पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/७०७

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१४१ ननिमा तोता रवाना पोर माम लोग गिद्राषित गेगो पोमन होगा, जायल होने पर भीमता और पानि, MIR, गिाम, कम्प, यम, मम, ममाप, सागर, प्रनायिगिट पर रोमाक्षित, गिरिम, पपमाप पोर .. गेमा, दन्त, गद गोस यात पोर पाप पाटिम ' वेदनायु होता. या पोज: पातुरे कश आमिमे गोता. कमी पमिनाप. कमी पनमिनाप. रुनि, परिपक, म दमाम मात. दापया या दिम रोग . माम दुनमा पदमट, पहमि पवमवता पाना मढ़ आता है । म दगाम या मोरोगीको गीध पाराम , पम्पप्राणता ( गारोरिक्ष यल को पम्पमा ), दोध मयता, कोशाता या धमकी मच जातो। पानम्य, उपस्थित कार्य को पानि, पपने कार्यको प्रति दो दोपराधि होने पर या होता है, उमको . मनमा, गुरुमनी या पामै पभ्यसूया, पानकके प्रति विपरन्दा कहते हैं। इन्दन वा तीन प्रकारका :-- काग, पने धर्म विनाहित्य. माम्यधारप, चन्द- : पित्त, याममा पोर विशमा । भाई, पट एमगा, गादि पनभोजन, के गन, मधुर भक्ष्य पदारमे उपमत्तता,कम्पन, मन्धिस्यानाम येदना. गरोमि मा पोर करना ना भग्न. नयण घोर फट इनके भक्षा करने में | पमिताप. एणा पोर मनाप ये सामरिक सारं पन्यमा पामति । ज्वरकी प्रथम पयस्याम मन्ताप, ! नया . पोहे धीरे धीरे मा प्रष्ट होते हैं। गन, काम, कफ, वमन, गोस, तम्मन, बीमा, पनहि-सपा या पमतिगीन गरोर, पत्यममा. देठका भारीपन. परुचि और पिरम्भ-ये वासका ममधि, मरमाजिलापरबरो, कण्ठ शुकः पुगेप, चरमस .. मुव पौर मंदका राहित्य, घटय मरा ( समिठीवन) गीत, मार, परचि, माम.. बंद. मोप, मसता. और निम्तज ( मानो छाती टी जा रमी), पबसे भ्रम, काग, पद्म पयमयता, थमने का ये वितभा रुति गरीर प्रभाौन तथा ग्राम पोर मनाप ये नक्षण परके नाम है। पभिन्याम पयया हप्तीजा नामक मामिपातिक चर . वरना. रूम, मिप्या पाचारविचारी पशि पाप । प्रकटोरी। प्रगिट टोपोंके वायु द्वारा सहि होने पर पाय साविपानिक रोग पत्यन्त कटमाध्य पोर आमाध्य कफ स्थानीय टोपानुमार पाच प्रकारका ना सापय । पभिन्याम रोग निद्रा, सीणता. पोजोहानि पोर होता है। ये पांच प्रकारके पर मर्यदा पन्येक गरीर निम्मन्द होने पर मम्याम नामक साविपातिक तीयक, चातुर्य या पोर. प्रलेपक माममे प्रमि . गेग उत्पन होता है । पिश पोर यागु-हरि लिए पोशः मामासम, तदपकार, गसे और मम्पिये में पाप को धातुका सय पोने पर गायम्तम्भ और गोगई कारण रपान । दियामाग और पत्रिका में दो प्रको पर मो मामिला िसर १५ प्रसारका है। एक समय है। इनमें एक प्रकोपले समयमै दोष हदसमें पोर होकर दोष आपिसपछे शीन Reोता है, माता , पितो. अन्य प्रोपराममें यर प्रकट होता है। इस बार मगरमण । दो दो आविषयमे भी नीन प्रकारका हाते.दें। परप्राय दिन,दिनमें प्राट हो र अपार ला. मे-पिता, पापोता और दिल में उत्पन हो हर दिन मम होता है। फिर पहायमें मोगा। दीन दोपरि हमा, माला और भावना मंद- दोरीन होते हैं । दोष दूर स्थित होने से सोगरे दिन में सोमाद.पा---fuere, मपित, दीन मामाघरो मार रन करता है। इसको गुमो. पर A REA भार मत EHEARTI पर का है। यह सर एक दिन अगर भामा, रमको पानरोधमा उम रा भोपइने शेष रिप होनेसे वागरे दिन HER नाम ₹- विक भाग दोगरे या मीपे दिन मामा घर A. Etved. H itler IRRITA ना। परसोमियरमे पाहा म . Katrin tो । , i पास गर हैं।. . .