत होतो । नापन, पालें. चेहरा, , पुणेप पोर मर-यापत्तियोम, वा. गीत पादि गुमान पातु पनुमार का धमदा पोमा हो माता | मरोरम पन्या सीमोतीटिका भाप ), पोय गवाटिका गा.प.